फिल्म की कहानी दमदार है. ये कई ऐसे कड़वे सच से पर्दा उठाएगी, जिनसे पर्दा उठना बेहद ज़रूरी है. फिल्म चार ऐसी औरतों की कहानी है, जो समाज की बेड़ियों को तोड़कर आज़ाद हो जाती हैं. न वो समाज को बदलने की कोशिश करना चाहती हैं और न ही कोई ज्ञान देना चाहती हैं, वो बस आज़ाद रहकर अपने मन की करना चाहती हैं. ये चार औरतें हैं- एक जवान विधवा रानी (तनिष्ठा चटर्जी) जिसका विवाहित जीवन कष्टों में बीता और अब वह अपने 17 साल के बेटे गुलाब के लिए बहू लाकर सोच रही है कि उसके कष्ट कुछ कम होंगे. दूसरी है इसकी एक सहेली लाजो (राधिका आप्टे) जो मां न बन पाने का दाग़ लिए रोज़ाना अपने शराबी पति से मार खाती है. तीसरी है नौटंकी में नाचने वाली इन दोनों की सहेली बिजली (सुरवीन चावला) और चौथी है गुलाब की 15 साल की बीवी जानकी (लहर खान), जो शादी से बचने के लिए अपने बाल काट लेती है और पढ़ना चाहती है.
इसकी कहानी ही इस फिल्म की यूएसपी है. राधिका, सुरवीन, तनिष्ठा, सयानी सभी की ऐक्टिंग दमदार है. राधिका के बोल्ड सीन्स की ज़रूरत फिल्म में है या नहीं इस पर बहस करने की बजाय फिल्म की कहानी पर ध्यान देना ज़रूरी है. फिल्म आपको अंत तक बांधे रखेगी. लीना ने पूरी फिल्म को वास्तविकता के काफ़ी क़रीब रखा है.
बिल्कुल जाएं ये फिल्म देखने. ये फिल्म आपको बोर नहीं करेगी. बॉलीवुड फिल्मों से कुछ हटकर देखना चाहते हैं, तो ये फिल्म आपके लिए ही है.
बधाई हो (Badhai Ho) एक्ट्रेस नीना गुप्ता (Neena Gupta) को बधाई हो! वो नानी बननेवाली…
गोविन्दा की भांजी और कृष्णा अभिषेक की बहन आरती सिंह जल्द ही दुल्हन बनने जा…
मोठमोठ्या कलाकारांना एकत्र घेऊन चांगल्या दर्जाचा सिनेमा बनवणं हे निर्माता दिग्दर्शकांसाठी मोठं आव्हान असतं. काही…
टीवी की ‘सीता’ देबिना बनर्जी (Debina Bonnerjee) भले ही एक्टिंग से दूर हैं, लेकिन सोशल…
स्टार प्रवाहवरील ‘मन धागा धागा जोडते नवा’ मालिकेत सार्थक-आनंदीचं नातं अतिशय नाजूक वळणावर आहे. काही…
निशा नंदन वर्तक हा अचानक आलेला वळवाचा पाऊस !! अवंतिकेचा उदासपणा कुठच्या कुठे पळून गेला..…