अमिताभ बच्चन जैसे शिक्षक हों और बच्चों में जोश-जुनून व कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हो, तो मंज़िल आसान हो ही जाती है. कुछ ऐसा ही तो लग रहा है, झुंड फिल्म का टीज़र देखकर, जिसे अमितजी और अभिषेक बच्चन दोनों ने ही शेयर किया है. जिस फिल्म से अमितजी जुड़ जाते हैं, वैसे ही वो फिल्म ख़ास बन जाती है. उस पर झुंड तो ग़रीब बस्ती के बच्चों के खेल व संघर्ष से जुड़ी कहानी है.
स्लम सॉकर नाम से गैरसरकारी संस्था चलानेवाले सामाजिक कार्यकर्ता विजय बरसे के जीवन पर आधारित है यह फिल्म. किस तरह झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को छोटी टूटी सी बाल्टी से फुटबॉल खेलते देख विजयजी के मन में उनके लिए कुछ करने की इच्छा बलवती होती है. वे नागपुर के कॉलेज में खेल के प्रोफेसर थे और उन्होंने 36 वर्षों तक अपना बहुमूल्य योगदान दिया. इसके बाद की कहानी, तो और भी दिलचस्प है, जिसे फिल्म में देखना ही बेहतर होगा.
विजयजी का क़िरदार अमिताभ बच्चन निभा रहे हैं. पूरी फिल्म की शूटिंग नागपुर में हुई है. समय-समय पर फिल्म से जुड़े दिलचस्प तस्वीरें सोशल मीडिया पर देखने को मिलती थीं. कल ही इस फिल्म की पहली तस्वीर भी सामने आई थी, जिसमें अमिताभ बच्चन पीठ करके सामने की तरफ़ की बस्ती को देख रहे हैं. पास में ही स़फेद-लाल रंग की फुटबॉल है और एक टेंपो भी दिखाई दे रहा है.
आज इसका टीजर रिलीज़ करते हुए अमितजी कहते हैं- झुंड.. आ गया, आ गया… जिसकी शुरुआत उनकी दमदार आवाज़ से- झुंड नहीं कहिए सर, टीम कहिए, टीम… सुनकर फिल्म के प्रति रोमांच बढ़ जाता है. फिर तो बच्चों की झुंड हाथ में क्रिकेट का बल्ला, डंडे, ईंटें, साइकिल की चेन आदि लेकर मस्ती से चलते हुए दिखाई दे रहे हैं. साथ ही बैकग्राउंड में बम्बईंया भाषा में गूंजता गाना और भी रंग जमा देता है.
सैराट व फंड्री जैसी बेहतरीन मराठी फिल्म के निर्देशक नागराज पोपटराव मंजुले झुंड के निर्देशक हैं. इस फिल्म में उनके लाजवाब निर्देशन की झलक देखने को मिलती है. संगीत का धमाल मचाया है अजय-अतुल की जोड़ी ने. टी सीरीज़ फिल्मस के बैनर तले बन रही झुंड में निर्माताओं की भी पूरी झुंड है, जिनमें भूषण कुमार, कृष्णा कुमार, सविता हीरेमठ, राज हीरेमठ, नागराज पोपटराव मंजुले, मीनू अरोड़ा व गार्गी कुलकर्णी हैं. कलाकारों में आकाश ठोसर, रिंकू राजगुरु, विक्की काडियन, गणेश देशमुख के साथ-साथ होनहार व प्रतिभावान बच्चों की झुंड है.
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह है कि अमिताभ बच्चन प्रोफेसर हैं और वे बस्तियों के बच्चों की एक फुटबॉल टीम तैयार करते हैं. वे प्रतिभावान, पर आर्थिक रूप से असहाय बच्चों को मदद करते हैं. साथ ही उन्हें खेल के लिए प्रेरित करते हुए झुंड नहीं, बल्कि एक उम्दा फुटबॉल टीम तैयार करते हैं. वैसे भी देश में खेल को लेकर काफ़ी प्रोत्साहित किया जा रहा है. खेल मंत्री किरण रिजीजू भी देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं. ऐसे में इस तरह की फिल्म का आना आर्थिक रूप से असहाय खिलाड़ियों को और भी प्रोत्साहित करेगा. एक बार फिर अमिताभ बच्चन की अदाकारी का जादू देखने के लिए आपको आठ मई तक इंतज़ार करना होगा, क्योंकि फिल्म इस दिन रिलीज़ होनेवाली है.
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