जापान में लोगों का तनाव (Stress) दूर करने के लिए हंसने की बजाय रुलाने पर ज़्यादा जोर दिया जा रहा है. वहां की कंपनियां और स्कूल अपने कर्मचारियों और छात्रों को हफ़्ते में एक दिन जमकर रोने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. दुनिया में जापानियों को काफ़ी मेहनती माना जाता है. वहां के लोग सबसे कम छुट्टियां लेते हैं और सबसे ज़्यादा काम करते हैं. हालांकि इसके फ़ायदे बहुत हैं, लेकिन इस वजह से उन्हें काफ़ी तनाव भी होता है. ऐसे में अपने नागरिकों को तनावमुक्त रखने के लिए जापान सरकार एक नया तरीक़ा अपना रही है. वहां लोगों का तनाव भगाने के लिए उन्हें हंसाने की बजाय रुलाने पर ज़्यादा जोर दिया जा रहा है. कंपनियां और स्कूल अपने कर्मचारियों और छात्रों को हफ़्ते में एक दिन जमकर रोने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. रोने के फ़ायदे बताने के लिए जापान में ख़ास तरह के टीयर्स टीचर्स यानी आंसू लाने वाले ट्रेनर्स भी तैयार किए जा रहे हैं.
रोने के फ़ायदे पर किया गया शोध
जापान की एक हाई स्कूल टीचर 43 वर्षीया हीदेफूमी योशिदा ने पांच-छह साल पहले रोने से होने वाले फ़ायदों पर शोध और प्रयोग शुरू किए. उनके प्रयासों के कारण उन्हें जापान में नामिदा सेंसेई यानी टीयर्स टीचर के तौर पर जाना जाता है. योशिदा की जापानी कंपनियों और स्कूलों में भारी मांग है. उन्हें कंपनियों और स्कूलों में रोने के फ़ायदे बताने और लोगों को रुलाने के लिए आमंत्रित किया जाता है.
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जापान सरकार ने भी की पहल
योशिदा के रुलाकर तनाव भगाने वाले एक्सपेरिमेंट्स पर तोहो यूनिवर्सिटी की मेडिसिन फैकल्टी के प्रमुख प्रोफेसर हिदेहो अरिटा भी शोध कर चुके हैं. इन दोनों के प्रयोग और रिसर्च से साबित हुआ है कि हंसने और सोने के मुकाबले रोने से ज़्यादा जल्दी तनाव ख़त्म होता है. हफ़्ते में एक बार रोने से स्ट्रेस फ्री लाइफ जीने में बड़ी मदद मिलती है. इनके शोध से निकले नतीजों को देखते हुए जापान सरकार ने साल 2015 में 50 से ज़्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए तनावमुक्त रहने के लिएक़दम उठाना अनिवार्य कर दिया था.
मनोचिकित्सक भी देते हैं रोने की सलाह
रोने से तनाव कम होने के संबंध को लेकर 16 साल पहले 30 देशों में एक सर्वे हुआ था. इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 60 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों ने माना था कि तनाव दूर करने में रोना उनके लिए ज़्यादा असरदार साबित होता है. वहीं दुनिया के 70 फ़ीसदी मनोचिकित्सक तनाव से जूझ रहे लोगों को रोने की ही सलाह देते हैं.
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