हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि हर पुरुष यह तो कामना करता है कि उसकी पत्नी बहुत अच्छे स्वभाव की हो, लेकिन एक क्षण के लिए यह नहीं सोचता कि वो ख़ुद कैसा पति है. शादी म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग होती है. इसमें पति-पत्नी दोनों बराबर के हक़दार होते हैं, लेकिन स़िर्फ पति ही नहीं, हमारा समाज भी हर बात की अपेक्षा पत्नी से ही रखता है. पर सवाल उठता है कि पत्नी ही क्यों? क्या पतियों ने कभी सोचा है या जानने की कोशिश की है कि वे कैसे पति हैं? अगर नहीं, तो सोचें और कोशिश करें एक अच्छा हमसफ़र और स्मार्ट फैमिली (How To Become Smart Family Man) मैन बनने की.
– अपनी पत्नी के साथ क्वालिटी टाइम व्यतीत करें, यह बहुत ज़रूरी है. परिवार की ज़िम्मेदारियों के बीच पत्नी के लिए समय निकालें.
– अच्छा पति वही होता है, जो पत्नी की भावनाओं व विचारों का सम्मान करता है.
– आपकी पत्नी जैसी है, उसे वैसे ही स्वीकार करें, तभी आप उसे सही सम्मान दे पाएंगे. ऐसा तभी होगा, जब आप उसके साथ क्वालिटी टाइम व्यतीत करेंगे.
– घर पर प्राइवेसी न मिले, तो उसे बाहर ले जाएं और उसे अपने दिल का बोझ हल्का करने का मौक़ा दें. वह जो कहना चाहती है, उसे बिना रोके-टोके कहने दें.
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– रोज़मर्रा की छोटी-छोटी ख़ुशियों को सेलिब्रेट करना न भूलें. पत्नी इसी बात से ख़ुश हो जाती है कि आपको छोटी-छोटी बातें याद रहती हैं.
– बच्चों को भी अपनी ख़ुशियों में शामिल करें. सेलिब्रेट करने के लिए ज़रूरी नहीं है कि किसी होटल में जाया जाए या बड़े पैमाने पर पार्टी की जाए, घर पर ही आप कुछ ख़ास कर सकते हैं, जैसे- अपने हाथों से कोई डिश बनाएं या सरप्राइज़ गिफ्ट दें.
– पत्नी, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को समय-समय पर सरप्राइज़ देने से जीवन में उमंग बनी रहती है.
– कभी-कभी रोज़मर्रा के जीवन से ब्रेक लें और कुछ एक्साइटेड करें.
– पत्नी ग़ुस्सा हो, तो पति शांत रहे. स्मार्ट फैमिली मैन बनने के लिए यह गुण होना बहुत ज़रूरी है. दोनों ही एक समय पर ग़ुस्सा करेंगे, तो बात बहुत ज़्यादा बिगड़ सकती है. क्रोध की अवस्था में सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है और व्यक्ति सही-ग़लत का फ़र्क़ भी नहीं कर पाता है. अत: क्रोधित पत्नी को शांत करने का प्रयास करें और ख़ुद भी धैर्य बनाए रखें.
– वैवाहिक जीवन में कई बार तर्क-वितर्क की परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं. पति-पत्नी किसी एक विषय पर अलग-अलग तर्क रखते हैं और वाद-विवाद होता है. ऐसी स्थिति में ध्यान रखना चाहिए कि अपना तर्क रखें, लेकिन प्रेम के साथ. शांति और प्रेम के साथ अपनी बात जीवनसाथी के सामने रखेंगे, तो झगड़े की नौबत नहीं आएगी.
– कई बार हम ङ्गसॉरीफ कहने से भी हिचकते हैं, क्योंकि पुरुष का अहं उसे ऐसा करने से रोकता है. ग़लती होने पर खुले दिल से सॉरी कहें और झगड़े को ख़त्म कर दें.
– पुरानी ग़लतियों की बातें कर पत्नी को न ताने दें, न ही उलाहना. यदि कभी पत्नी या बच्चों से कोई ग़लती हो गई है, तो उसका ज़िक्र बार-बार कर उनका मनोबल न तोड़ें. केवल प्यार से समझाएं कि फिर से ऐसी ग़लती न दोहराई जाए.
– स्मार्ट फैमिली मैन होने का सुख पाना चाहते हैं तो घर-परिवार के प्रति ज़िम्मेदार बनें. फोर्टिस हॉस्पिटल की क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट डॉ. कामना छिब्बर के अनुसार, नई चीज़ों, विचारों को एक्सप्लोर करें. पुरानी परंपराओं में जकड़े रहने की बजाय समय के साथ स्वयं को अपडेट करें. इसके लिए पत्नी व बच्चों की राय जानना बहुत आवश्यक है.
– घर-परिवार, जॉब, फाइनेंस आदि से जुड़े मुद्दों पर परिवार में बात करें. एक स्मार्ट फैमिली मैन को यह पता होता है कि पत्नी की ही मेहनत की वजह से उसका घर-परिवार इतना ख़ुशहाल रहता है. इसके अलावा यह भी कि न तो वो परफेक्ट हैं, न ही आप.
– आपको उनको ङ्गथैंक्यूफ कहना चाहिए कि उन्होंने आपकी ज़िंदगी को कितनी अच्छी तरह संवारा है. बच्चों की ज़िम्मेदारी स़िर्फ उनकी ही नहीं है, बल्कि आपकी भी है. इसलिए पढ़ाई से लेकर ख़रीददारी तक की सारी ज़िम्मेदारी पत्नी पर ही न डालें, बल्कि उनका इसमें साथ दें. पत्नी को भी अच्छा लगेगा.
अगर आपने फिल्म ङ्गमैरी कॉमम देखी है, तो मैरी कॉम के पति की भूमिका याद करें. वह हर व़क्त अपनी पत्नी के सबसे ज़बर्दस्त समर्थक बने रहे. बॉक्सिंग रिंग पर मैरी कॉम का उत्साह बढ़ाने से लेकर घर पर बच्चों के लंगोट बदलने की भूमिका निभाने तक उसने मैरी कॉम के सपने को मरने नहीं दिया. पत्नी को प्रैक्टिस के लिए भेजकर घर पर बच्चों को बख़ूबी संभाला. यदि यही फिल्म किसी पुरुष बॉक्सर पर होती, जिसमें उसकी पत्नी का पूरा सहयोग होता. वह घर पर बच्चों की देखभाल करती, तो क्या उसकी इतनी सराहना होती? हम ऐसे दंपतियों को जानते हैं, जहां पत्नियां इसलिए पीछे हट गईं कि पति करियर में अच्छा प्रदर्शन कर सकें. ऐसा क्यों है कि किचन में काम करनेवाले और बच्चों की देखभाल करनेवाले पति के लिए तो ङ्गअद्भुतफ जैसे विशेषण लगाए जाते हैं, लेकिन जब महिला यही काम करती है, तो कहा जाता है कि वह तो अपना काम कर रही है?फ क्या वह सराहना की हक़दार नहीं है?
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– सुमन बाजपेयी
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