अच्छी हेल्थ के लिए हम एक्सरसाइज़ करते हैं और जंक फूड से नाता तोड़ लेते हैं, बावजूद इसके रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कई ऐसी आदतें हैं जिनके कारण हमारी सेहत ख़राब होती है और छोटी-छोटी ग़लतियां बड़ी बीमारी की वजह बन जाती हैं. ये आदतें शरीर को धीरे-धीरे बीमार करती हैं इसीलिए ज़रूरी है कि इन पर समय रहते ग़ौर किया जाए और इन्हें अपने लाइफस्टाइल से निकाला जाए.
ग़लत तरी़के से बैठना
बॉडी परफेक्ट होने के बावजूद बैठने का ग़लत तरीक़ा कमर दर्द और मोटे पेट का कारण हो सकता है. इसके अलावा ग़लत पॉश्चर मसल्स में खिंचाव लाता है और पीठ की लचकपन को भी कम करता है, जिससे हल्का-सा भी झटका आपको ज़्यादा दर्द दे जाता है.
ब्रेकफास्ट न करना
पूरे दिन का सबसे अहम् भोजन होता है ब्रेकफास्ट. सुबह नाश्ता न करने पर हार्मोनल इम्बैलेंस, चीज़ों को याद रखने में दिक्कत और जल्दी मूड ख़राब होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके साथ ही ब्रेकफास्ट न करने पर मेटाबॉलिज़्म धीमा होता है जिसके कारण वज़न बढ़ता है और शरीर में सुस्ती आती है.
पानी कम पीना
शरीर में पानी की कमी से थकान, स्किन का ड्राई होना, चिड़चिड़ापन, फोकस करने में दिक्कत और काम के दौरान क्रिएटिविटी में कमी आती है. इसी के साथ इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है. इसलिए बॉडी को हमेशा हाइड्रेट रखें. जब भी प्यास लगे पानी पीएं.
पूरी नींद न लेना
लगातार कम नींद लेने की वजह से पूरे दिन शरीर में थकान और चिड़चिड़ापन रहता है, जिससे डिप्रेशन के चांसेस बढ़ जाते हैं. इसी के साथ पूरी नींद न लेने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के चांसेस भी ज़्यादा रहते हैं.
ज़्यादा पेनकिलर लेना
अर्थराइटिस या मसल्स पेन में इबुप्रोफेन या एस्पिरिन जैसी दर्द कम करने वाली दवाइयों के ज़्यादा सेवन से अल्सर, पेट में दर्द, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का ख़तरा बना रहता है. ये दवाइयां कुछ व़क्त के लिए आपको आराम दे सकती हैं, लेकिन इनका ज़्यादा सेवन भविष्य में ख़तरनाक बीमारियों की दावत है. इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के कोई पेनकिलर न लें.
प्रोसेस्ड फूड खाना
एक अध्ययन के अनुसार वे लोग जो रोज़ाना प्रोसेस्ड फूड्स, जैसे-चिप्स, इंस्टेंट नूडल्स आदि खाते हैं, उन्हें डिप्रेशन होने का ख़तरा अधिक होता है, क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में उपस्थित टॉक्सिन्स मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन कर देते हैं.
निष्क्रिय लाइफस्टाइल
जिन लोगों की लाइफस्टाइल एक्टिव नहीं होती, यानी जो लोग एक्सरसाइज़ नहीं करते हैं, उन्हें बीमारी के साथ-साथ डिप्रेशन होने का ख़तरा भी अधिक होता है, क्योंकि बिना कसरत के मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर गिरने लगता है. नतीजतन व्यक्ति उदास और चिड़चिड़ा रहने लगता है.
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