सर्वप्रिय राजनेता, ओजस्वी कवि, प्रखर वक्ता हर दिल अज़ीज अटल बिहारी वाजपेयीजी हमारे बीच नहीं रहे. 93 की उम्र में दिल्ली के एम्स में उनका निधन हुआ. अटलजी ऐसा नेता थे, जिन्हें उनके पार्टी के लोग ही नहीं, विपक्ष, हर विरोधी दल पसंद करते थे. उनकी आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करें!
– अटलजी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर मेंं हुआ था.
– उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर मेंं अध्यापक थे.
– उनकी शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज, जिसे अब महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है में हुई.
– उनके पिता उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में बतौर शिक्षक की नौकरी लगने के बाद यहीं आकर बस गए.
– वे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे. मेरी इक्यावन कविताएं उनका मशहूर काव्य संग्रह था.
– वाजपेयीजी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले थे, क्योंकि उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जानेमाने कवि थे.
– भारतीय जनसंघ की स्थापना करनेवाले में से वे भी एक थे. 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे.
– उन्होंने राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य, वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया.
– अटलजी अपने प्रथम शासन काल में भारत के ग्यारहवें प्रधानमंत्री थे. वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक और उसके बाद 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.
– उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया.
1992: पद्म विभूषण
1993: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
1994: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
1994: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
1994: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
2015 : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
2015 : फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
2015 : भारत रत्न से सम्मानित
अटलजी चाहे प्रधानमंत्री के पद पर रहे हों या नेता, देश की बात हो या क्रांतिकारियों की या फिर उनकी कविताओं की- नपी-तुली व बेबाक़ टिप्पणी करने से वे कभी नहीं चूके. कुछ बानगी-
* भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो…
* क्रांतिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रांतिकारियों को भूल रहे हैं, आज़ादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ…
* मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं. वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है. वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है…
राजनीति का अजातशत्रु, सियासत का एक साहित्य, कुछ ऐसे रहे हमारे अटलजी…
मौत से ठन गई…
जूझने का मेरा इरादा न था
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई्
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा
मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है
पार पाने का क़ायम मगर हौसला
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई्
मौत से ठन गई…
आख़िरकार मौत से इस कदर ठन गई कि अटलजी से वो जीत गई… मेरी सहेली परिवार की तरफ़ से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि! ऊं शांति!
अलविदा अटलजी!
– ऊषा गुप्ता
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The loneliness does not stop.It begins with the first splash of cold water on my…
सध्या सर्वत्र लगीनघाई सुरू असलेली पाहायला मिळत आहे. सर्वत्र लग्नाचे वारे वाहत असतानाच हळदी समारंभात…
“कोई अपना हाथ-पैर दान करता है भला, फिर अपना बच्चा अपने जिगर का टुकड़ा. नमिता…
न्यूली वेड पुलकित सम्राट और कृति खरबंदा की शादी को एक महीना हो चुका है.…