कभी-कभार बच्चे (Children) अपने माता-पिता के सब्र का इम्तिहान लेते हैं. यह बहुत सामान्य बात है. लेकिन अगर बच्चा बार-बार एक ही तरह की ग़लती दोहराने लगे तो यह ख़तरे की घंटी हो सकती है, इसलिए अभिभावकों के लिए ज़रूरी है कि बच्चे के व्यवहार (Behavior) पर ध्यान दें, ताकि भविष्य में अपने आचरण व आदतों के कारण उसे किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. हम आपको बच्चों की 7 ग़लत आदतों (Bad Habits) के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए.
बच्चों को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलना आना चाहिए. यही वजह है कि अभिभावक अपने बच्चों को स्थिति का सामना करना और मुसीबत आने पर पीछे हटने की बजाय उससे सामना करना सिखाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे इसे बेहद गंभीरता से ले लेते हैं. कोई उनके साथ ग़लत तरी़के से पेश आए तो वे उसे सबक सिखाए बिना बाज नहीं आते. अगर आपका बच्चा भी माफ़ करने की बजाय हमेशा बदला लेने के बारे में सोचता है तो यह ग़लत संकेत है.
क्या करें?
अपने बच्चे को माफ़ करने के फ़ायदे बताएं. उसे अपनी भावनाओं के साथ-साथ दूसरे की बात को समझने को कहें, ताकि उसे झगड़े या असहमति की वजह का पता चल सके. साथ ही उसे अरुचिकर परिस्थिति से बाहर निकलना भी सिखाएं.
कुछ बच्चे बेहद ग़ैरज़िम्मेदार किस्म के होते हैं. वे किसी भी काम की ज़िम्मेदारी नहीं लेते. और तो और कोई ग़लती करने पर सारा दोष अपने भाई-बहन या दोस्तों पर थोप देते हैं.
क्या करें?
बच्चे में ज़िम्मेदारी का भाव पैदा करने के लिए उसे कोई ऐसा काम सौंपें, जिसकी जवाबदेही उसे लेनी पड़े. साथ ही उससे समस्या और बुरे बर्ताव का कारण जानने की कोशिश करें.
अपने विचारों का समर्थन करना और अपनी बात रखना अच्छी बात होती है, लेकिन हमेशा अपनी बात पर अड़े रहना ग़लत होता है. बच्चे को परिस्थिति के अनुसार समझौता करना आना चाहिए. माता-पिता को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे में यह गुण पैदा हो.
क्या करें?
बच्चे की भावना को समझने की कोशिश करें और उसके ज़िद की वजह जानने की कोशिश करें. उसे अपनी और दूसरे की भावना को समझने का गुण सिखाएं. उसे बताएं कि वो क्या कर सकता है और क्या नहीं. शांत तरी़के से उसे समझाने की कोशिश करें. लेकिन उसे किसी चीज़ का लालच देकर अपनी बात मनवाने की ग़लती न करें.
कभी-कभी बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए कोई भी तरीक़ा अपनाने से नहीं कतराते, जैसे अगर उन्हें कोई चीज़ चाहिए तो भरे बाज़ार में रोना शुरू कर देते हैं. ऐसे में पैरेंट्स के पास उनकी बात मानने के अलावा कोई चारा ही नहीं होता. अगर आपका बच्चा ऐसा करे तो उसे समझाने की कोशिश करें कि उसका ऐसा व्यवहार किसी को भी अच्छा नहीं लगता व सब उसे नापसंद करेंगे.
क्या करें?
आमतौर पर बच्चा इस तरह का व्यवहार तब करता है, जब उसे अपने माता-पिता का ध्यान आकर्षित करना होता है. इसलिए ज़रूरी है कि बच्चे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं. अगर बच्चा ग़लत तरी़के से काम करे या बात मनवाने के लिए चालाकी करने की कोशिश करें तो आपा खोने की बजाय शांत दिमाग़ से काम लें. यह थोड़ा मुश्क़िल होता है, लेकिन इसके नतीज़े बहुत अच्छे होते हैं.
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3-4 साल तक के बच्चों का नए वातावरण और माहौल से घबराना सामान्य है, लेकिन 5 साल से बड़े बच्चों को नए वातावरण व नई चीज़ों को स्वीकार करना सीखना चाहिए. आजकल के माहौल में नई परिस्थितियों को अपनाने की कला जानना ज़रूरी है. ऐसा नहीं होने पर बच्चे को एडजस्टमेंट में बहुत दिक्कत होती है. उदाहरण के लिए यदि आपका बच्चा किंडरगार्डन जाता है और जब वहां कोई उसकी पेसिंल या टिफिन किसी अलग जगह पर रख देता है तो वह रोने लगता है, तो समझ लीजिए कि उसे बदलाव से डर लगता है. ऐसे में आपको उसके व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए.
क्या करें?
बच्चे को बदलाव के बारे में हमेशा बताते रहें और उसे पहले से ही बदलाव के लिए तैयार रखें. अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखें, क्योंकि बच्चे हावभाव को बहुत जल्दी समझ लेते हैं और आपकी चिंता को भांप लेते हैं. कोशिश करें कि बच्चे को अच्छे दोस्त मिलें, क्योंकि बच्चे दोस्तों के साथ मिलकर चुनौतियों का सामना अपेक्षाकृत आसानी से कर लेते हैं. बच्चे से बात करें, ताकि उसे एहसास हो कि आप उसकी भावनाओं को समझ रहे हैं. ध्यान रखें कि बच्चों के लिए छोटी-छोटी चीज़ें भी बहुत मायने रखती हैं.
कुछ बच्चे स्वभाव से बहुत उग्र होते हैं और वे बिना सोचे-समझे और रिजल्ट की परवाह किए बिना कोई भी कार्य कर देते हैं. ऐसे में अभिभावक का यह फ़र्ज बनता है कि बच्चे को उसके व्यवहार के परिणाम के बारे में पहले ही आगाह कर दें.
क्या करें?
शांत दिमाग़ से काम लें. बच्चे के साथ बैठकर उसके व्यवहार का आंकलन करें और यह जानने की कोशिश करें कि वो ऐसा काम क्यों कर रहा है. बच्चे को आत्म नियंत्रण करना सिखाएं और उसे बताएं कि वो कितना ग़लत व्यवहार कर रहा है.
रूस की एक चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, कैटेरिना मुराशोवा ने 68 टीनएज़र्स (12-18 वर्ष) पर एक शोध किया. उन्हें 8 घंटे किसी दोस्त या गैजेट के बिना अकेले रहने को कहा. 68 में से स़िर्फ 3 ही इस टास्क को आसानी से कर पाए, दूसरे बच्चों को बहुत दिक्कत हुई.
छोटे बच्चे अकेले नहीं रह सकते और यह सामान्य भी है. लेकिन 10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को अकेले स्थिति का सामना करना आना चाहिए. अगर बच्चा ऐसा करने में असमर्थ होता है, तो उसे अपनी भावना पर भी नियंत्रण करने में परेशानी होती है. उसे छोटी-छोटी चीज़ें व्यथित करती हैं, जैसे फोन बंद हो जाना इत्यादि.
क्या करें?
बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें. अचानक ऐसा करना मुमक़िन नहीं है, इसलिए बेहतर होगा कि छुटपन से ही उसमें ऐसी आदत डालने की कोशिश की जाए, ताकि बड़ा होकर उसे किसी तरह की समस्या न हो.
ग़ुस्सा आने पर बच्चे अक्सर चिल्लाते या रोते हैं, लेकिन अगर 10 साल से भी छोटी उम्र में वे गाली देना शुरू कर दें, तो आपको इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.
क्या करें?
इस बात का ध्यान रखें कि आप कभी बच्चे के सामने ग़लत भाषा का प्रयोग न करें और अगर बच्चा ग़लत भाषा का प्रयोग करे तो उसे कड़े शब्दों में समझाएं कि ऐसा बिल्कुल नहीं चलेगा. अगर 3-4 साल का छोटा बच्चा इस तरह की भाषा का प्रयोग करता है तो उसे तुरंत समझाएं कि ये बुरे शब्द हैं और अगर वो इस तरह के शब्द बोलेगा तो कोई उससे बात नहीं करेगा.
झूठ बोलना बच्चों की सामान्य आदत है. बच्चे जब झूठ बोलते हैं तो माता-पिता को बहुत बुरा लगता है, उन्हें समझ में नहीं आता कि आख़िर उनकी परवरिश में क्या कमी रह गई, जिससे बच्चे ने झूठ बोलना सीख लिया. वे ठगा-सा महूसस करते हैं.
क्या करें?
इसे दिल पर न लें, बल्कि यह सोचने की कोशिश करें कि आख़िर किस कारण से बच्चा झूठ बोलने पर विवश हो गया. अक्सर बच्चों को लगता है कि सच बोलने पर उन्हें बहुत डांट पड़ेगी तो वे झूठ बोलने लगते हैं. अत: बच्चे को सच बोलने के लिए प्रेरित करें और ख़ुद उसके रोल मॉडल बनें. अगर इतने प्रयास करने के बाद भी वो झूठ बोलना न छोड़े, तो उसे दंड दें.
ख़तरे के संकेत
* अगर आप एक महीने से ज़्यादा समय से बच्चे के व्यवहार से परेशान हैं.
* आप स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं.
* दूसरे लोग भी आपके बच्चे के व्यवहार से परेशान हैं.
* अगर बच्चे का व्यवहार अचानक बिना किसी कारण से बदल जाएं, जैसे-आपका बच्चा अचानक अपने दोस्तों से बात करना या मिलना-जुलना एकदम कम कर दे.
* बच्चे को स्कूल में भी समस्या हो रही है, जैसे- उसके मार्क्स खराब आने लगें, वो झगड़े करने लगे या क्लास मिस करने लगे.
* नींद, साफ-सफाई और खाने-पीने की आदतों में बदलाव.
– शिल्पी शर्मा
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