हर्षवर्धन ने विशेष बातचीत में कहा कि यह फिल्म ‘मिर्ज़ा-साहिबान’ से अलग है. उन्होंने कहा, “राकेश सर ने मिर्ज़ा-साहिबान की कहानी से प्रेरित होकर यह फिल्म बनाई है, लेकिन इसे आज के ज़माने के हिसाब से पेश किया गया है. यह उस कहानी से एकदम अलग है, जो आपने पढ़ी या सुनी होगी.”
किसी मशहूर हस्ती के बच्चों की बॉलीवुड में एंट्री अमूमन आसान ही होती है, लेकिन हर्षवर्धन की राय इससे अलग है. उन्होंने इस फिल्म से जुड़ने की कहानी बताई, “मैं 2008 में फिल्म दिल्ली-6 के सेट पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा से पहली बार मिला था. उन्होंने 2011 में मुझे बताया था कि गुलजार साहब मिर्ज़या की कहानी लिख रहे हैं. उन्होंने मुझे फिल्म में मुख्य किरदार निभाने को कहा, लेकिन इससे पहले मैंने ख़ुद को इस किरदार के लिए तैयार किया और 2013 में यह फिल्म करने का फैसला किया तो यह इतना आसान नहीं था.”
हर्षवर्धन ने इस फिल्म के लिए काफ़ी पसीना बहाया है. उन्होंने घुड़सवारी से लेकर पोलो खेलने तक तमाम तरह का प्रशिक्षण लिया है. इसके बारे में वह कहते हैं, “मैंने 18 महीने के लिए घुड़सवारी की, तीर चलाना, पोलो खेलना, रेत पर मोटरसाइकिल चलना सीखा. यह सब आसान नहीं था. इस फिल्म में मेरे दो किरदार भी हैं. मैंने खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार किया.”
हर्षवर्धन अपनी पहली ही फिल्म में डबल रोल के अनुभव को शेयर करते हुए कहते हैं, “फिल्म में मेरे दोनों किरदार एकदम जुदा हैं. यह यकीनन चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मेरे दिमाग़ में यही था कि अगर मैं इसे सही तरीक़े से निभा पाऊंगा तो इसे याद किया जाएगा. राकेश सर ने हमें शुरू में ही समझा दिया था कि यह फिल्म इस कहानी पर आधारित है, लेकिन उससे पूरी तरह जुदा है, इसलिए हमने मिर्ज़ा-साहिबान को ज्यादा नहीं पढ़ा.”
फिल्म की कहानी गुलज़ार साहब ने लिखी है. हर्षवर्धन कहते हैं, “गुलज़ार साहब ने कहानी लिखी है तो यकीनन यह फिल्म कविता की तरह है. मिर्ज़या एक म्यूज़िकल फिल्म है, जिसकी कहानी संगीत के जरिए आगे बढ़ती है.”
वह कहते हैं, “मैं मिर्ज़या की तरह प्यार करना चाहता हूं. यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह आपको प्यार करना सिखाती है.”
हर्षवर्धन मिर्ज़या के बाद दो और फिल्में कर रहे हैं और वह अगले साल तक फिल्मों में ही व्यस्त हैं. यह पूछने पर कि वह किसी फिल्म को साइन करने से पहले किस चीज को अधिक महत्व देते हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मेरे लिए फिल्म का निर्देशक कौन है, यह मायने रखता है, क्योंकि एक अच्छा निर्देशक औसत या खराब स्क्रिप्ट में जान फूंकने की हिम्मत रखता है, लेकिन अच्छी कहानी भी अच्छे निर्देशक के बगैर दम तोड़ देती है.”
हर्षवर्धन कहते हैं कि मिर्ज़या लोगों को प्यार करना सिखाएगी, इसलिए यह दर्शकों को खींचने में कामयाब ज़रूर होगी.
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