मेरी आंख से बता क्यों ख़्वाब झांकता है
एहसास का समंदर तेरी आंख में छुपा है
दिल मेरा स़िर्फ लफ़्ज़ों का आईना ठहरा
रूमानियत का परचम तेरे अश्क में छुपा है
तू आस पास हो तो तस्वीर खींच लूं
मेरे दिल में जो बसा है वो रूह-सा छुपा है05
तुझे ढूढ़ने को निकले तो उस तक पहुंच गए
तेरी पाकीजगी में हमदम अभी और क्या छुपा है…
मुरली मनोहर श्रीवास्तव
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ग़ज़ल- तेरी पाकीज़गी में हमदम (Gazal- Teri Pakeezgi Mein Humdam)
Description
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मेरी आंख से बता क्यों ख़्वाब झांकता है
एहसास का समंदर तेरी आंख में छुपा है
दिल मेरा स़िर्फ लफ़्ज़ों का आईना ठहरा
रूमानियत का परचम तेरे अश्क में छुपा है
Author
Meri Saheli Hindi Magazine
Publisher Name
Pioneer Book Company Pvt Ltd
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