जीवन की जद्दोज़ेहद में अधिकतर पुरुष अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाते हैं, जिससे उन्हें अनेक बीमारियां घेर लेती हैं. आइए, जानते हैं कुछ ऐसे आवश्यक टेस्ट्स के बारे में जिन्हें कराने से कुछ बीमारियों का पता प्राथमिक अवस्था में ही चल जाता है.
जब उम्र 20 से 35 वर्ष हो
20 से 30 वर्ष के पुरुष हर वर्ष नॉर्मल फ़िज़िकल चेकअप करवाएं, जिसमें वज़न, हाइट व ब्लड प्रेशर आदि चेक कराएं. लेकिन जब तीस साल की उम्र को पार कर जाएं, तो सामान्य शारीरिक जांच के साथ-साथ डायबिटीज़, हार्ट, थायरॉइड, लीवर व एनीमिया के लिए भी ज़रूरी टेस्ट्स करवाएं.
1. ब्लड टेस्ट : कंप्लीट ब्लड काउंट, लीवर ़फंक्शन टेस्ट, फ़ास्टिंग एवं पोस्ट प्रैंडियल ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफ़ाइल, थायरॉइड टेस्ट आदि.
कब कराएं?
हर तीसरे वर्ष. यदि टेस्ट में कोई चीज़ असामान्य आती है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.
क्यों कराएं?
इससे कई बातों का पता चलता है, जैसे- व्हाइट सेल्स, प्लेटलेट काउंट, किडनी व लीवर की स्थिति, कोलेस्ट्रॉल लेवल, थायरॉइड, एनीमिया, डायबिटीज़ या प्रीडायबेटिक अवस्था आदि. कोई भी असाधारण स्थिति हो, तो दवाइयों से इलाज संभव है.
2. ईसीजी- इसे इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम कहते हैं, इसमें छोटी-छोटी विद्युत तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो हार्ट की क्रियाशीलता को रिकॉर्ड करती हैं.
कब कराएं?
यदि सीने में दर्द, हांफना या तेज़ धड़कन की शिकायत न हो, तो हर तीसरे वर्ष कराएं. यदि परिवार में हार्ट प्रॉब्लम का इतिहास हो या कोई रिस्क फैक्टर्स हों, तो हर साल कराए.
क्यों कराएं?
यह हृदय संबंधी समस्याओं की पहचान का मुख्य टेस्ट है.
3. चेस्ट एक्स-रे
कब कराएं?
हर तीन साल बाद.
क्यों कराएं?
इससे फेफड़ों के संक्रमण, लंग कैंसर व टी.बी. के बारे में पता चलता है.
4. सोनोग्राफ़ी
कब कराएं?
हर तीन साल बाद.
क्यों कराएं?
इससे पेट की समस्याएं, जैसे- लीवर की वृद्धि होना, किडनी स्टोन तथा गाल ब्लैडर स्टोन के बारे में पता चलता है.
जब उम्र 35 से 50 वर्ष हो
1. ट्रेडमील टेस्ट
कब कराएं?
40 वर्ष की उम्र तक हर दो साल बाद एवं उसके बाद हर साल यह टेस्ट कराएं.
क्यों कराएं?
यह एंजाइना व हार्ट अटैक के लिए ज़िम्मेदार कोरोनरी हार्ट डिसीज़ का स्क्रीनिंग टेस्ट है. इसमें बीमारी का जल्दी पता लगने से आनेवाली दुर्घटना से बचा जा सकता है.
2. इको कार्डियोग्राफ़ी
कब कराएं?
40 वर्ष की उम्र तक हर दो साल बाद एवं उसके बाद हर साल यह टेस्ट कराएं.
क्यों कराएं?
यह टेस्ट हार्ट की आरामावस्था में उसकी रचना एवं बनावट संबंधी सारी विस्तृत जानकारी देता है. यदि ब्लॉकेज है, तो उसका पता लगाने में मदद करता है. इससे आगे का इलाज कराने में आसानी होती है.
3. लंग फंक्शन टेस्ट या पलमोनरी फंक्शन टेस्ट
कब कराएं?
40 वर्ष की उम्र तक हर 2 साल बाद एवं उसके बाद हर साल यह टेस्ट कराएं.
क्यों कराएं?
यह फेफड़ों के आकार एवं क्षमता को मापता है. इससे फेफड़ों से संबंधित अनेक समस्याओं व बीमारियों, जैसे- अस्थमा व क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस का पता चल जाता है, जिससे आसानी से इलाज किया जा सकता है.
40 की उम्र के बाद डायबिटीज़ टाइप 2 के लिए एचबी 1, एएलएसी टेस्ट करवाएं. यदि शुगर लेवल 120 से लेकर 200 के बीच में है, तो तीन महीने में टेस्ट करवाएं. साथ ही ग्लूकोज़ टॉलरेंट टेस्ट भी करवाएं.
जब उम्र 50 वर्ष व उससे अधिक हो
क्या कराएं?
हर साल टाइप 2 डायबिटीज़ व लिपिड डिसऑर्डर के लिए ब्लड टेस्ट ज़रूर करवाएं. इसके अलावा इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, आंख व कान के टेस्ट्स, प्रोस्टेट व कोलोन कैंसर के लिए स्क्रीनिंग और अगर परिवार में हार्ट डिसीज़ की हिस्ट्री है या फिर सिगरेट, शराब, मोटापा, ब्लड प्रेशर जैसे रिस्क ़फैक्टर्स हैं, तो उसकी भी जांच करवाएं. मोतियाबिंद का भी चेकअप करवाते रहें. साथ ही लिवर एंज़ाइम्स के स्तर की जांच के लिए लिवर की जांच और डिप्रेशन की जांच भी ज़रूरी है. अगर उम्र 60 के पार हो, तो अलज़ाइमर्स और डेमेंशिया की जांच भी करवानी चाहिए.
ऊपर बताए टेस्ट्स के अलावा ये जांच भी करवाएं
1. ब्लड टेस्ट- ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफ़ाइल, प्रोस्टेट स्पेसिफ़िक एंटीजन. प्रोस्टेट के लिए टेस्ट बेहद महत्वपूर्ण है और इसका स्तर यदि 20 ग्राम से अधिक हो, तो सतर्क रहें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
एनीमिया, कोलेस्ट्रॉल लेवल, टाइप 2 डायबिटीज़ व प्रोस्टेट कैंसर की जानकारी के लिए.
2. स्टूल टेस्ट/ कोलनोस्कोपी/ अपर गैस्ट्रोइंटस्टाइनल एंडोस्कोपी (स्टूल में ब्लड पाए जाने पर)
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
गैस्ट्रोइंटस्टाइनल कैंसर की जानकारी पाने के लिए.
3.आई चेकअप, ईएनटी चेकअप, ऑडियोमेट्री (कान का चेकअप)
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
आंखों व कानों की जांच के लिए, ख़ासकर मोतियाबिंद की.
4. ईसीजी, ट्रेडमील, इकोकार्डियोग्राफ़ी
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
कोरोनरी हार्ट डिसीज़ की जानकारी के लिए.
5. बोन मिनरल डेंसिटी स्कैन
कब कराएं?
हर 2 वर्ष में.
क्यों कराएं?
हड्डियों के कमज़ोर होने की स्थिति के बारे में जानने के लिए.
ज़रूरी टेस्ट्स
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