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ग़ज़ल- बहार का तो महज़… (Gazal- Bahar Ka To Mahaz…)

Gazal बहार का तो महज़ एक बहाना होता है तुम्हारे आने से मौसम सुहाना होता है   वाइज़ हमें भी कभी मयकदे का हाल सुना सुना है रोज़ तेरा आना जाना होता है   मैं जो चलता हूं तो साया भी मेरे साथ नहीं तू जो चलता है तो पीछे ज़माना होता है   ज़ुबां पे दिल की बात इसलिए नहीं लाता तेरे मिज़ाज का कोई ठिकाना होता है   मैं मुद्दतों से यह सोचकर हंसा ही नहीं हंसी के बाद फिर रोना रुलाना होता है...   Dinesh Khanna            दिनेश खन्ना मेरी सहेली वेबसाइट पर दिनेश खन्ना की भेजी गई ग़ज़ल को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…   यह भी पढ़े: Shayeri  

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