किसी भी काम को करवाने के लिए बच्चों (Children) को सज़ा या लालच देने की बजाय उन्हें प्रेरणा दी जाए तो उसके परिणाम बेहतर होंगे. उन्हें डराने-धमकाने से बात नहीं बनने वाली. बच्चों, ख़ासतौर पर टीनएज बच्चों की सही तरी़के से परवरिश के लिए पैरेंटिंग के कुछ मूल मंत्रों का ज्ञान होना ज़रूरी है.
क्या आपका बच्चा भी अपनी उम्र के पहले या दूसरे दशक से गुज़र रहा है? क्या आपको उसे ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए रास्ता दिखाने में परेशानी होती है? क्योंकि वो कुछ सुनना या समझना नहीं चाहता? वास्तव में यह उम्र बच्चों के लिए काफ़ी उथल-पुथल भरी होती है. वे कई तरह के शारीरिक व मानसिक बदलावों से गुजर रहे होते हैं. वे अपनी पहचान तलाश रहे होते हैं. इसलिए उन्हें अपनी बातें सही लगती हैं और बाक़ी दुनिया ग़लत. दूसरी तरफ़ अभिभावक चाहते हैं कि बच्चे उनकी बात सुनें. इसके लिए वे उन्हें कभी लालच देते हैं, तो कभी सज़ा. लेकिन ये तरी़के सही नहीं हैं. आपको कुछ ऐसे तरी़के अपनाने होंगे, जिनसे वे ख़ुद ही चीज़ों को करने के लिए प्रेरित हों.
कमियां निकालने की बजाय उसकी प्रशंसा करें
यदि आप बच्चे को सही मायने में प्रोत्साहित करना चाहते हैं तो उस पर अपनी मर्ज़ी न थोपें. आपका बच्चा जो कुछ भी हासिल करता है, उस पर गर्व करना बहुत ज़रूरी है. उदाहरण के लिए यदि आपके बेटे ने डांस क्लास में अच्छा प्रदर्शन किया है, तो उसकी प्रशंसा करें. ऐसे ही अगर बेटी कुछ आर्ट में रुचि दिखाती है तो उसकी सराहना करें.
जबरन बहुत सारी गतिविधियों का हिस्सा न बनाएं
बच्चों को कुछ समय के लिए फ्री भी रहने दें. वैसे भी वे स्कूल में काफ़ी व्यस्त रहते हैं. वे भी ख़ुद के लिए समय चाहते हैं. उन्हें ढेर सारी गतिविधियों का हिस्सा न बनाएं. किसी भी गतिविधि का हिस्सा बनाने से पहले बच्चों की क्षमता को समझें. ऐसा करने से बच्चा भी ख़ुश रहेगा.
निर्णय लेने का मौक़ा दें
बच्चों का सही विकास तभी हो सकता है, जब वे अपने फ़ैसले ख़ुद लेना सीखते हैं. अगर आपकी बेटी ड्रॉइंग सीखना चाहती है और आप चाहते हैं कि वह डांस सीखे तो बेहतर होगा कि उसे मन-मुताबिक़ ड्रॉइंग ही सीखने दें, क्योंकि निर्णय थोपने से वो मन मारकर काम करेगी और आपको मनचाहा परिणाम नहीं मिलेगा.
हार को स्वीकार करना सिखाएं
बच्चों को अपनी हार स्वीकारना सिखाएं. उन्हें हारने से डराने की बजाय डटकर लड़ने और हर तरह की परिस्थिति का सामना करने के गुर सिखाएं. उनसे कहें कि चिंता मत करो, जीवन में आगे बढ़ने के और भी मौ़के मिलेंगे.
दूसरों से तुलना न करें
हर बच्चा अपनेआप में अलग होता है और हर बच्चे की सीखने और आगे बढ़ने की गति अलग-अलग होती है. ज़रूरी नहीं कि आपके दोस्त के बच्चे की तरह ही आपका बच्चा भी क्लास में अव्वल आए. हो सकता है आपके बच्चे में कोई ऐसा गुण हो, जो उसके बाक़ी साथियों में न हो. अतः दूसरों से अपने बच्चे की तुलना न करें.
प्रेरणास्रोत बनें
बच्चे अपने माता-पिता को बहुत ध्यान से देखते हैं. अगर आप अपने बच्चे से कुछ चाहते हैं तो उसे स़िर्फ बताने की बजाय करके दिखाएं. बच्चे देखकर ज़्यादा सीखते हैं. आप जिस तरह का व्यवहार करेंगे, बच्चा वही सीखेगा. अतः आप बच्चे को जैसा बनाना चाहते हैं, वैसा ख़ुद बनकर दिखाएं. अपने बच्चे की भावनाओं को समझें. ऐसा करने पर वो भी आपकी इच्छाओं का सम्मान करेगा.
– शिल्पी शर्मा
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