हेल्दी और फिट रहने के लिए हेल्दी आदतों का होना अच्छी बात है, लेकिन जब यही अच्छी आदतें हद से ज़्यादा बढ़कर सनक बन जाती हैं तो आपको फिट रखने की बजाय नुक़सान ही ज़्यादा पहुंचाती हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि कुछ चीज़ों केओवर डोज़ से बचा जाए… बहुत ज़्यादा डायटिंग करना: अपने बढ़ते वज़न पर नज़र रखना और उसको कंट्रोल में रखने के लिए डायटिंग करना अच्छी बात है, लेकिन जब ये डायटिंग हद से ज़्यादा बढ़ जाती है तो वो आपको फिट और स्लिम रखने की बजाय कमज़ोर करने लगती है. कुछ लोग पतले बने रहने के चक्कर में खाना-पीना ही बंद कर देते हैं, जबकि डायटिंग का मतलब खाना बंद करना नहीं होता, बल्कि अनहेल्दी खाने को हेल्दी खाने से रिप्लेस करना होता है. लेकिन जब आप खाना एकदम ही कमकर देते हो, तो शरीर में पोषण की कमी होने लगती है और आप कमज़ोर होकर कई हेल्थ प्रॉब्लम्स से घिर जाते हो. बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज़ करना: फिट रहने के लिए एक्सरसाइज़ करना बहुत ही हेल्दी हैबिट है, लेकिन ओवरएक्सरसाइज़ से आपको फ़ायदा कम और नुक़सान ज़्यादा होगा. यह न सिर्फ़ आपको थका देगी, बल्कि इससे आपकीमसल्स या बॉडी डैमेज तक हो सकती है. हेवी वर्कआउट के बाद बॉडी को रेस्ट की भी ज़रूरत होती है, वरना शरीर थकजाएगा और आप ऊर्जा महसूस नहीं करेंगे. बहुत ज़्यादा सप्लीमेंट्स खाना: कुछ लोगों की आदत होती है कि वो अपनी हेल्थ को लेकर ज़्यादा ही सोचते हैं और इसओवर कॉन्शियसनेस की वजह से खुद को फायदे की बजाय नुक़सान पहुंचा लेते हैं. बिना किसी सलाह के सिर्फ़ यहां-वहांसे पढ़कर या किसी की सलाह पर सप्लीमेंट्स खाना आपको गंभीर रोगों के ख़तरे तक पहुंचा सकता है. अगर आप फिट हैंऔर हेल्दी खाना खाते हैं तो सप्लीमेंट की ज़रूरत ही क्या है. इसी तरह से जो लोग बहुत ज़्यादा मल्टी विटामिंस लेते हैं उन्हेंकैंसर का ख़तरा अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है, क्योंकि इनके अधिक सेवन से कोशिकाओं का सामान्य निर्माणक्रम प्रभावित होकर रुक जाता है. अगर आप विटामिन सी अधिक मात्रा में लेते हैं, तो डायरिया का ख़तरा बढ़ जाता है, इसी तरह बहुत ज़्यादा विटामिन बी6 नर्व को डैमेज कर सकता है और अगर गर्भावस्था में विटामिन ए की अधिकता हो गईतो उससे बच्चे में कुछ बर्थ डिफ़ेक्ट्स हो सकते हैं. बेहतर होगा जो भी खाएं सीमित और संतुलित मात्रा में ही खाएं. पानी बहुत ज़्यादा पीना: पानी सबसे हेल्दी और सेफ माना जाता है, लेकिन अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती. बहुतज़्यादा पानी पीने से रक्तप्रवाह में सोडियम को पतला कर देता है, जिससे मस्तिष्क की कार्य प्रणाली बिगड़ सकती है औरयहां तक कि व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. इस अवस्था को हाईपोरिट्रेमिया कहते हैं जो उन लोगों में अधिक पाई जातीहै, जो खुद को बहुत ज़्यादा हाइड्रेट करते हैं, जैसे- एथलीट्स वग़ैरह. इसी तरह जिन लोगों को कुछ मेडिकल कंडिशन होतीहै उनको भी ज़्यादा पानी मना है, जैसे- कोरॉनरी हार्ट डिसीज़ वालों को अधिक पानी के सेवन से बचना चाहिए. दरअसलआपके शरीर को जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत होती है, तो वो खुद ही आपको सिग्नल दे देता है, इसीलिए जब शरीर कोपानी की ज़रूरत होती है, तो आपको प्यास लगती है, लेकिन कुछ लोगों की आदत ही होती है कि वो बिना सोचे-समझेगिन-गिनकर नाप-तोलकर ज़बर्दस्ती पानी पीते रहते हैं ये सोचकर कि इससे उनका पाचन अच्छा होगा और स्किन भी ग्लोकरेगी. शुगर की जगह आर्टिफ़िशियल स्वीटनर का ज़्यादा प्रयोग: माना शुगर कम करना हेल्दी हैबिट है, लेकिन इसकी जगह आर्टिफ़िशियल स्वीटनर का ही इस्तेमाल करना शुरू देना वज़न कम करने की बजाए बढ़ाता है. इसके अलावा शुगर काएकदम ही प्रयोग बंद करने से आपका शुगर लेवल कम होकर कमज़ोरी का एहसास कराएगा. ऊर्जा के लिए शुगर भी ज़रूरी है. दांतों को बहुत ज़्यादा और देर तक ब्रश करना: कई लोगों की ये मान्यता है कि दांतों को जितना घिसेंगे, वो उतने हीचमकेंगे. लेकिन बहुत ज़्यादा देर तक ब्रश करने से आप दांतों के इनामल को नुक़सान पहुंचाते हैं और साथ ही मसूड़े भीडैमेज होते हैं इससे. बेहतर होगा सॉफ़्ट ब्रिसल्स वाला टूथ ब्रश यूज़ करें और बहुत ज़ोर लगाकर ब्रश न करें. हेल्दी फल व सब्ज़ियों का ज़्यादा सेवन: चाहे फल हों या सब्ज़ियां या कोई भी हेल्दी फूड उनका ज़रूरत से ज़्यादा सेवन भीख़तरनाक हो सकता है. हरी सब्ज़ियां जहां आपका पर अपसेट कर सकती हैं, वहीं गाजर से आपको ऑरेंज स्किन कीसमस्या हो सकती है. इसी तरह इन दिनों ऑलिव ऑइल भी बहुत पॉप्युलर है लेकिन इसके ज़्यादा प्रयोग से आप सिर्फ़अधिक कैलरीज़ और फ़ैट्स ही बढ़ाएंगे. साबुन-पानी की बजाय बहुत ज़्यादा सैनिटायज़र का इस्तेमाल: माना आज COVID के चलते सैनिटायज़र बेहद ज़रूरीऔर मस्ट हैव प्रोडक्ट बन चुका है, लेकिन अगर आप घर पर हैं और साबुन से हाथ धोने का ऑप्शन है तो बेहतर होगा कि साबुन-पानी का उपयोग करें, क्योंकि सैनिटायज़र के अत्यधिक इस्तेमाल से कीटाणु, वायरस और बैक्टीरीया अपनीप्रतिरोधक शक्ति उसके ख़िलाफ़ बढ़ा लेते हैं और फिर एक समय के बाद सैनिटायज़र उनके ख़िलाफ़ अपना असर खोदेता है. बहुत ज़्यादा सोना: यह सच है कि अच्छी और गहरी नींद बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है. साथ ही हेल्दी स्किन केलिए भी आपकी ब्यूटी स्लीप वरदान है, लेकिन अगर आप ये सोचकर ज़रूरत से ज़्यादा ही सोते हैं तो आप सिर्फ़ मोटापेऔर हेल्थ समस्याओं को न्योता देंगे. शोध बताते हैं कि ज़्यादा सोने से बहुत सी हेल्थ समस्या हो सकती हैं. सोया का बहुत ज़्यादा सेवन: माना ये प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है और काफ़ी हेल्दी माना जाता है, लेकिन स्टडीज़ बतातीहैं कि इसके ज़्यादा इस्तेमाल से रिप्रोडक्टिव सिस्टम कर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. घी-तेल बंद कर देना: माना इनमें फैट्स होता है और इनका बहुत ज़्यादा सेवन नुक़सान करता है, लेकिन देसी घी स्वास्थ्यके लिए और शरीर में नमी बनाए रखने के लिए ज़रूरी है. सीमित मात्रा में इनका प्रयोग ज़रूर करें, वर्ना शरीर भीतर से तोड्राई होगा ही, आपकी स्किन और बाल भी ड्राई होते जाएंगे. बेहतर होगा अच्छे घी और तेल का इस्तेमाल संतुलित मात्रा मेंकरें और वैसे भी गुड फ़ैट्स तो हेल्दी रहने के लिए बहुत ज़रूरी है, इनसे वज़न को कंट्रोल में रखने के लिए मदद ही मिलती. हनी…
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क्या है डिप्रेशन- समझें इसकी गंभीरता को, क्योंकि यह जानलेवा भी हो सकता है! डिप्रेशन भले ही बेहद सामान्य सा शब्द लगता हो, क्योंकि इसे हम लगभग रोज़ाना ही सुनते कहते आए हैं और शायद यहीवजह है कि हम इसे बहुत हल्के में लेते हैं. लेकिन सावधान, डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक समस्या है जो जानलेवा भी साबित हो सकती है. ना जाने कितने सेलिब्रिटीज़ इसको लेकर बात भी कर चुके हैं और कुछ ने तो इसी के चलते अपना जीवन तक समाप्त करलिया. डिप्रेशन की गंभीरता को समझने के लिए यह सबसे पहले डिप्रेशन को समझना होगा. डिप्रेशन क्या है? यह एक मानसिक समस्या है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे निराशा की तरफ़ बढ़ने लगता है. रोज़मर्रा के क्रिया कलापों मेंउसकी दिलचस्पी कम होने लगती है. वो खुद में ही सिमटता जाता है, किसी से मिलने जुलने और यहां तक कि बात तककरने में उसे कोई रुचि नहीं रहती. खाने पीने व सोने की आदतों में बदलाव आने लगता है. अपने बारे में नकारात्मक ख़्यालआने लगते हैं. ऊर्जा कम हो जाती है. यदि समय रहते डिप्रेशन का इलाज नहीं किया गया तो यह व्यक्ति को आत्महत्याजैसा क़दम तक उठाने को मजबूर कर देता है. कारण विशेषज्ञ कहते हैं कि डिप्रेशन कई वजहों से हो सकता है, जिनमें शारीरिक, मानसिक और समाजिक कारण मुख्य हैं. शारीरिक: गंभीर या लंबी बीमारी, हार्मोंस, आनुवंशिकता, दवाओं का सेवन, साइडइफेक्ट, नशे की लत या दुर्घटना आदि. मानसिक: रिश्तों में तनाव, धोखा, भावनात्मक कारण, किसी अपने से अलगाव या मृत्यु आदि. समाजिक: नौकरी, आर्थिक तंगी, आस पास का वातावरण व लोग, मौसम में बदलाव, अप्रिय स्थितियाँ, तनाव आदि. इन कारणों से मस्तिष्क के काम करने के तरीक़े में बदलाव व सोचने समझने को क्षमता पर असर होता है. जिससे मस्तिष्कके कुछ न्यूरल सर्किट्स की कार्य प्रणाली में बदलाव आता है. मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण डिप्रेशन होता है. न्यूरोट्रांसमीटर्स मस्तिष्क में पाए जानेवाले रसायन होते हैं, जो मस्तिष्क और शरीर के विभिन्न हिस्सों में सामंजस्य या तारतम्यता स्थापित करते हैं. इनकी कमी से व्यक्ति में डिप्रेशनके लक्षण नज़र आने लगते हैं. यह आनुवांशिक होता है इसलिए कुछ लोगों में अन्य लोगों के मुक़ाबले डिप्रेशन में जाने कीआशंका अधिक होती है. बेहद ख़तरनाक हो सकता है डिप्रेशन! आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत सहित विश्वभर में डिप्रेशन की समस्या तेज़ी से फैलती जा रही है. भारतदुनिया का सबसे डिप्रेस्ड यानी अवसादग्रस्त देश है, दूसरे नंबर पर चीन व तीसरे पर अमेरिका आता है. इस दिशा में WHO (डब्ल्यूएचओ) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 56,675,969 लोग डिप्रेशनके शिकार हैं, जो कि भारत की जनसंख्या का 4.5% है. इतना ही नहीं, डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि 36% भारतीयअपने जीवन के किसी न किसी हिस्से में डिप्रेशन का शिकार होते हैं. भारतीय युवाओं में भी डिप्रेशन तेज़ी से पैर पसार रहा है. बात रिसर्च की करें तो हर 4 में से 1 किशोर डिप्रेशन का शिकार…