तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी हैरान हूं मैं… तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं… सच है, कई बार बच्चे व ज़िंदगी में हम इस कदर उलझ जाते हैं कि किससे सवाल करें, किसे जवाब दें… पर यह तो जगज़ाहिर है कि बच्चे मासूम होते हैं, वे इस गणित से परे होते हैं… उन्हें तो बस साथ चाहिए, प्यार चाहिए… और पैरेंट्स का साथ तो मानो सारे जहां की ख़ुशियां… आइए, जानते हैं कुछ स्मार्ट ट्रिक्स, जिसे अपनाकर पैरेंट्स बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं.
बच्चे तो बच्चे होते हैं, उन्हें चाहे सारी दुनिया की ख़ुशियां दे दो, पर उन्हें पैरेंट्स का साथ सबसे अधिक प्रिय होता है. यही हाल अभिभावकों का भी होता है. माता-पिता दोनों चाहते हैं कि अपने बच्चे को ढेर सारा प्यार, ख़ुशियां और समय दें, पर ऐसा कम ही हो पाता है, ख़ासकर समय के मामले में. वर्किंग कपल्स के साथ यह समस्या अधिक होती है. यहां पर हम कुछ आसान तरी़के बता रहे हैं, जिससे आप अपने बच्चों के साथ अधिक क्वालिटी समय बिता सकेंगे.
जब भी आप बच्चों के साथ रहें, मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें या फिर बहुत ज़रूरी हो, तभी करें. इस तरह आप बच्चों के साथ अधिक क्वालिटी टाइम बिता सकेंगे. बच्चे भी ख़ुशी-ख़ुशी अपने दिनभर की एक्टिविटीज़ के बारे में आपको बताएंगे, जैसे- उन्होंने दिनभर क्या किया, स्कूल में कैसा समय बीता, कोई परेशानी हुई हो, तो उसे भी ज़रूर बताएंगे. ध्यान रहे, जब वे ऐसा कर रहे हों, तो उस समय भूल से भी अपने मोबाइल फोन पर कोई ज़रूरी काम न करते रहें, बल्कि कुछ समय के लिए ख़ुद को फोन से डिसकनेक्ट कर लें. बच्चों को यह बिल्कुल पसंद नहीं होता कि पैरेंट्स उनसे बातचीत करते समय फोन पर बिज़ी रहें. अतः इस बात का ख़्याल रखें.
इसमें कोई दो राय नहीं कि आज शॉपिंग करना लोगों का पसंदीदा काम बन गया है, लेकिन बच्चों के साथ अधिक अच्छा समय बिताने के लिए इसमें भी कटौती की जा सकती है. स्मार्ट शॉपिंग का तरीक़ा अपनाएं यानी घर से बाहर जाकर शॉपिंग करने की बजाय आप ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं. इसके अलावा ज़रूरी सामानों के लिए होम डिलीवरी की भी सुविधा ली जा सकती है. इससे आप बच्चों के साथ अधिक क्वालिटी टाइम बिता सकेंगे.
अक्सर हम घर की साफ़-सफ़ाई, अन्य ग़ैरज़रूरी कामों में बेवजह का अधिक समय ख़र्च कर देते हैं, ऐसा न करें. यह ज़रूरी नहीं कि घर के सभी काम आपको ही करना है. आप मेड रख सकते हैं. इसके अलावा घर के अन्य सदस्य, ख़ासकर पति-पत्नी आपस में काम बांट सकते हैं. इस तरह वे बच्चों के साथ अधिक समय बिता सकेंगे.
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आजकल हर किसी का सोशल साइट्स, जैसे- फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सऐप आदि पर अधिक समय बिताना शग़ल-सा बन गया है. यदि आपको भी यह बीमारी है, तो इसका तुरंत इलाज कराएं. इन सबका कम इस्तेमाल करें. उस समय को बच्चे के साथ खेलने, घूमने-फिरने, मौज-मस्ती करने में बिताएं. इन सबसे बच्चे पैरेंट्स से अधिक जुड़ते हैं और पैरेंट्स को भी संतुष्टि रहती है कि वे बच्चों को पर्याप्त समय दे रहे हैं.
अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों से काम लेना पसंद नहीं करते, जो ठीक नहीं है. वे खाना बनाने से लेकर साफ़-सफ़ाई करने, पौधों को पानी देने आदि छोटे-मोटे काम करते समय बच्चों की मदद ले सकते हैं. उनके साथ मिलकर काम करने से दो फ़ायदे होंगे, एक तो काम जल्दी हो जाएगा और दूसरा आप बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिता सकेंगे.
पैरेंट्स ऑफिस से आने के बाद तुरंत टीवी पर सीरियल, न्यूज़, मनोरंजन आदि में बिज़ी न हो जाएं, बल्कि सबसे पहले थोड़ा-सा समय बच्चों को ज़रूर दें. इसके लिए चाहे आपको अपने पसंदीदा टीवी सीरियल का भी त्याग क्यों न करना पड़े या फिर ज़रूरी न्यूज़ ही क्यों न छूट जाए… पर ऐसा करके आप अपने बच्चे के क़ीमती बचपन को और भी निखार-संवार सकते हैं.
हर हफ़्ते शनिवार की शाम या रात बच्चों की इच्छानुसार बिताएं. फिर चाहे वो कोई मूवी देखना हो या बाहर डिनर करना या फिर रविवार को पिकनिक ही मनाना क्यों न हो. इससे बच्चों के साथ आपकी बॉन्डिंग भी मज़बूत होगी और सभी एनर्जेटिक भी महसूस करेंगे.
यदि आप मॉर्निंग वॉक, जिम, योग आदि करते हैं, तो बच्चों को भी इसमें इन्वॉल्व करें. इससे फैमिली की फिटनेस और क्रिएटिविटी बढ़ेगी और पैरेंट्स-बच्चों का रिश्ता भी बेहतर होगा.
बच्चों को गार्डनिंग का भी ख़ूब शौक़ होता है. आप उनके साथ मिलकर बागवानी कर सकते हैं. इससे जहां उन्हें फूल-पौधों की जानकारी मिलेगी, वहीं उनका बौद्धिक विकास भी होगा.
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व़क्त के साथ बहुत कुछ बदला है, यहां तक कि बच्चे व पैरेंट्स के शौक़ भी मिलते-जुलते से हो गए हैं. ऐसा बहुत बार देखा गया है कि मां भी बेटी के साथ म्यूज़िक, डांस, कुकिंग आदि सीख रही है, तो वहीं पिता भी बेटे के साथ स्विमिंग, ट्रैकिंग, गिटार, तबला आदि में हाथ आज़मा रहे हैं. इस तरह बच्चे-अभिभावक दोनों ही जहां अपने शौक़ को पूरा करते हैं, वहीं एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छा समय भी बिता पाते हैं.
यह ज़रूरी नहीं कि आप हमेशा अपने बड़े होने का मुखौटा ओढ़े रहें. कभी-कभी अपने मैच्योरिटी के आवरण को हटाकर बच्चों की तरह हो जाएं. उनके साथ हर वो काम करें, जो उन्हें पसंद हैं, फिर चाहे वो खिलौनों से खेलना हो, ड्रॉइंग करना, क्राफ्ट, मिट्टी से घर बनाना हो, साइकिलिंग करना या वीडियो गेम खेलना. इससे बच्चे को बेइंतहा ख़ुशी मिलेगी और वे आपको अपना प्यारा दोस्त भी समझने लगेंगे.
बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना बेहद ज़रूरी है…
पैरेंट्स को यह समझना होगा कि बच्चों को हर तरह की सुविधा व महंगी चीज़ें देना, उनकी सभी डिमांड मान लेना ही अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा कर देना नहीं है. इन सबसे बढ़कर ज़रूरी है बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आप अपने बच्चों के साथ जितना अधिक समय बिताएंगे, उतना आप उनके क़रीब आएंगे. एक रिसर्च के अनुसार, बच्चों में 75% इंफेक्शनल डिसीज़ उनके शुरुआती पांच सालों में होती हैं. अतः अभिभावक इस दौरान बच्चों के भावनात्मक पहलुओं पर अधिक ध्यान दें और उन्हें अधिक से अधिक समय दें. बच्चों को सब कुछ सहज होकर सीखने दें. उन पर बेवजह का दबाव न डालें. उनकी परवरिश ख़ुशनुमा माहौल में करें. उनकी पसंद, शौक़ और भावनाओं को समझने की कोशिश करें और उन्हें पर्याप्त समय दें, क्योंकि यही वो समय होता है, जब बच्चों के व्यक्तित्व की पुख़्ता नींव रखी जाती है.
– ऊषा गुप्ता
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