महिलाओं के हक में जल्द ही स्वास्थ्य मंत्रालय एक ऐसा कदम उठाने जा रही है, जिसमें अविवाहित व सिंगल महिलाओं को भी अबॉर्शन का क़ानूनी हक़ मिलेगा. अभी तक स़िर्फ विवाहित महिलाओं को ही अनवांटेड प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करवाने की अनुमति है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के नए क़दम के तहत सिंगल/अविवाहित महिलाओं को भी ‘गर्भ निरोधक गोलियों के असफल रहने’ व ‘अनचाहे गर्भ’ की स्थिति में अबॉर्शन के लिए कानूनी मान्यता मिल जाएगी.
नया कानून स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट में संशोधन के लिए की गई सिफारिशों का नतीजा होगा. वर्तमान में अबॉर्शन के लिए एक डॉक्टर की ज़रूरत होती है, जो बताता है कि अबॉर्शन क्यों ज़रूरी है. देश में सेक्सुअली एक्टिव सिंगल व अनमैरिड महिलाओं को देखते हुए सरकार अबॉर्शन के कानूनी दायरे को बढ़ाना चाहती है. जानकारों का मानना है कि सरकार का ये कदम महिलाओं के हक में है. इससे उन महिलाओं को राहत मिलेगी जो रेप के कारण प्रेगनेंट हो जाती हैं.
फैक्ट फाइल
* भारत में हर साल क़रीब 70 लाख अबॉर्शन किए जाते हैं.
* इसमें से 50 फीसदी ऑफरेशन गैरक़ानूनी होते हैं.
* ग़लत और असुरक्षित तरी़के से ऑपरेशन की वजह से अबॉर्शन के व़क्त क़रीब 8 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु हो जाती है.
* पूरे विश्व में हर साल क़रीब 2 करोड़ 20 लाख असुरक्षित अबॉर्शन के मामले दर्ज किए जाते हैं.
– कंचन सिंह
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