यह तो हम जानते हैं कि वज़न घटाना (Weight Loss) हमारे लिए फ़ायदेमंद होता है, लेकिन कितना? इसका अंदाज़ा कम लोगों को ही होता है. वज़न कम होने पर पूरे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे हमारी याद्दाश्त से लेकर लंग्स फंक्शनिंग तक बेहतर होती है. जानिए वज़न कम करने पर अलग-अलग अंगों पर होने वाले सकारात्क प्रभावों के बारे में.
लंग्स
अगर ओवरवेट लोग अपने मौजूदा वज़न का 5 से 10 फ़ीसदी वेट कम करने में क़ामयाब हो जाते हैं तो उनके लंग्स यानी फेफड़े सही तरी़के से काम करते हैं और सांस फूलने की समस्या कम होती है. इससे रोज़मर्रा के कामकाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वज़न कम होने पर सीढ़ियां चढ़ने पर सांस नहीं फूलती है.
लिवर
वज़न घटाने से लिवर में चर्बी कम होती है. आपको बता दें कि लिवर में फैट ज़्यादा होने पर बहुत-सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं. कुछ केसेज़ में लिवर कैंसर, यहां तक कि लिवर फेल होने का ख़तरा भी होता है, लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि वज़न घटाकर लिवर को पहुंची क्षति को कम करके सामान्य स्थिति में पहुंचाया जा सकता है.
पीठ
जिन लोगों का वज़न अधिक होता है, उन्हें पीठ दर्द होने की संभावना ज़्यादा होती है. वज़न कम होने पर न स़िर्फ दर्द से छुटकारा मिलता है, बल्कि मूवमेंट में भी आसानी होती है. वज़न कम होने पर मसल्स और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है, जिससे पीठ पर कम प्रेशर पड़ता है.
पेट
यूके चैरिटी बीटिंग बाउल कैंसर के अऩुसार, वज़न ज़्यादा होने पर पेट का कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है. वज़न संतुलित होने पर पेट के कैंसर से बचना आसान होता है. खाने में फल, सब्ज़ियां और साबूत अनाज शामिल करके पेट के कैंसर से बचा सकता है.
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मस्तिष्क
वज़न सही रखने से उम्र बढ़ने पर भी मस्तिष्क सही तरी़के से काम करता है और याद्दाश्त भी बेहतर होती है. बहुत से शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि वज़न कम करने से याद्दाश्त अच्छी होती है और मस्तिष्क बेहतर तरी़के से काम करता है.
दिल
यूनिर्वसिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, यूएस के डॉक्टर्स के अनुसार, वज़न कम करने से हृदय सेहतमंद होता है. एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि 5 से 10 फ़ीसदी वज़न घटाने से आर्टरीज़ की चौड़ाई घटती है, जिससे दिल से संबंधित बीमारियां होने का ख़तरा कम होता है.
घुटने
अगर किसी व्यक्ति का बीएमआई 30 से अधिक है तो उसको ऑस्टियोआर्थराइटिस होने की आशंका बढ़ जाती है. आधा किलो वज़न घटाने पर भी घुटनों पर पड़ने वाले दबाव में चार गुना कमी आती है, यानी थोड़ा-सा वज़न कम करने पर भी हमारे शरीर का भार उठाने वाले घुटनों पर पड़ने वाले दबाव में काफ़ी कमी आती है.
ब्रेस्ट
बहुत से अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि अगर ओवरवेट महिलाएं 5 फ़ीसदी भी वज़न कम करती हैं तो उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का ख़तरा 20 से 25 फ़ीसदी तक कम हो जाता है.
पैर
वज़न बढ़ने पर चलने-फिरने का ढंग भी बदल जाता है. इससे दोनों पैरों के बीच का गैप बढ़ जाता है और टोज़ आगे की ओर उठ जाते हैं, जिससे पैरों में स्थिरता कम हो जाती है और घुटने, पैर, हिप व पीठ में दर्द की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे में वज़न कम करने पर 12 हफ़्तों के भीतर ही ये समस्याएं कम हो जाती हैं.
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