हींग कटु, तीक्ष्ण, पाचन और हृदय के लिए हितकारी है. यह रुचिकारक, वात-कफ़ को दूर करनेवाली उदर संबंधी रोग, पेट की गैस और कृमियों को नष्ट करनेवाली है.
घरेलू नुस्ख़े
* हींग, सोंठ और मुलहठी- समान मात्रा में लेकर पीस लें. फिर शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियां बना लें. भोजन के बाद एक गोली मुंह में रखकर दोनों व़क्त चूसें. कब्ज़ से राहत मिलेगी.
* 2 चम्मच सरसों के तेल में 1 ग्राम हींग, दो कली लहसुन और ज़रा-सा सेंधा नमक भून लें. जब हींग जल जाए, तो तेल को छानकर बॉटल में भर लें. कान में दर्द या सायं-सायं की आवाज़ होने पर 2-2 बूंद तेल प्रतिदिन रात को कानों में डालें. प्रतिदिन एक सप्ताह तक ऐसा करने से कान का दर्द, खुश्की और सायं-सायं की आवाज़ की शिकायत दूर हो जाती है.
* पेट में गैस हो गई हो, पेट फूल गया हो, पेट में दर्द हो रहा हो, तो नाभि के आसपास और पेट पर हींग का लेप करने से थोड़े समय में ही आराम आ जाता है.
* हींग, कपूर और आम की गुठली सममात्रा में लेकर पुदीने के रस में पीसकर चने के बराबर गोलियां बना लें. 4-4 घंटे के अंतराल पर यह गोली देने पर हैजे में फ़ायदा होता है.
* हींग को घी में भून लें. फिर कालीमिर्च, वायविडंग, कूठ, सेंधा नमक और भुनी हुई हींग- सभी समान मात्रा में लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें. कुकुर खांसी होने पर आधा से एक ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार चाटें. यह चमत्कारिक नुस्ख़ा है. इससे एक हफ़्ते में कुकुर खांसी दूर हो जाएगी.
* हींग को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ले करने से दांत की पीड़ा दूर होती है. यदि दांत में पोल हो, तो पोल में हींग भरने से दांत के कीड़े मर जाते हैं और दांत की पीड़ा दूर हो जाती है.
* हींग, सेंधा नमक और घी 10-10 ग्राम लेकर 120 मि.ग्रा. गोमूत्र में मिलाएं. फिर इसे आंच पर रखकर इतना पकाएं कि केवल घी बाकी रह जाए. यह घी पीने से मिर्गी रोग का शमन होता है.
* 10-10 ग्राम हींग, कालीमिर्च और कपूर व 4 ग्राम अफीम लेकर अदरक के रस में छह घंटे तक घोंटें. फिर 1-1 रत्ती की गोलियां बनाएं. 1 से 2 गोली दिन में तीन बार लेने से दस्त से छुटकारा मिलता है.
* बिच्छू के दंश मारने पर हींग को घिसकर दंशवाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है.
* गिल्टी के दर्द में एक बीज निकाला हुआ मुनक्का लेकर उसमें दो ग्राम भुनी हींग मिलाकर चबाकर खाएं. जाएं. ऊपर से दो घूंट गरम पानी पी लें. असर होते देर नहीं लगेगी. दूसरे दिन इस दवा की एक ख़ुराक और ले लें. रोग हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगा.
* हींग और अफीम बराबर मात्रा में लेकर तिल के तेल या मोम व तिल में अच्छी तरह पीसें और फेंटकर मलहम बना लें. इस मलहम को कंठमाला पर लगाने से कंठमाला पककर फूट जाता है और आराम मिलता है.
* घी में भूनी हुई हींग घी के साथ खाने से गर्भवती स्त्री को आनेवाला चक्कर (सिर चकराना) और शूल मिटता है.
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