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जानिए किन कारणों से होता है डायबिटीज़? (Diabetes Causes: How Do You Get Diabetes)

आज भी अधिकांश लोगों के मन में यही धारणा है कि ज़्यादा मीठा खाने से डायबिटीज़ (Diabetes) होता है, लेकिन हक़ीक़त तो यह है कि मीठा खाने से डायबिटीज़ नहीं होता. मगर यह सच है कि अगर डायबिटीज़ के मरीज़ मीठा खाते हैं तो इससे उनका शुगर लेवल अनियंत्रित हो जाता है और स्थिति गंभीर हो सकती है. डायबिटीज़ को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, जिससे कई गंभीर बीमारियां जन्म ले सकती हैं. यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें पीड़ित व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल ज़्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि शरीर में इंसुलिन का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है. आख़िर किन कारणों से होता है डायबिटीज़? चलिए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं.

डायबिटीज़ के प्रकार
आमतौर पर डायबिटीज़ के दो प्रकार होते हैं, टाइप 1 और टाइप 2. हालांकि इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इलाज, डायट और

इसमें इंसुलिन उत्पादन करने वाली कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा नष्ट हो जाती हैं, जिससे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं हो पाता. इससे पीड़ित लोगों को जीवन पर्यंत इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है. डायबिटीज़ के कुल मामलों में टाइप 1 डायबिटीज़ के केवल 10 फ़ीसदी मामले ही पाए जाते हैं, लेकिन यह किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना सकता है.

टाइप 2 डायबिटीज़


इससे पीड़ित व्यक्ति का शरीर पैंक्रियाज़ द्वारा उत्पादित होने वाले इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता या फिर शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है. दुनियाभर में डायबिटीज़ के मामलों में 90 फ़ीसदी टाइप 2 डायबिटीज़ के मामले पाए जाते हैं. ग़लत खान-पान, मोटापा और ख़राब लाइफस्टाइल आपको इसका मरीज़ बना सकती है. एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग हर रोज़ एक कैन्ड सोडा पीते हैं, उनमें टाइप 2 डायबिटीज़ का ख़तरा दूसरों की अपेक्षा 22 फ़ीसदी तक अधिक होता है. इसके अलावा जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर कम होता है, उनमें भी इसका ख़तरा ज़्यादा होता है.

जेस्टेशनल डायबिटीज़
सामान्यत: जेस्टेशनल डायबिटीज़ का ख़तरा महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होता है. गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं के ब्लड शुगर अनियंत्रित हो जाता है, जिसका असर उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है. गर्भावस्था में डायबिटीज़ होने से बच्चे का आकार बड़ा हो सकता है, क्योंकि बच्चे के पैंक्रियाज़ मां के ब्लड ग्लूकोज़ के हिसाब से इंसुलिन बनाने लगते हैं. गर्भावस्था में अगर डायबिटीज़ अनियंत्रित हो जाए तो बच्चे के जन्म के समय परेशानी हो सकती है. इससे बच्चे का वज़न और उसकी लंबाई सामान्य से अधिक हो सकती है. हालांकि समय पर जांच कराकर इसे कंट्रोल किया जा सकता है.  शुगर अनियंत्रित हो जाता है, जिसका असर उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है. गर्भावस्था में डायबिटीज़ होने से बच्चे का आकार बड़ा हो सकता है, क्योंकि बच्चे के पैंक्रियाज़ मां के ब्लड ग्लूकोज़ के हिसाब से इंसुलिन बनाने लगते हैं. गर्भावस्था में अगर डायबिटीज़ अनियंत्रित हो जाए तो बच्चे के जन्म के समय परेशानी हो सकती है. इससे बच्चे का वज़न और उसकी लंबाई सामान्य से अधिक हो सकती है. हालांकि समय पर जांच कराकर इसे कंट्रोल किया जा सकता है.
सामान्य लक्षण
1. वज़न घटना या बढ़ना.
2. बार-बार पेशाब आना.
3. अत्यधिक प्यास लगना.
4. इम्यूनिटी कमज़ोर होना.
5. जख्मों का देर से भरना.
6. हरदम थकान महसूस होना.
7. पुरुषों में कामोत्तेजना की कमी.
8.  हाथ व पैरों का सुन्न पड़ जाना.
क्या हैं कारण?

नींद की कमी
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में काम के अत्यधिक बोझ और तनाव के कारण अधिकांश लोग अच्छी नींद से महरूम रह जाते हैं. रात में देर से सोने और सुबह जल्दी उठने की वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है, जो डायबिटीज़ जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है.
कम पानी पीना
प्रत्येक व्यक्ति को दिनभर में कम से कम 8-10 ग्लास पानी पीना चाहिए. लेकिन जो लोग हर रोज़ पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं उनकी बॉडी डिहाइड्रेट हो सकती है, जिसके चलते ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और डायबिटीज़ हो सकता है.
देर रात खाना
जो लोग रात में देर से खाना खाते हैं और खाते ही बिस्तर पकड़ लेते हैं, ऐसे लोगों की पाचन क्रिया बाधित होती है और उनके शरीर का वज़न बढ़ने लगता है. शरीर के बढ़ते वज़न के चलते ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो जाता है, जो डायबिटीज़ का कारण बन सकता है.
मोटापा
मोटापे के शिकार लोगों को डायबिटीज़ की समस्या हो सकती है. अगर आपका वज़न बढ़ा हुआ है, आपको हाई बीपी की शिक़ायत है और कोलेस्ट्रॉल भी संतुलित नहीं है तो आपको डायबिटीज़ होने का ख़तरा दूसरों के मुक़ाबले अधिक हो सकता है.
एक्सरसाइज़ न करना
स्वस्थ रहने के लिए हर रोज़ कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक व्यायाम करना ज़रूरी होता है. आप चाहें तो योग, ध्यान, एक्सरसाइज़ या फिर जॉगिंग कर सकते हैं. लेकिन अगर आप व्यायाम नहीं करते हैं तो इससे शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ सकता है, जिससे डायबिटीज़ होने का ख़तरा बढ़ जाता है.

ग़लत खान-पान
बदलते लाइफस्टाइल की वजह से अधिकांश लोग अपने घर का बना खाना छोड़कर बाहर की तली-भुनी चीजें, जंक फूड, फास्ट फूड, कैन्ड फूड, प्रोसेस्ड फूड इत्यादि बड़े ही चाव से खाते हैं. इतना ही नहीं, उनके डेली डायट से पौष्टिक चीज़ें भी ग़ायब हो रही हैं, जिसके चलते उनमें डायबिटीज़ होने का जोख़िम तेज़ी से बढ़ रहा है.

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आनुवांशिक कारण
लाइफस्टाइल और खान-पान के अलावा डायबिटीज़ आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है. जैसे- अगर आपके परिवार में आपके माता-पिता, भाई या बहन में से किसी को डायबिटीज़ की समस्या है तो भविष्य में आपको भी यह बीमारी अपना शिकार बना सकती है.

प्रोबायोटिक्स की कमी
प्रोबायोटिक्स ऐसे सूक्ष्मजीव होते हैं, जो प्राकृतिक तौर पर हमारी आंतों में पाए जाते हैं. साथ ही ये कुछ खाद्य पदार्थों में भी प्राकृतिक रूप से उपस्थित होते हैं या फिर इन्हें उन खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है. ये हमारे शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं. दूध और दही जैसे डेयरी उत्पाद में ये पाए जाते हैं. इनकी कमी से पेट की आंतों में सूजन आ सकती है, जिससे इंसुलिन उत्पादन की क्षमता प्रभावित हो सकती है और आपको डायबिटीज़ हो सकता है.

ब्रेकफास्ट न करना
अगर आप ऑफिस जल्दी जाने के चक्कर में हर रोज़ अपना ब्रेकफास्ट स्किप करते हैं तो आपको टाइप 2 डायबिटीज़ हो सकता है. दरअसल, सुबह नाश्ता न करने और ज़्यादा देर तक भूखे रहने से शरीर में इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है, जो डायबिटीज़ का कारण बन सकता है. इसलिए सुबह का नाश्ता कभी स्किप न करें.

प्लास्टिक कंटेनर का इस्तेमाल
प्लास्टिक कंटेनर में मिलने वाले खाद्य या पेय पदार्थों का सेवन डायबिटीज़ के ख़तरे को बढ़ाता है. दरअसल, प्लास्टिक के कंटेनर को बनाने के लिए कुछ ऐसे केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है, जो शरीर में इंसुलिन बनने की क्षमता को प्रभावित करते हैं और हाइपरटेंशन को बढ़ाते हैं. इसकी वजह से डायबिटीज़ होने की संभावना बनी रहती है.

डेस्क जॉब करने से
अगर आप डेस्क जॉब करते हैं और लगातार एक ही जगह पर घंटों बैठे रहते हैं तो आपमें डायबिटीज़ होने की संभावना दूसरों के मुक़ाबले ज़्यादा हो सकती है. डेस्क जॉब करने वाले एक ही जगह पर बैठे रहते हैं, जिससे वो ज़्यादा फिज़िकल एक्टिविटी नहीं कर पाते हैं और उनका बेली फैट बढ़ने लगता है. अगर आपका बेली फैट भी ज़्यादा है तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि यह आपको डायबिटीज़ का मरीज़ बना सकता है.

रेड और प्रोसेस्ड मीट
अगर आप नियमित तौर पर रेड या प्रोसेस्ड मीट का सेवन करते हैं तो आपमें डायबिटीज़ का ख़तरा दूसरों के मुक़ाबले ज़्यादा हो सकता है. अमेरिकन जरनल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन की रिपोर्ट के मुताबिक़, जो लोग रोज़ाना बाज़ार में मिलने वाले रेड मीट या प्रोसेस्ड मीट का सेवन करते हैं उनमें इनका सेवन न करने वालों की तुलना में डायबिटीज़ का ख़तरा 20 फ़ीसदी अधिक होता है.

क्या हो सकते हैं जोख़िम?
डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जो जीवनभर मरीज़ का पीछा नहीं छोड़ती है, लेकिन इलाज के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव की मदद से इसे काफ़ी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. हालांकि डायबिटीज़ के मरीज़ों को निम्न स्वास्थ्य समस्याओं का ख़तरा सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक होता है.
1.ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, रेटिनोपैथी और आंखों से जुड़ी अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
2. स्किन इंफेक्शन और स्किन डिसऑर्डर जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं का ख़तरा अधिक होता है. श्र डायबिटीज़ पेशेंट को हाइपरटेंशन, किडनी, हृदय रोग और स्ट्रोक का ख़तरा अधिक होता है.

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Shilpi Sharma

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