बातचीत हमारे व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इसके द्वारा ही हम किसी को अच्छा, तो किसी को बुरा समझ लेते हैं. सामान्य बातचीत और ऑफिस कम्युनिकेशन (Office Communication Tips) में बहुत अंतर होता है. कैसा हो आपका ऑफिस कम्युनिकेशन आइए जानते है.
मिज़ाज को समझे
ऑफिस में काम करकने के तरी़के के साथ ही कब क्या कहना चाहिए, किससे किस तरह की बात करनी चाहिए? आदि का ध्यान आप ज़रूर रखें. हर समय मज़ाक के मूड में बात करने की कोशिश न करें. ऑफिस के लोगों को बात करते व़क्त उनके मूड को पहले ही परख लें, ताकि आपको उनके गुस्से का शिकार न होना पड़े.
भावनाओं पर सयंम
कई बार ऐसा होता है कि घर में कुछ अनबन होने पर या किसी तरह की बात को लेकर हम उदास हो जाते हैं. ऐसे में ऑफिस में किसी सहकर्मी के पूछने पर भावनाओं में बहकर सारी बात न बता दें. अपने आंसुओं पर कंट्रोल रखें. ऑफिस में इस तरह के व्यवहार से आप लोगों के मज़ाक का पात्र बन सकते हैं.
जातिवाद से बचें
अमूमन हर ऑफिस में कई तरह के लोगों का ग्रुप होता है. ऐसे में बिना सोचे समझें लोग एक दूसरे की जाति और धर्म पर बहस करने से पीछे नहीं हटते. कभी किसी खिलाड़ी या राजनीतिज्ञ, तो कभी रिज़र्वेशन तो कभी कोई और मुद्दा लेकर लोग दूसरी जाति लोगों पर टिप्पणी करने से बाज़ नहीं आते. ख़ास बात तो ये है कि इस तरह की बातें करने के बाद उन्हें अपने किए पर किसी तरह का कोई पछतावा नहीं होता.
अपशब्द कहने से बचें
ज़रा याद करेंअपने उन दिनों को जब आप ऑफिस में नए थे. किस तहज़ीब और अदब से आप अपने सहकर्मियों और बॉस से पेश आते थे. लेकिन जैसे ही ऑफिस में कुछ महीने बीते आप ऑफिस को घर समझने लगते हैं और सहकर्मियों का अपना दोस्त.ऐसे में कई बार ग्रुप डिस्कशन में भी आप इस तरह भाषा का प्रयोग कर जाते हैं, जो ऑफिस के वातावरण के बिल्कुल खिलाफ होती है.
तर्कहीन बातें
ऑफिस में अगर कुछ लोग बात कर रहे हैं और आप भी उस बातचीत का एक हिस्सा है, ता ज़रूरी नहीं कि बिना बात के भी आप बीच-बीच में अपनी बातों से लोगों का डिस्टर्ब करें. ऐसे में चुप रहना ज़्यादा फ़ायदेमंद है.
ऑफिस फ्लर्ट से बचें
महिला हो या पुरुष, ऑफिस में किसी भी तरह के फ्लर्ट से बचना चाहिए. कई बार अपनी ऊंची पोस्ट का इस्तेमाल कर लोग अपने जुनियर के साथ इस तरह का व्यवहार करते हैं. इसका आपको क्षैणिक लाभ तो मिल जाएगा, लेकिन आगे चलकर आपके व्यक्तित्व पर बुरा प्रभाव डालता है.
नज़र मिलाकर बातें करें
जब भी किसी सहकर्मी से बातें करें, तो नज़रे झुकाकर नहीं, बल्कि नज़रें उठाकर करें. इससे आपका आत्मविश्वास झलकता है. नज़रें वहीं चुरात है, जिसके दिल में खोट होता है.
बेवजह का हंसना
ऑफिस में किसी बात पर तेज़ आवाज़ में अपनी प्रतिक्रिया देना आपके व्यक्तित्व पर सवाल उठा सकता है. इतना ही नहीं सहकर्मी द्वारा किसी बात पर बेवजह हंसना भी ऑफिस माहौल के खिलाफ है.
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