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बर्थडे स्पेशल: हैप्पी बर्थ डे महमूद साहब (Happy Birthday Mehmood Ali)

महमूद साहब को मनोरंजन जगत में ‘किंग ऑफ कॉमेडी’ के नाम से जाना जाता है. लेकिन उन्हें इस मुक़ाम तक पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ा. जिस किशोर कुमार को उन्होंने बाद में अपने होम प्रोडक्शन फिल्म पड़ोसन में काम दिया, उन्हीं किशोर कुमार ने महमूद को काम देने से इंकार कर दिया था.

महमूद के अभिनय की गाड़ी चली तो फिर ‘भूत बंगला’, ‘पड़ोसन’, ‘बॉम्बे टू गोवा’, ‘गुमनाम’, ‘कुंवारा बाप’ जैसी फिल्मों ने महमूद को स्थापित कर दिया. महमूद अपनी अलग अदा के लिए लोगों के चहेते बन गए, न सिर्फ़ फिल्मी दुनिया के लिए, बल्कि अपने प्रशंसकों के लिए भी. महमूद का जन्म 29 सितंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता मुमताज़ अली बॉम्बे टॉकीज़ स्टूडियो में काम करते थे. घर की आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए महमूद मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचा करते थे. बचपन के दिनों से ही महमूद का रुझान अभिनय में था. पिता की सिफारिश की वजह से 1943 में उन्हें बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘किस्मत’ में किस्मत आजमाने का मौका मिला. फिल्म में महमूद ने अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाई थी. महमूद का हैदराबादी अंदाज दर्शकों को बेहद पसंद आया और उनके बोलने की कला और अभिनय के लाजवाब अंदाज ने करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बना लिया. महमूद ने जिस वक्त फिल्मों को गंभीरता से लेना शुरू किया था, उस समय भारतीय फिल्म जगत में किशोर कुमार की कॉमेडी का जादू छाया हुआ था.

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लेखक मनमोहन मेलविले ने अपने एक लेख में महमूद और किशोर के दिलचस्प किस्से को बयान किया है. इसमें कहा गया है कि महमूद ने अपने करियर के सुनहरे दौर से गुज़र रहे किशोर से अपनी किसी फिल्म में भूमिका देने की गुजारिश की थी, लेकिन महमूद की प्रतिभा से पूरी तरह वाकिफ़ किशोर ने कहा था कि वह ऐसे किसी व्यक्ति को मौका कैसे दे सकते हैं, जो भविष्य में उन्हीं के लिए चुनौती बन जाए. इस पर महमूद ने बड़ी विनम्रता के साथ कहा, ”एक दिन मैं भी बड़ा फिल्मकार बनूंगा और आपको अपनी फिल्म में भूमिका दूंगा.” महमूद अपनी बात के पक्के साबित हुए और आगे चलकर जब उन्होंने अपनी होम प्रोडक्शन की फिल्म पड़ोसन शुरू की तो उसमें किशोर को काम दिया. इन दोनों महान कलाकारों की जुगलबंदी से यह फिल्म बॉलीवुड की सबसे बड़ी कॉमेडी फिल्म साबित हुई.

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महमूद के तीन दशक लंबे करियर में 300 से ज़्यादा हिन्दी फिल्में उनके नाम हैं. महमूद अभिनेता और नृत्य कलाकार मुमताज़ अली के आठ बच्चों में से एक थे. अभिनेता के तौर पर काम से पहले वह छोटे-मोटे काम करते थे, गाडियां चलाने का काम भी करते थे. उस ज़माने में मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने के लिए उन्हें नौकरी पर रखा गया था. बाद में उन्होंने मीना कुमारी की बहन मधु से शादी की. शादी करने और पिता बनने के बाद ज़्यादा पैसे कमाने के लिए उन्होंने अभिनय करने की सोची. शुरुआत में उन्होंने ‘दो बीघा जमीन’ और ‘प्यासा’ जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाए.

यह भी पढ़ें: नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना करें बॉलीवुड के 11 गरबा के गानों के साथ महमूद को फिल्मों में पहला बड़ा मौका ‘परवरिश’ (1958) से मिला था. इसमें उन्होंने फिल्म के नायक राजकपूर के भाई का किरदार निभाया था और उसके बाद उन्होंने फिल्म ‘गुमनाम’ में भी काम किया. उन्होंने ‘प्यार किए जा’, ‘प्यार ही प्यार’, ‘ससुराल’, ‘लव इन टोक्यो’ और ‘जिद्दी’ जैसी हिट फिल्में दी. इसके बाद उन्होंने कुछ फिल्मों में मुख्य भूमिका भी निभाई, लेकिन दर्शकों ने उन्हें एक कॉमेडियन के तौर पर ज्यादा पसंद किया. महमूद ने बाद में अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोला. उनकी पहली होम प्रोडक्शन फिल्म ‘छोटे नवाब’ थी. उन्होंने बतौर निर्देशक सस्पेंस-कॉमेडी फिल्म ‘भूत बंग्ला’ बनाई. अभिनेता, निर्देशक, कथाकार और निर्माता के रूप में काम करने वाले महमूद ने शाहरुख खान को लेकर वर्ष 1996 में अपनी आखिरी फिल्म ‘दुश्मन दुनिया का’ बनाई, लेकिन वह बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही.

यह भी पढ़ें: 67 की हुईं शबाना आज़मी, पहली ही फिल्म में मिला था नेशनल अवॉर्ड, जानें दिलचस्प बातें अपनी छवि में आई एकरूपता से बचने के लिए महमूद ने अपने आप को विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में पेश किया. इसी क्रम में वर्ष 1968 में फिल्म ‘पड़ोसन’ का नाम सबसे पहले आता है. ‘पड़ोसन’ में महमूद ने अलग भूमिका निभाई और दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे. ‘पड़ोसन’ 60 के दशक की ज़बरदस्त हिट फिल्म साबित हुई थी. 1970 में फिल्म ‘हमजोली’ में महमूद के अभिनय के अलग रूप दर्शकों को देखने को मिले. इस फिल्म में महमूद ने ट्रिपल रोल निभाया और दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा.

महमूद को तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पांच दशकों में उन्होंने क़रीब 300 फिल्मों में काम किया. 23 जुलाई, 2004 को महमूद इस दुनिया से हमेशा के लिए चले गए और हमारे बीच केवल उनकी ख़ूबसूरत यादें ही बाक़ी हैं.

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