आमतौर पर लोगों की सोच होती है कि रक्तदान यानी ब्लड डोनेट करने से उन्हें कमज़ोरी आ जाएगी या उनकी सेहत पर इसका बुरा असर होगा, इसलिए वे ब्लड डोनेट करने से कतराते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ब्लड डोनेट करने से ब्लड डोनर को किसी का जीवन बचाने या किसी की मदद करने की आत्मसंतुष्टि तो मिलती ही है, साथ ही ये उनके हेल्थ के लिए भी फ़ायदेमंद है.
हमारे देश में समय पर खून न मिलने के कारण हर साल 15 लाख मरीज़ अपनी जान गंवा बैठते हैं. इनमें उन बच्चों की तादाद अधिक होती है, जिन्हें थेलेसिमिया के कारण बार-बार ब्लड की ज़रूरत होती है. दुर्घटना के शिकार, मलेरिया के मरीज़ों, कुपोषणग्रस्त बच्चों के अलावा प्रेग्नेंट वुमन को भी कई कारणों से ब्लड की ज़रूरत होती है. ब्लड डोनेशन से जुड़े अहम् पहलुओं पर डॉ. मनोज जैन ने हमें कई उपयोगी जानकारियां दीं.
यदि सभी लोग साल में एक बार भी ब्लड डोनेट करें, तो कई ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं. एक सामान्य मनुष्य में 5 से 6 लीटर ब्लड होता है और उसके शरीर के वज़न में 7 % वज़न ब्लड का होता है. मेडिकली एक हेल्दी व्यक्ति हर तीन महीने में एक बार ब्लड डोनेट कर सकता है. यदि देश का हर हेल्दी व्यक्ति ब्लड डोनेट करता रहे, तो ब्लड की कमी से कभी किसी की मृत्यु नहीं हो सकती. हमारे यहां सबसे अधिक पाया जानेवाला ब्लड ग्रुप ‘ओ’ और सबसे कम ‘एबी निगेटिव’ है.
दान भी, सेहत भी…
अधिकतर लोगों का मानना है कि ब्लड डोनेट करने से कमज़ोरी आती है. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ब्लड डोनेट करते समय जितना ब्लड निकलता है, उसकी भरपाई हमारे शरीर में 2-3 दिन के अंदर हो जाती है. इसलिए ब्लड डोनेट करना न केवल एक अच्छा काम है, बल्कि ये आपको स्वस्थ भी रखता है. कैसे? आइए, जानते हैं.
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ब्लड डोनेट करने से शरीर को नुक़सान की बजाय कई फ़ायदे होते हैं, जैसे-
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कुछ अन्य फ़ायदे भी
ब्लड डोनेट कर सकते हैं?
कौन नहीं कर सकता ब्लड डोनेट?
देशभर में ब्लड बैंक की स्थिति
देश में नामी और सही तौर पर मात्र पांच सौ ब्लड बैंक हैं, जहां हर साल दस हज़ार यूनिट्स से अधिक ब्लड जमा होता है. साथ ही क़रीब छह सौ ऐसे ब्लड बैंक भी हैं, जो हर साल 600 यूनिट्स ही इकट्ठा कर पाते हैं. इनके अलावा 2433 ब्लड बैंक्स ऐसे हैं, जो तीन से पांच हज़ार यूनिट्स हर साल इकट्ठा कर लेते हैं.
देश में क़रीब 25 लाख लोग अपनी इच्छा से ब्लड डोनेट करते हैं. सबसे अधिक ब्लड बैंक महाराष्ट्र में 270, तमिलनाडु में 240 और आंध्र प्रदेश में 222 हैं.
जबकि उत्तर-पूर्व के सातों राज्यों में कुल मिलाकर 29 ऑथोराइज़्ड ब्लड बैंक्स हैं.
क्या आप जानते हैं?
ब्लड डोनेट करके जहां हम एक नेक कार्य करते हैं, वहीं अपने शरीर के ब्लड को भी क्लीन करते हैं, जो हमारे सेहत के लिए ज़रूरी भी है. रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए हम सभी कुछ ऐसा भी कर सकते हैं, जैसे जो लोग ब्लड डोनेट करने के इच्छुक हैं, वे अपने दोस्तों का एक ग्रुप बना सकते हैं. और जब कभी जान-पहचान वाले या किसी को भी ब्लड की ज़रूरत पड़े, तब वे एक-दूसरे को मैसेज देकर ब्लड की ज़रूरत को पूरा कर सकते हैं. और यदि इस गु्रप में रेयर ब्लड ग्रुपवाले लोग भी हों, तो और भी अधिक ज़रूरतमंदों की मदद की जा सकेगी.
– ऊषा गुप्ता
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