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अमरूद के 9 अमेज़िंग फ़ायदे ( 9 Amazing Guava Benefits)

Guava Benefits अमरूद (Guava Benefits) कई पोषक एवं औषधीय गुणों से युक्त होने के कारण सेहत के लिए बेहद फ़ायदेमंद है. आंवला, नींबू, संतरा व चेरी के बाद अमरूद ही ऐसा फल है, जिसमें विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में मिलता है. बारहमासी फल होने की वजह से अमरूद का सामान्य व औषधीय उपयोग पूरे साल किया जा सकता है. कब्ज़ * हमेशा कब्ज़ रहने की शिकायत हो, तो लगातार कुछ दिनों तक सुबह खाली पेट पके अमरूद खाएं. कब्ज़ की समस्या हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगी. अपचन * दोपहर के भोजन के तुरंत बाद अगर अमरूद खाएंगे, तो अपचन की समस्या कभी नहीं होगी और गरिष्ठ से गरिष्ठ खाना भी पच जाएगा. सांस की दुर्गंध * अमरूद का फल ही नहीं, इसकी डाली भी फ़ायदा पहुंचाती है. सांस की दुर्गंध की समस्या हो, तो इसकी डाली से रोज़ एक बार दातून करें. सांस की दुर्गंध का नाश तो होगा ही, दांत भी चमक जाएंगे. * अमरूद की टहनी से दातून करने से दांत दर्द ठीक हो जाता है और हिलते हुए दांत मज़बूत होते हैं. यह भी पढ़े: नारियल के 11 चमत्कारी फ़ायदे ज़ुकाम * ज़ुकाम और सर्दी होने पर अमरूद का सेवन नहीं करना चाहिए. लेकिन गुनगुने पानी के साथ इसके बीजों का सेवन करने से ज़ुकाम उड़न-छू हो जाता है. अफरा * अफरा होने पर अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाएं. फ़ायदा होगा. मुंह के छाले * अमरूद की पत्तियों में भी औषधीय गुण होते हैं. मुंह में छाले पड़ जाएं, तो इसकी पत्तियों को पानी में उबालें और इस पानी से कुल्ला करें. इससे मुंह के छाले तो ठीक होंगे ही, गला व जीभ भी साफ़ हो जाएंगे. यह भी पढ़े: सेहत से भरपूर पत्तागोभी का रस  वीर्यवर्द्धन * अमरूद को अच्छी तरह धोने के बाद बिना छीले ही काट कर महीन पीस लें और इसमें दूध मिलाएं. फिर इसे छानकर सेवन करें. ऐसा नियमित करने पर वीर्य की वृद्धि होती है. नशामुक्ति * अमरूद के बीज, पत्तियां और फल का सेवन करने से भांग, शराब, गांजा आदि का नशा उतर जाता है. यही नहीं, इनका नियमित उपयोग करने से इन नशीली चीज़ों के सेवन की आदत भी छूट जाती है. * नियमित अमरूद के पत्ते चबाने से सिगरेट पीने और पान खाने की आदत भी छूट जाती है. भूख कम लगना * यदि किसी वजह से भोजन में अरुचि हो गई और भूख कम लगती हो तो अमरूद का सेवन करें. यह समस्या नहीं रहेगी. रात में अमरूद न खाएं, इसकी तासीर ठंडी होती है, अत: इसे शाम को और रात में न खाएं. ख़ासकर सर्दियों में दोपहर या तीसरे पहर में ही इसका सेवन करना उचित रहता है.

- भानुमति नारायण

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