कहते हैं पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का होता है, तो फिर क्यों सात जन्मों का यह रिश्ता पलभर में टूट जाता है? क्यों जीवनभर का साथ पलभर का साथ बनकर रह जाता है? ज़रा-सी नासमझी, ज़रा-सी लापरवाही क्यों दो चाहनेवालों को अजनबी बना देती है? कहीं जाने-अनजाने आप भी इसी दौर से तो नहीं गुज़र रहीं हैं?
शादी तय होने के बाद लड़के और लड़की के बीच कम्युनिकेशन बेहद ज़रूरी है. इससे धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के स्वभाव को समझने लगते हैं, विचारों को जानने लगते हैं. जब आपसी समझ होगी तभी आपसी तालमेल संभव है. लेकिन अभी भी कई परिवार ऐसे हैं, जहां लड़के और लड़की को शादी के पहले मिलने और बातें करने की आज़ादी नहीं है. आगे चलकर इससे एक-दूसरे के साथ सामंजस्य बैठाने में काफ़ी परेशानी होती है. वे एक-दूसरे के स्वभाव को समझ नहीं पाते, इसलिए बात-बात पर तू-तू, मैं-मैं होती रहती है. यहां तक कि कई बार शादी टूटने की भी नौबत आ जाती है.
बड़े पैकेज से प्रभावित हो मल्टीनेशनल कंपनी में काम करनेवाली रीना को उसके पति राजीव ने घर से दूर बैंगलोर जाने की इजाज़त तो दे दी, पर कुछ ही महीनों के बाद उनमें अनबन होने लगी. प्यार और विश्वास में कमी आने लगी. दूर रहकर रिश्ते को मेंटेन करना मुश्किल हो गया. आख़िर एक दिन रीना को अपनी शादी बचाने के लिए जॉब ट्रांसफ़र करवाने का फैसला लेना ही पड़ा. आज के ज़माने में पति-पत्नी दोनों ही कामकाजी होते हैं. ऐसे में अगर उनमें से किसी एक को भी अपने करियर के लिए एक-दूसरे से दूर रहना पड़े तो इसमें वे ग़लत नहीं समझते. लेकिन इस दूरी से धीरे-धीरे रिश्ते में भी दूरियां आने लगती हैं. आपसी प्यार डगमगाने लगता है. मोबाइल और इंटरनेट के ज़रिए संपर्क तो हो सकता है, पर संबंध बहुत ज़्यादा समय तक टिका रहे या पहले जैसा विश्वास बना रहे, ये मुश्किल है. बल्कि ऐसे रिश्तों में किसी तीसरे के आने की ज़्यादा संभावना होती है. ऐसे में शादी के टूटने की संभावना ़ज़्यादा होती है.
एडवर्टाइज़िंग कंपनी में काम करनेवाली सुहासिनी मेनन कहती है, “मेरे लिए अपने परिवार से बढ़कर कुछ भी नहीं है. लेकिन जब काम के लिए ऑफ़िस में ज़्यादा समय देना पड़ता है तो मुसीबत हो जाती है. कभी-कभार ऐसा हो तब तो मेरे पति सब कुछ मैनेज कर लेते हैं. लेकिन यदि ज़्यादा दिनों तक ये सिलसिला चल जाए तो मेरे पति बर्दाश्त नहीं करते. हम चाहे बाहर की कितनी ही ज़िम्मेदारियां संभाल लें, लेकिन घर व पति को समय न दें तो गृहस्थी की गाड़ी डगमगा जाती है.” आजकल पति-पत्नी दोनों के कामकाजी होने से उनकी पर्सनल लाइफ़ पर भी प्रभाव पड़ता है. कामकाज के बोझ तले रिश्ते दम तोड़ने लगते हैं. इसलिए ऑफ़िस व घर को बैलेंस करके चलने में ही समझदारी है.
रिश्तों को पनपाने के लिए उन्हें प्यार से सींचना पड़ता है. सुबह से शाम तक यदि आप घर-किचन आदि को सजाने-संवारने में ही बिता देंगी या दिनभर बच्चों व अन्य काम से ही ़फुर्सत नहीं मिलेगी तो पति के साथ समय बिताने के लिए व़क़्त ही कहां होगा. इससे बेहतर तो यह है कि आप अपने पति के साथ काम बांट लें. इससे आप पर सारा बोझ भी नहीं पड़ेगा और काम की ज़िम्मेदारी साथ निभाने से आपसी प्यार भी बढ़ेगा. इस बारे में सोनी कहती है, “ मेरे पति राजीव ने कभी भी ऐसा नहीं सोचा कि घर का काम पत्नी को ही करना चाहिए. मुझ पर घर और बाहर दोनों की ज़िम्मेदारियां हैं और वो इस बात को अच्छी तरह समझते हैं. वो मुझसे पहले घर पहुंच जाते हैं और मुझे ऑफ़िस से निकलने में देर हो जाती है. जब घर पहुंचती हूं तो वे सब्ज़ी वगैरह काटकर रखते हैं और बच्चे को भी संभाल लेते हैं. आने के बाद मैं बाकी काम निपटा लेती हूं, इस तरह ऑफ़िस से आने के बाद हम दोनों सोने के पहले एक-दो घंटे स़िर्फ अपनी दिनभर की बातों को शेयर करने के लिए रखते हैं. मुझे लगता है कि एक-दूसरे के लिए व़क़्त निकालने से रिश्तों में और मिठास व निकटता आती है.”
आज की लाइफ़ इतनी व्यस्त हो गई है कि एक-दूसरे के लिए समय निकालना ही मुश्किल हो गया है. पत्नी-पत्नी दोनों कामकाजी हों या न हों, दोनों ही हालात में यह स्थिति होने लगी है. इसलिए एक-दूसरे के लिए समय निकालें. सप्ताहांत में बाहर घूमने जाएं, कोई फ़िल्म देखें या फिर साथ में शॉपिंग पर जाएं. आप चाहें तो रोज़ाना मॉर्निंग वॉक पर साथ जाएं. हर तरह की बातें शेयर करें. हर पल को भरपूर जीएं. इससे आपकी शादीशुदा ज़िंदगी की उम्र बढ़ जाएगी. एक-दूसरे को समय न देने से हर बात की ग़लतफ़हमियां बढ़ती चली जाती हैं, जो बाद में रिश्ते को प्रभावित करती हैं.
शादी की है तो रिश्ता निभाना सीखें. एक-दूसरे में मीन-मेख न निकालें. न ही किसी के सामने अपने पार्टनर की आलोचना करें. इससे उनके अहम को ठेस लगती है. यदि आपको एक-दूसरे से शिकायत है तो मिलकर आपसी शिकायत दूर करें. सरेआम उनकी बुराई करके दूसरोें के सामने अपने पति को शर्मसार न करें, न ही इस पवित्र रिश्ते का तमाशा बनाएं. अच्छाई और बुराई सब में होती है, आप में भी तो होगी. इसलिए अपने पार्टनर की अच्छाइयों को देखें, बुराई को नहीं. उनके काम की सराहना करें. प्यार देंगे तो बदले में प्यार मिलेगा.
दोस्त बनाना कोई ग़लत बात नहीं. आजकल ऑफ़िस में लड़के और लड़कियांं साथ काम करते हैं. इसलिए अपने पति की सहकर्मी को लेकर कभी शक न पालें. शक ऐसा कीड़ा है, जो एक बार रिश्ते में लग गाए तो शादीशुदा ज़िंदगी को ख़त्म कर देता है. लेकिन साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं आपकी लापरवाही किसी गैर व्यक्ति को आपके दांपत्य में सेंध लगाने की आज़ादी न दे दे. आंख बंद करके अपने पार्टनर पर भरोसा भी न करें. ऐसे मामले में समझदारी बरतें.
माना कि पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार ज़रूरी है, पर प्यार की पूर्णता के लिए सेक्स भी ज़रूरी है. अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को खुलकर अभिव्यक्त करें. एक-दूसरे से निःसंकोच बात करें. आजकल के पति-पत्नी कामकाजी होने के कारण इतने ़ज़्यादा व्यस्त हो गए हैं कि उन्हें सेक्स के लिए भी समय नहीं मिलता. इससे धीरे-धीरे उनके बीच दूरियां बढ़ती चली जाती हैं.
रिश्ते में प्यार पालें, अहम् नहीं. छोटी-छोटी बातों को ईगो की वजह न बना लें. किसी बात पर अगर कहा-सुनी हो जाए तो उस बात को अनावश्यक खींचें नहीं. शांत मन से सोचें और फिर बात करने की पहल करें. कभी-कभी छोटी-सी बात भी तिल का ताड़ बन जाती है. बेहतर होगा कि बड़ी से बड़ी बातों को भी समझदारी से हल करें. सुरभि कहती है, “मेरे और विवेक के बीच ज़रा-ज़रा-सी बात को लेकर झगड़े हो जाते हैं, लेकिन विवेक हर बात को आसानी से संभाल लेता है, पर जब किसी बात पर उसे बहुत ़ज़्यादा ग़ुस्सा आ जाए और वह पहल न करे तो मैं समझ जाती हूं कि मामला गंभीर है. तब मैं यह नहीं देखती कि कौन सही है और कौन ग़लत. बस, किसी तरह उसे मना लेती हूं. बाद में शांति से बैठकर दोनों अपनी ग़लती का एहसास कर लेते हैं और फिर ख़ूब हंसते भी हैं अपनी बेवकूफ़ियों पर. इस तरह हम अपनी ही ग़लतियों का मज़ाक उड़ाकर अहम् को भी हवा में उड़ा देते हैं. शायद यही है हमारे पऱफेक्ट मैरेज का राज़.”
– सुमन शर्मा
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