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बच्चे तो बच्चे ही हैं. बस हर बात पर ज़िद और मनमानी… और बात जब खाने-पीने की हो, तब तो उनके नखरे और भी बढ़ जाते हैं. उन्हें कहां समझ आता है कि सेहत के लिए क्या सही है और क्या नहीं? लेकिन हर मां चाहती है कि उसका बच्चा हेल्दी डायट ले और हेल्दी रहे. पर आजकल बच्चों को रोटी-सब्ज़ी और दाल-चावल की बजाय जंक फूड, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स ही ज़्यादा भाते हैं. इस तरह के अनहेल्दी डायट और खाने की ख़राब आदतों की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है.
14 साल का साकेत स्कूल से लौटते ही चिप्स और नूडल्स की मांग करता है. उसका तर्क होता है कि टिफ़िन वह स्कूल में खा चुका है, जिसमें सब्ज़ी-रोटी थी. अब उसे उसकी पसंद का नाश्ता चाहिए. जबकि आधा टिफ़िन तो वह रोज़ घर वापस लेकर आता है.
10 साल की प्रतीक्षा स्कूल से आते ही बिस्किट, केक व नमकीन के लिए एयरटाइट डिब्बे टटोलने लगती है और तब तक खाना नहीं खाती, जब तक कि साइड डिश के रूप में उसे ये चीज़ें नहीं मिल जातीं.
आजकल के बच्चों को घर में बने खाने की बजाय स्कूल-कॉलेज की कैंटीन से पिज़्जा या पास्ता खाना ज़्यादा अच्छा लगता है या यूं कहें कि इन्हें इन चीज़ों की लत लग गई है और यही आजकल के पैरेंट्स की परेशानी भी है. लेकिन घबराने की बात नहीं, क्योंकि बच्चों को फिट और हेल्दी रखने के तरी़के बता रहे हैं, बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष जांबेकर.
♦ बाज़ार में जंक फूड बड़ी ही सहजता से कम दामों पर, दुकानों में, स्कूल-कॉलेजों आदि में उपलब्ध हैं. इससे बच्चे इनकी ओर बहुत जल्दी आकर्षित होते हैं.
♦ बच्चे घंटों टीवी, कंप्यूटर या प्ले स्टेशन के सामने बैठे रहते हैं. चिप्स, पॉपकार्न जैसी चीज़ें खाते समय उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे कितना ज़्यादा
खा गए हैं.
♦ कामकाजी महिलाएं चाहकर भी बच्चों के खाने की ओर ध्यान नहीं दे पातीं. छोटे होते परिवारों में, घर में अकेले रहनेवाले बच्चे खाना कम और ये मज़ेदार चीज़ें ज़्यादा खाते हैं, नतीज़ा मोटापा.
♦ बच्चे बचपन में तो बाहर जाकर खेलते हैं, लेकिन थोड़ा बड़े होने पर पढ़ाई का बोझ और व्यस्तता उन्हें इतना थका देती है कि वे खेलने की बजाय रिलैक्स होने के लिए टीवी या इंटरनेट पर बैठना पसंद करते हैं और बस मोटापा बढ़ता जाता है.
♦ औसत भारतीयों में मेटाबॉलिक रेट बहुत धीमा होता है. इससे ज़्यादातर कैलोरीज़ फैट के रूप में जमा हो जाती है. बहुत थोड़ी कैलोरीज़ एनर्जी में बदलती है. यह भी मोटापे का एक अहम् कारण है.
स्कूल में-
♦ स्कूल जाते वक़्त बच्चों को ज़्यादा पैसे न दें, ताकि बच्चे कैंटिन से जंक फूड न ले सकें.
♦ बच्चे अक्सर ङ्गफिज़िकल एजुकेशनफ या ङ्गस्पोर्ट्स का पीरियडफ महत्वहीन समझकर उन्हें अटेंड नहीं करते. उन्हें उनका महत्व समझाएं व ये पीरियड्स अवश्य अटेंड करने के लिए कहें.
♦ बच्चों को परीक्षा के समय न तो खाना कम करने दें और न ही ओवर ईटिंग करने दें.
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घर में-
♦ बच्चों को निश्चित समय पर खाना दें.
♦ नाश्ते की आदत ज़रूर डालें.
♦ भूख लगने पर फल खाने की आदत डालें, न कि नमकीन या स्नैक्स.
♦ टीवी, इंटरनेट या वीडियो गेम्स खेलने का समय निश्चित कर दें और समय पूरा होने पर उन्हें उठा दें.
♦ कोई भी खेल, जैसे- दौड़ना, भागना, रस्सी कूदना आदि कम से कम 10 मिनट तक अवश्य खेलने को कहें.
बाहर खाते समय-
♦ बच्चे कोल्ड ड्रिंक्स की जगह लस्सी, मसाला मिल्क, लो फैट मिल्क, फ्रूट जूसेस या नारियल पानी पीएं.
♦ तली हुई चीज़ें खाने की बजाय ग्रिल्ड, बेक्ड या रोस्टेड डिशेज़ खाएं. इससे वज़न नहीं बढ़ेगा.
♦ मेयोनीज़ या चीज़ के बदले टमेटो, मस्टर्ड सॉस या चटनियां खाएं, इससे मोटापा कम होगा.
जब घर पर खाना न खा सकें
♦ टीनएज बच्चे स्कूल, कॉलेज से घर व ट्यूशन के बीच भागते रहते हैं. इससे समय पर खाना नहीं खा पाते. जब भूख लगती है, तब बाहर का जंक फूड खाकर पेट भर लेते हैं. कई बार दोस्तों की देखा-देखी, पीयर प्रेशर में भी ऐसी चीज़ें खाई जाती हैं. इसलिए जब भी बच्चा घर पर खाए, कोशिश करें कि उसे न्यूट्रीशियस व प्रोटीनयुक्त फूड, जैसे- अंडे, दूध, पनीर, चीज़, टोफू व अंकुरित अनाज दें.
♦ खाना टेस्टी होना ही काफ़ी नहीं, वह दिखने में भी आकर्षक हो, ताकि बच्चा ख़ुद ही उसे खाना चाहे.
♦ बच्चे को भूखे पेट घर से न निकलने दें. भले ही मन ना हो, फिर भी थोड़ा-सा नाश्ता ज़रूर करवाएं.
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पानी/जूस दें
ध्यान रखें कि बच्चे दिनभर में 8-10 ग्लास पानी पी रहे हैं या नहीं. कई बार बच्चे प्यास व भूख में फर्क़ नहीं कर पाते. प्यास लग रही होती है, तो उन्हें भूख का एहसास होता है, इसलिए अन्य चीज़ों के साथ उन्हें फ्रूट जूसेस, लस्सी, मिल्क शेक व शर्बत आदि देते रहें.
दें हेल्दी स्नैक्स
♦ बढ़ती उम्र में बच्चों को बहुत भूख लगती है. उन्हें थोड़ी-थोड़ी देर बाद खाने के लिए कुछ न कुछ चाहिए होता है. उनके आसपास हेल्दी स्नैक्स, जैसे- ड्रायफ्रूट्स, राइस व्हीट पॉप्स (बाज़ार में उपलब्ध), भुने हुए चने, डाइजेस्टिव बिस्किट्स, मल्टी ग्रेन बिस्किट्स, बेक्ड चिप्स, डाइट नमकीन आदि रखें, ताकि वे ख़ुद ले सकें.
♦ बच्चों को फ्रिज खोलने की आदत होती है, उसमें फ्रूट्स, हेल्दी स्नैक्स, सूप, जेली, जूसेस आदि रखें.
नाश्ते के हेल्दी विकल्प
♦ वेजीटेबल सैंडविच, पोहा, उपमा, उबला अंडा, ऑमलेट, चीज़ वेस्ट, इडली, डोसा, ढोकला भी अच्छे ऑप्शन हैं. इनमें बारीक कटी सब्ज़ियां डालें. इससे सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं.
♦ सत्तू भी नाश्ते का हेल्दी विकल्प है. इसे कभी मीठा, तो कभी नमकीन बनाएं. नमकीन सत्तू में नमक, हरी मिर्च डालकर मिक्सर में ब्लेंड कर दें व ड्रिंक के रूप में बच्चों को दें. इससे बहुत एनर्जी मिलती है.
♦ व्हाइट ब्रेड (मैदेवाली ब्रेड) की जगह, ब्राउन ब्रेड या मल्टी ग्रेन ब्रेड का इस्तेमाल करें.
♦ बच्चों को नूडल्स बहुत भाते हैं. मैदेवाले नूडल्स की जगह आटा नूडल्स या मल्टी ग्रेन नूडल्स दें.
♦ नूडल्स में ढेर सारी सब्ज़ियां डालें.
♦ कभी-कभार बच्चों को स्प्राउट भेल बनाकर दें. इसके लिए अंकुरित मूंग या मटकी (मोट) में हरी चटनी, खट्टी-मीठी चटनी, प्याज़, टमाटर, बारीक सेव मिलाएं. इसे बच्चे बहुत मज़े से खाएंगे.
– डॉ. नेहा
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