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आर्थराइटिस से जुड़े 10 मिथकों की सच्चाई ( 10 Arthritis Myths – Busted!)

इन दिनों आर्थराइटिस (Arthritis) यानी गठिया बेहद आम बीमारी हो गई है. इस बीमारी के बारे में आधी-अधूरी जानकारी के कारण बहुत से मिथक फैले हुए हैं. इन्ही मिथकों की सच्चाई जानने के लिए हमने बात की अमनदीप हॉस्पिटल, अमृतसर के ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. अवतार सिंह से. Arthritis Myths Busted कारण जोड़ों में चोट, धूम्रपान, शराब व मीठे पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन, इनऐक्टिव लाइफस्टाइल और मोटापा जैसे कारणों से आर्थराइटिस (Arthritis) का ख़तरा बढ़ जाता है. कभी-कभार संक्रमण या एलर्जी की प्रतिक्रिया अल्पकालिक आर्थराइटिस को जन्म दे सकती है. लक्षण जोड़ों में सूजन और कठोरता के साथ दर्द हो सकता है. चलने-फिरने में भी परेशानी होती है. प्रकार आर्थराइटिस के 100 से अधिक प्रकार मौजूद हैं. प्रत्येक का अलग कारण और अलग उपचार है. हालांकि आर्थराइटिस के दो सबसे आम प्रकार- ऑस्टियोआर्थराइटिस (ओए) और रुमेटॉइड आर्थराइटिस (Arthritis) (आर ए) हैं. ओए में अक्सर बढ़ते वज़न के कारण जोड़ों में सूजन और कठोरता आ जाती है. इसमें घुटने, रीढ़ और नितंब प्रभावित होते हैं. आरए में उंगलियों, हाथों और कलाई के जोड़ों में सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिलता है. उपचार उपचार अक्सर दवाइयों और एक्सरसाइज़ का संयोजन होता है. जब दर्द असहनीय हो जाता है और जोड़ों की गतिशीलता लगभग खो जाती है, तो अधिकांश मामलों में सर्जरी की सलाह दी जाती है. क्या है इस बीमारी का सच? एक बीमारी के रूप में आर्थराइटिस (Arthritis) बहुत प्राचीन है. इस बीमारी को लेकर ग़लत धारणाओं की भरमार है. जानिए इस बीमारी से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई. भ्रम: जोड़ों में किसी भी तरह का दर्द आर्थराइटिस होता है. वास्तविकताः जोड़ों में सभी तरह के दर्द आर्थराइटिस नहीं होते. नरम ऊतकों में लगी चोट भी जोड़ों के दर्द को जन्म दे सकती है. किसी मेज से आपके पैरों के टकरा जाने पर भी घुटनों में कड़ेपन की समस्या हो सकती है. चिकनगुनिया और विटामिन की कमी भी जोड़ों में दर्द का कारण हो सकता है. भ्रम: आर्थराइटिस वंशानुगत होती है. वास्तविकताः भले ही पारिवारिक इतिहास और आनुवांशिकी आर्थराइटिस के लिए जोखिम वाले कारक हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं निकलता है कि यदि अभिभावक को आर्थराइटिस है तो बच्चों को भी यह बीमारी हो जाएगी. मोटापा, जोड़ों में चोट, मांसपेशियों की कमज़ोरी और जीवन शैली जैसे कारण आर्थराइटिस की संभावना को तेज़ कर सकती है. भ्रम: यह वृद्धों की बीमारी है. वास्तविकताःआर्थराइटिस अब बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं है. यह तब भी हमला कर सकती है जब आप उम्र के तीसवें वर्ष में दस्तक दे रहे होते हों. इनऐक्टिव लाइफस्टाइल, शराब एवं शक्कर का अधिक सेवन युवाओं में आर्थराइटिस के खतरे को तेज़ कर सकता है. स्टेरॉयड के अत्यधिक सेवन का परिणाम भी आर्थराइटिस के रूप में देखने को मिलता है. भ्रमः सर्जरी एकमात्र इलाज है. वास्तविकताः घुटने और हिप रिप्लेसमेंट जैसे सर्जरी गंभीर आर्थराइटिस वाले लोगों के लिए एक विकल्प है. मेडिकल साइंस की उन्नति के साथ, गैर इनवेसिव तरी़के और की-होल सर्जरी भी लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं. अन्य उपचारों में भौतिक चिकित्सा शामिल होती है, जिसमें संयुक्त मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए विभिन्न प्रकार के एक्सरसाइज़ का शुमार होता है. पौष्टिक खाना भी आर्थराइटिस के दर्द से धीरे-धीरे छुटकारा दिलाने में कारगर होता है. भ्रमः खट्टे खाद्य पदार्थ दर्द को बढ़ाते हैं. वास्तविकताः इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. वास्तव में नींबू, दही इत्यादि खट्टे खाद्य पदार्थ खाने को पौष्टिक बनाते हैं और उनका शामिल होना भोजन को रुचिकर और संपूर्ण बनाता है. भ्रमः यदि आप फर्श पर नहीं बैठते हैं, तो आप अपनी गतिशीलता खो देंगे. वास्तविकताः यह सोच ग़लत है. आर्थराइटिस के रोगियों को जब कहा जाता है कि वे पैरों को क्रॉस करके या फर्श पर बैठने से बचें तो उन्हें लगता है कि ऐसा करने पर उनके जोड़ों की ताक़त खो जाएगी और घुटनों की गतिशीलता कमज़ोर हो जाएगी. वास्तविकता यह है कि फर्श पर या घुटनों को मोड़कर बैठने पर जोड़ों को और अधिक क्षति पहुंच सकती है. ऐसे व्यायाम हैं जो शरीर की रेंज और ताक़त को बनाए रख सकते हैं और इसके लिए आर्थराइटिस के रोगी को फर्श पर बैठने की ज़रूरत नहीं है. ये भी पढ़ेंः गारंटी!!! घुटने के दर्द से छुटकारा दिलाएंगे ये दमदार घरेलू उपचार व एक्सरसाइज़ भ्रम: दर्द होने पर कोई व्यायाम नहीं करना चाहिए. वास्तविकताः यह बिल्कुल सही नहीं है. आर्थराइटिस के तेज़ दर्द की स्थिति में भी हल्के एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करना मांसपेशियों की ताक़त और गतिशीलता को सुधारने के लिए जाना जाता है. दूसरी ओर ऐसी स्थिति में निष्क्रियता स़िर्फ दर्द को बदतर बना सकती है. भ्रमः स्टेरॉयड या पेनकिलर का सेवन राहत प्रदान करता है. वास्तविकताः मरीज़ अक्सर डॉक्टर बनने की कोशिश करते हैं और दुकानों पर उपलब्ध पेनकिलर्स या एंटी-स्टेरायडल एंटी-इन्फ्लामेट्री दवाओं (एनएसएआईडीएस) का सेवन कर स्वयं का इलाज करते हैं. सच्चाई यह है कि ये दवाएं अच्छा करने से अधिक नुक़सान पहुंचाती है. अतः डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का ही सेवन कीजिए. भ्रमः योग आर्थराइटिस के लिए अच्छा है. वास्तविकताः इसमें कोई संदेह नहीं है कि योग समग्र स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद होता है, लेकिन कुछ आसन जोड़ों में दर्द को बढ़ा सकते हैं और आगे चलकर और क्षति पहुंचा सकते हैं. आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए योग केवल पेशेवर मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए. भ्रमः यदि आप अपने पोरों को तोड़ते हैं, तो आप में आर्थराइटिस होने की संभावना है. वास्तविकताः इस मिथक का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, डॉ. डोनाल्ड यूनगेर ने 50 साल तक ख़ुद पर इसका प्रयोग किया. उन्होंने अपने बाएं हाथ के पोरों को तोड़ा, लेकिन दाएं हाथ के पोरों को छुआ तक नहीं. यूनगेर ने अपने बाएं हिस्से के पोरों को 36,500 से अधिक बार तोड़ा, लेकिन उन्हें आर्थराइटिस नहीं हुआ. जब आप अपने पोरों को तोड़ते हैं, तो रक्त में घुली अतिरिक्त नाइट्रोजन गैस के चलते चटकने की आवाज़ आती है. ये भी पढ़ेंः किसी को न दें ये 8 चीज़ें, अपने क़रीबी को भी नहीं  

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