– नींबू एक बहुत ही उम्दा डिटॉक्सीफायर है. रोज़ाना सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में 1 नींबू निचोड़कर पीने से वज़न काबू में रहता है और शरीर से टॉक्सिन्स भी निकल जाते हैं.
– नींबू में बहुत अधिक मात्रा में विटामिन सी होता है, जो शरीर के लिए बेहद आवश्यक तत्व है. विटामिन सी और नींबू में पाए जानेवाले अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स मिलकर हमें कैंसर से दूर रखते हैं.
– शरीर में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा हो, तो प्रदूषण से भी लड़ा जा सकता है.
– ताज़े नींबू के रस में 20 से ज़्यादा एंटीकैंसर कंपाउंड्स होते हैं, जो शरीर का पीएच बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं.
– हम सब प्याज़ के गुण-धर्मों से भलीभांति परिचित हैं. प्याज़ में फ्लेवनॉइड्स नामक प्राकृतिक केमिकल्स होते हैं, जो धमनियों (ब्लड वेसल्स) में चर्बी के जमाव को रोकते हैं.
– प्याज़ में पाए जानेवाले एंटीऑक्सीडेंट्स हृदय की बीमारियों को कम करते हैं और कैंसर से भी बचाते हैं.
– प्याज़ में शरीर के किसी भी अंग की सूजन कम करने का गुण होता है.
– प्याज़ में पोटैशियम भी होता है, जो किडनी को हेल्दी और क्लीन रखता है.
– प्याज़ को कच्चा या पकाकर खाएं. दोनों ही लाभप्रद हैं.
– लहसुन का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद होता है. यह रक्तवाहिनियों को साफ़ रखता है और ब्लडप्रेशर भी कम करता है.
– लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीकैंसर गुण होते हैं, जो शरीर को हानि पहुंचानेवाले तत्वों को डिटॉक्सीफाइ करने में मदद करते हैं.
– लहसुन शरीर को नुक़सान पहुंचानेवाले बैक्टीरिया और वायरस को भी शरीर से बाहर करने में मदद करता है.
– यह सांस की नली, फेफड़ों और साइनस को भी क्लीन करने में मदद करता है और शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है.
– बीटरूट में प्राकृतिक केमिकल्स और मिनरल्स होते हैं. ये दोनों ही संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. साथ ही ख़ून साफ़ करते हैं.
– बीटरूट में बीटा कैरोटीन एवं फ्लेवनॉइड्स होते हैं, जो लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और उसे डिटॉक्स करते हैं.
– बीटरूट ख़ून का पीएच बैलेंस बनाए रखता है, जिससे हेल्दी डिटॉक्सीफिकेशन होता है.
– यह एंटीऑक्सीडेंट का बहुत ही अच्छा स्रोत है. इसमें फाइबर भी काफ़ी मात्रा में पाया जाता है.
– एवोकैडोज़ में ग्लूटाथियॉन नामक तत्व होता है, जो शरीर के साथ-साथ लिवर को ख़ासतौर से डिटॉक्स करता है. रिसर्च से पता चला है कि जिन बुज़ुर्गों में ग्लूटाथियॉन का लेवल ज़्यादा होता है, वे आर्थराइटिस या गठिया की बीमारी से बचे रहते हैं और ज़्यादा स्वस्थ रहते हैं.
– अलसी यानी फ्लैक्ससीड में एसेंशियल फैटी एसिड्स, ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं, जो हर तरह की डिटॉक्स क्रिया के लिए आवश्यक है. ये इम्यून सिस्टम को भी हेल्दी बनाए रखते हैं. हमारे शरीर की कोशिकाओं का स्वास्थ्य भी एसेंशियल फैटी एसिड्स की मात्रा पर ही निर्भर करता है.
– फ्लैक्ससीड्स में फाइबर भी पाए जाते हैं, जो पेट व अंतड़ियों की सूजन कम करके भोजन के साथ मिलकर पाचन को सरल बनाते हैं. फाइबर होने के कारण पेट भी साफ़ रहता है.
– यह एक बहुत ही पावरफुल डिटॉक्सीफाइंग एजेंट है. इसमें एक प्रकार का कंपाउंड होता है, जो लिवर को डिटॉक्सीफिकेशन के लिए एंज़ाइम उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करता है.
– इसके अलावा पत्तागोभी में अनेक एंटीऑक्सीडेंट और एंटीकैंसर कंपाउंड होते हैं. इसमें पाए जानेवाले एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीवायरल गुणों के कारण यह पाचन नली को साफ़ और पेट को ठंडा रखती है.
– हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि रोज़ाना एक सेब खाने से डॉक्टर से दूर रहा जा सकता है. यह सच है कि सेब गुणों का भंडार है. इसमें ढेर सारा फाइबर है, जिससे पाचन क्रिया सक्रिय रहती है और कब्ज़ भी दूर होता है.
– सेब से कोलेस्ट्रॉल कम होता है. यह हृदय रोग से बचाता है.
– सेब कैंसर के रिस्क को भी कम करता है.
– सेब खाने से किडनी भी डिटॉक्स होती है.
– इसके अंतर्गत फलीवाली सब्ज़ियां, जैसे- सेम, गवारफली, मटर आदि आते हैं. इसके अलावा सभी तरह की दालें ब्लड शुगर के लेवल को कम करती हैं.
– ये कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करती हैं.
– नियमित खाने से पाचन नली साफ़ रहती है.
– दालों और फलियों का प्रयोग कैंसर से बचाव करता है.
– पानी कम पीने से टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं. साथ ही कब्ज़ की शिकायत होती है.
– शरीर में पानी की सही मात्रा हो, तो हम तरोताज़ा महसूस करते हैं. इसकी कमी से डिहाइड्रेशन हो
जाता है.
– पानी से शरीर के टॉक्सिन्स निकल जाते हैं. यदि आप ठीक तरह से पानी नहीं पी पाते, तो रोज़ाना एक बार में जितना पानी पीते हैं, उससे केवल एक कप ज़्यादा पीएं. इसी तरह धीरे-धीरे पानी पीने की क्षमता को बढ़ाएं. इससे आप सही मात्रा में पानी पी सकेंगे और इससे आपकी किडनी पर ज़्यादा प्रेशर नहीं पड़ेगा.
– डॉ. सुषमा श्रीराव
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