किसी ने बहुत ख़ूब कहा है कि मर्यादाएं (Limitations) ज़रूरी हैं रिश्तों (Relationships) के दरमियां, जब ये टूटती हैं, परिवार बिखर जाते हैं. हंसी-मज़ाक, छेड़छाड़ और शरारतें तो हर रिश्ते में होती हैं, पर ये चीज़ें मर्यादा में रहें, तभी अच्छी लगती है, क्योंकि हद पार करते ही ये अर्मादित हो जाती हैं. तो क्यों न आप भी समझें रिश्तों की एलओसी, ताकि रिश्तों में कभी कोल्ड वॉर न आए.
जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे पैरेंट्स, दोस्तों और रिश्तेदारों से हम बहुत कुछ सीखते हैं. रिश्तों को मान-सम्मान देना, प्यार-विश्वास, त्याग और समर्पण जैसी कई चीज़ें सीखते हैं. इन्हीं सबको देखकर हम रिश्तों की मर्यादा यानि लाइन ऑफ कंट्रोल ड्रॉ करना भी सीखते हैं. साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चित्रा मुंशी कहती है कि ये चीज़ें हम में पैदाइशी नहीं होतीं, बल्कि समय के साथ धीर-धीरे सीखते हुए आती हैं. बहुत-से लोगों को यह ग़लतफ़हमी होती है कि अगर हम अपनी लाइन ड्रॉ करेंगे, तो लोग उसे दीवार समझकर हमें ग़लत न समझ बैठें, जबकि ऐसा है नहीं. आपको क्या सही लगता है, क्या ग़लत लगता है, बताने से आपके साथ-साथ सामनेवाले का भी मान-सम्मान बना रहता है.
हर रिश्ते की अपनी मर्यादा होती है, लेकिन इसे शुरू हमें ख़ुद से करना होता है. यह कोई ऐसी चीज़ नहीं, जो हम दूसरों के लिए करते हैं, बल्कि मर्यादाओं का पालन हम अपनी सुरक्षा और मान-सम्मान के लिए करते हैं.
– रिश्तों में एलओसी या मर्यादा ख़ुद की सुरक्षा के लिए ज़रूरी होती है. अगर आप लाइन ड्रॉ नहीं करेंगे, तो लोग उसे क्रॉस करके आपके
मान-सम्मान को चोट पहुंचा सकते हैं.
– ताकि आप किसी और की ग़लतफ़हमी का शिकार न बनें.
– आप परिस्थितियों का शिकार न बन जाएं.
– इसके बिना लोग आपको फॉर ग्रांटेड लेते हैं.
सबसे पहले जो बाउंड्री हम सीखते हैं, वो है किसी से किसी दूरी बनाए रखें. आमतौर पर बच्चों को सिखाया जाता है कि किसी से भी एक हाथ की दूसरी पर रहकर ही बात करनी चाहिए. ऐसे बहुत-से लोग हैं, जो इस दूरी का ध्यान नहीं रखते, जिससे दूसरे को असहजता महसूस होती है.
– परिवार में भी इस बाउंड्री का ख़्याल रखना चाहिए, क्योंकि किसी का भी बार-बार टच करके बात करना सभी को पसंद नहीं आता.
– अगर आपको भी यह पसंद नहीं, तो उससे भागने की बजाय अपनी बात प्यार से समझाएं.
– कुछ दोस्तों को भी हमेशा टच करके बात करने की आदत होती है, आप प्यार से अपने दोस्त को अपनी बाउंड्री के बारे में समझाएं.
– पैरेंट्स, भाई-बहन, पति या पत्नी से इमोशनली इस कदर जुड़े होते हैं कि उनके बिना रह पाने के बारे में सोच भी नहीं पाते. लेकिन दूसरों से एक भावनात्मक दूरी बनाए रखते हैं.
– हमें इमोशनली इतना मज़बूत होना चाहिए कि किसी भी मुश्किल हालात में डटे रहें.
– किसी पर इमोशनली इतने डिपेंडेंट न हो जाएं कि उसके बिना जीने की कल्पना भी आपको दूभर लगे.
आजकल रिश्तों में इस बाउंड्री की बहुत ज़रूरत है. आपकी प्राइवेसी आपके अपने हाथ में है. अपनी डिजिटल लाइफ में किससे कितनी
दूरियां-नज़दीकियां रखनी हैं, यह आपको ख़ुद तय करना होगा.
– रोशनी की 17 वर्षीया बेटी ने उसके मोबाइल पर उसके दोस्त द्वारा भेजी ईमोजी देखी. जिसे देखकर उसे ग़लतफ़हमी हो गई कि मम्मी का उनके दोस्त के साथ अफेयर है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था. न रोशनी ने और न ही उनकी बेटी ने डिजिटल बाउंड्री का ख़्याल रखा, जिससे उनके रिश्ते में ग़लतफ़हमी आ गई. डॉ. चित्रा मुंशी कहती हैं कि हैप्पी फैमिली के लिए ज़रूरी है कि आप एक-दूसरे के मोबाइल चेक न करें. पैरेंट्स का बच्चों पर नज़र रखना अलग बात है, लेकिन हर किसी को अपनी डिजिटल बाउंड्री का ख़्याल रखना चाहिए.
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– बाउंड्री बनाना सबसे कठिन काम है, इसलिए अचानक से लाइन ड्रॉ न करें, वरना सब आपको घमंडी और मगरूर समझ बैठेंगे. धीरे-धीरे बताएं कि मुझे यह पसंद नहीं.
– परिवार में अगर किसी ने लाइन क्रॉस की है, तो उनकी ग़लती बताने की बजाय, वह आपको पसंद नहीं ऐसा बोलें.
– ‘आप ऐसे कैसे बोल सकते हैं’ कि बजाय ‘मुझे इस बात से तकलीफ़ हुई’ ऐसा बोलें.
हर रिश्ते में हो मर्यादा: माता-पिता, भाई-बहन या फिर पति-पत्नी ही क्यों न हों, सभी को अपने रिश्तों की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. पैरेंट्स हों या भाई-बहन हर किसी से बात करते समय मर्यादा का ध्यान रखें.
मज़ाक किसी को शर्मिंदा न करे: मज़ाक अगर किसी के मान-सम्मान को चोट पहुंचानेवाला हुआ, तो वो मज़ाक नहीं रह जाता. ऐसे भी बहुत-से लोग हैं, जो मज़ाक के बहाने कटाक्ष करते हैं और बुरा लगने पर कहते हैं कि वो तो मज़ाक कर रहे थे. ऐसे मज़ाक कभी न करें, जिससे उस व्यक्ति को दूसरों के सामने शर्मिंदगी महसूस हो.
झिड़की और फटकार प्यार नहीं: अक्सर लोग बड़ों से बात करते समय मर्यादा का ख़्याल रखते हैं, पर छोटो को झिड़कना और फटकारना अपना अधिकार समझते हैं. बच्चों के सम्मान का भी ख़्याल रखें.
दोस्त बनें कॉपीकैट नहीं: दोस्ती का मतलब एक-दूसरे को समझना, बातें शेयर करना और हक़ जताना है, पर कुछ लोग हक़ जताने के चक्कर में वही करने लगते हैं, जो उनका दोस्त करता है. उसी के जैसी हरकतें करना, कपड़े पहनना, सोशल स्टेटस रखना जैसी चीज़ें आपके दोस्त को इरिटेट कर सकती हैं. अपनी दोस्ती की मर्यादा बनाए रखें और दोस्त को कभी कॉपी न करें.
काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ. माधवी सेठ ने बताया कि रिश्तों में मर्यादा इसलिए भंग होती है, क्योंकि हर किसी के लिए इसके मायने अलग होते हैं. जो हमारे लिए सही है, ज़रूरी नहीं कि वो पार्टनर को भी सही लगे.
– पति-पत्नी के रिश्ते में लाइन क्रॉस करने के मामले सबसे ज़्यादा होते हैं, क्योंकि एक-दूसरे को कंट्रोल करने की भावना इनमें प्रबल होती है.
– पार्टनर को कितना हंसना चाहिए, कितना बोलना चाहिए, किससे मिलना चाहिए, किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए?
हैप्पी टिप्स
– प्यार का मतलब कंट्रोल करना नहीं, बल्कि आज़ादी देना है, इसलिए अपने प्यार को कभी कंट्रोल करने की कोशिश न करें.
– आप अपनी लाइन क्रॉस नहीं करेंगे, तो पार्टनर भी अपनी हद का ख़्याल रखेगा.
– शादी से पहले ही इन चीज़ों में क्लारिटी रखें.
– आप जो भी हैं, जैसी भी पार्टनर से उम्मीदें हैं, उनसे शेयर करें.
– पार्टनर के लिए और फैमिली के लिए आप जितना कर सकती हैं, वह अपने पार्टनर को बताएं. अपनी लिमिटेशन्स आपको ख़ुद बतानी होंगी.
– पार्टनर्स को यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें भले ही कितना भी ग़ुस्सा आए, वो हाथ नहीं उठा सकते, ग़लत बात नहीं कह सकते.
– सुनीता सिंह
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