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ग़ज़ल- याद तुम आए बहुत… (Gazal- Yaad Tum Aaye Bahut…)

जब ज़िक्र फूलों का आया, याद तुम आए बहुत चांद जब बदली से निकला, याद तुम आए बहुत Gazal कुछ न पूछो किस तरह परदेस में जीते हैं हम ख़त तो आया है किसी का, याद तुम आए बहुत यार आए थे वतन से प्यार के क़िस्से लिए दिल है धड़का बेतहाशा, याद तुम आए बहुत मैं हूं कोसों दूर तुम से उड़ के आ सकता नहीं जब भी चाहा है भुलाना, याद तुम आए बहुत जब हवा पूरब से आ सरगोशियां करने लगी दिल में एक तूफ़ां उठा था, याद तुम आए बहुत... Vedprakash Pahwa वेद प्रकाश पाहवा ‘कंवल’

यह भी पढ़ेShayeri

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