मनुष्य के पेट (Stomach) में विशेषकर आंतों (Intestines) में विभिन्न प्रकार के कीड़े (Worms) पाए जाते हैं. पाचन संस्थान से संबंधित इन कीड़ों को ही आम लोग पेट के कीड़े (Stomach Worms) के नाम से संबोधित करते हैं. ये कई तरह के होते हैं, जो तरह-तरह के विकारों को उत्पन्न करते हैं.
मधुर-अम्ल पदार्थों का अधिक सेवन तथा अजीर्ण रहने पर भी भोजन करना पेट के कीड़ों को पैदा करने में मुख्य भूमिका अदा करते हैं. इसके अतिरिक्त पतले पदार्थों तथा गुड़ का अधिक सेवन, व्यायाम न करना या शारीरिक श्रम से बचना, दिन में अधिक सेवन, परस्पर विरुद्ध पदार्थों का सेवन आदि कृमियों के उत्पत्ति के सामान्य कारण हैं. ये कारण कृमियों की उत्पजत्त और उनके विकास के लिए अनुकूल परिस्थिति उत्पन्न करते हैं.
पेट में जब कीड़े हो जाते हैं तो उनके कारण निम्न लक्षण पैदा होते हैं- मिचली, जी मिचलाना, लाल स्राव, अजीर्ण, अरुचि, उल्टी, ज्वर, दुर्बलता, छींक, नज़ला-जुकाम आदि. इसके अतिरिक्त पेट में तीव्र दर्द, भूख की कमी, रक्ताल्पता आदि लक्षण भी पाए जाते हैं.
* नारंगी के सूखे छिलके और बायविडंग दोनों समभाग में लेकर कूट-पीस कर 3 ग्राम चूर्ण को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन एक बार तीन दिन तक देने से कीड़े मर जाएंगे. उन मरेग हुए कीड़ों को निकालने के लिए चौथे दिन एरंडी का तेल पिलाएं.
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* ईख के सिरके में 25 ग्राम चना रात को भिगो दें और सुबह उसे चबा-चबा कर खाएं. आठ घंटे तक कुछ भी न खाएं-पीएं. कीड़े मरकर बाहर निकल आएंगे.
* मूली के रस में थोड़ा नमक मिलाकर सबिह-शाम दिन में दो बार सेवन कीजिए. इस प्रयोग को निरंतर चार दिनों तक करने के बाद पेट की अंतड़ियों में फंसे सारे कीड़े मल के साथ निकल जाएंगे और आपका पेट एकदम स्वच्छ हो जाएगा.
* पीपल के पंचांग का चूर्ण गुड़ में मिलाएं और सौंफ के अर्क के साथ सुबह-शाम पांच-पांच ग्राम मात्रा में दें. तीन दिनों में सारे कीड़े खत्म हो जाएंगे.
* आपके घर का कोई भी सदस्य पेट के कीड़ों से त्रस्त है और बार-बार इलाज कराने पर भी कीड़ों से मुक्ति नहीं मिल पा रही है, तो आप उसे दिन में तीन-चार बार छाछ पिलाएं. छाछ में भुना हुआ जीरा, थोड़ा नमक और पिसी हुई काली मिर्च डाल सकते हैं. आप देखेंगे कि एक सप्ताह के भीतर ही अंतड़ियों में छुपे पड़े कीड़े बाहर निकल आएंगे.
* छाछ में बायविडंग का चूर्ण मिलाकर पिलाने से छोटे बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं या निकल जाते हैं.
* सुबह उठते ही दो-तीन माशा नमक पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक नियमित पीने से पेट के भीतर के कीड़े बाहर आ जाते हैं और नये कृमियों की उत्पत्ति रुक जाती है.
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* सोंठ और बायविडंग के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े ख़त्म हो जाते हैं.
* कड़ुवे परवल के पत्ते एक तोला और धनिया एक तोला रात को दस-बारह तोला पानी में भिगोकर रखें. सुबह उसे छानकर उसमें शहद मिलाएं. इसे तीन ख़ुराक बनाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं.
* सहिजन का क्वाथ शहद में मिलाकर दिन में दो बार पीने से सूक्ष्म से सूक्ष्म कृमि भी निकल जाते हैं.
रोगी को ऐसा आहार न दें जो हजम होने में कठिन हो. अजीर्ण कृमियों की वृद्धि में उपयुक्त वातावरण तैयार करता है, अतः अजीर्ण से बचें. कड़वे आहार ऐसे रोगियों के लिए उपयोगी होते हैं. पत्तेदार आहार, हरड़ व लहसुन पथ्य हैं. चीनी या उससे बने पदार्थों, चॉकलेट आदि से परहेज रखें.
– रेखा गुप्ता
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