जी हां, सुनने में अटपटा ज़रूर लग सकता है, लेकिन तनाव संक्रामक होता है. यक़ीन न हो, तो आज़माकर देख लीजिए.
आप बहुत ही हंसमुख और ज़िंदादिल इंसान हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से आप काफ़ी चिड़चिड़े हो गए हैं. छोटी-छोटी बात पर ग़ुस्सा करने लगे हैं. क्या है इसकी वजह? कहीं आपकी संगत तो नहीं? क्या आपका कोई अपना इन दिनों बहुत तनावग्रस्त है और उसका तनाव अब आपको भी संक्रमित करने लगा है?
संगत का असर
यदि आप लगातार किसी नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति के साथ रहते हैं, तो जाने-अनजाने आपमें भी थोड़ी-बहुत निगेटिविटी आ ही जाती है. आसपास के माहौल की तरह ही हमारे साथ रहने वाले लोग भी हमारे व्यवहार पर बहुत असर डालते हैं.
यूं होता है असर
एक जानी-मानी एमएनसी में कार्यरत, हमेशा हंसते-मुस्कुराते रहने वाले कार्तिक (परिवर्तित नाम) का व्यवहार शादी के बाद धीरे-धीरे बदलने लगा. वजह थी, पत्नी का शक़ करना और दिन-रात उसकी जासूसी करने में लगे रहना. वो कहां जाता है, किससे मिलता है, किससे बात करता है… पत्नी हर बात की ख़बर रखती थी और ज़रा-सा भी शक़ होने पर सवाल पूछ-पूछकर कार्तिक का जीना दूभर कर देती है. पत्नी के व्यवहार से आहत कार्तिक अब लगातार तनावग्रस्त रहने लगा है.
शोधकर्ताओं के अनुसार तनाव निम्न कारणों से संक्रमित हो सकता हैः
* तेज़ आवाज़ में बात करना
* चेहरे की भाव-भंगिमाएं
* शारीरिक हाव-भाव
* यहां तक कि शरीर की गंध भी तनाव का कारण हो सकती है.
क्या आप भी इनमें से एक हैं?
* परीक्षा के दौरान कई मांएं अपने बच्चे पर पढ़ाई का इतना प्रेशर डालती हैं कि बच्चे तनावग्रस्त हो जाते हैं.
* ऑफिस में रोज़ाना अपना दुखड़ा सुनाने वाले सहकर्मी तनाव संक्रमित करते हैं.
* पज़ेसिव गर्लफ्रेंड अक्सर तनाव बढ़ा देती है.
* अपने अहम् की संतुष्टि के लिए रौब झाड़नेवाले बॉस तनाव फैलाते हैं.
* ईर्ष्यालु दोस्त, रिश्तेदार भी ताने मार-मारकर तनाव बढ़ाते हैं.
कैसे बचें तनाव के संक्रमण से?
* संवेदनशील लोग तनाव से जल्दी संक्रमित होते हैं, इसलिए ऐसे लोगों को तनाव बढ़ाने वाले व्यक्तियों से दूर रहना चाहिए.
* हर बात को पर्सनली न लें, क्योंकि हर बात आपके लिए नहीं कही जाती.
* दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं, हम सभी को संतुष्ट नहीं कर सकते, इसलिए सबको ख़ुश करने की कोशिश न करें.
* अपनी ख़ूबियों व कमियों का ख़ुद आकलन करें, दूसरों की बातों में न आएं.
फैक्ट फाइल
सेंट लुइस यूनिवर्सिटी, यूएस के मनोवैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने ये दावा किया है कि कुछ स्थितियों में तनाव संक्रामक होता है और कई बार हम अजनबियों द्वारा भी तनाव से संक्रमित हो जाते हैं.
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