सिविल सेवा परीक्षा ( Civil Service Examination) भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, लेकिन यदि कठोर परिश्रम, समर्पण, गंभीरता और एक योजना बनाकर रणनीति के साथ इस परीक्षा की तैयारी की जाए, तो इसमें कोई भी प्रतियोगी सफल हो सकता है. अतः सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू होने से पहले इस परीक्षा की चयन प्रक्रिया तथा तैयारी की रणनीति को सिलसिलेवार तरी़के से जानना बेहद ज़रूरी है.
चयन प्रक्रिया
देश की प्रशासनिक प्रणाली को सुव्यवस्थित तरी़के से संचालित करने के लिए सिविल सेवकों की नियुक्ति हेतु हर साल संघ लोक सेवा आयोग एक अखिल भारतीय परीक्षा का आयोजन करता है, जिसे सिविल सेवा परीक्षा के नाम से जाना जाता है. यह परीक्षा तीन चरणों में होती है- प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू. प्रारंभिक परीक्षा एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, जिसकी प्रकृति वस्तुनिष्ठ एवं वैकल्पिक प्रकार की होती है. इसका उद्देश्य प्रत्याशी के अध्ययन की व्यापकता और तत्काल निर्णय लेने की क्षमता को जांचना है. मुख्य परीक्षा एक लिखित परीक्षा है, जिसके तहत अध्ययन की गहराई और विश्लेषण क्षमता का परीक्षण होता है. परीक्षा के अंतिम चरण साक्षात्कार यानी इंटरव्यू के ज़रिए प्रत्याशी के व्यक्तित्व गुणों और उसकी समसामयिक जागरूकता की जांच की जाती है.
योग्यता
कोई भी युवा, जो भारत सरकार या राज्य सरकार या यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक है, वह इस परीक्षा में शामिल हो सकता है. जो प्रत्याशी अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठ रहा है व जिसका रिज़ल्ट आना बाकी है, वह भी आवेदन कर सकता है, लेकिन उसे मुख्य परीक्षा में बैठने से पूर्व परीक्षा उत्तीर्ण करने का सर्टिफिकेट दिखाना होगा.
आयु सीमा
परीक्षा आयोजित करनेवाले वर्ष में 1 अगस्त को प्रत्याशी की आयु 21 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए. लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति व पिछड़े वर्ग के प्रतियोगियों के लिए अधिकतम 5 वर्ष की छूट दी गई है.
अवसरों की संख्या
सिविल सेवा परीक्षा में बैठनेवाले सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों को 4 व अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा शारीरिक रूप से विकलंाग प्रत्याशियों को अधिकतम 7 अवसर दिए जाते हैं. ध्यान रहे कि प्रारंभिक परीक्षा में बैठने को एक अवसर मान लिया जाएगा, भले ही प्रत्याशी परीक्षा के अगले चरणों में शामिल न हो.
परीक्षा केंद्र
यूपीएससी देश के विभिन्न भागों के लगभग 45 केंद्रों पर प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन करता है, जबकि मुख्य परीक्षा कुछ चुनिंदा केंद्रों पर ही आयोजित की जाती है. साक्षात्कार परीक्षा यूपीएससी के नई दिल्ली स्थित कार्यालय में होती है, जिसके लिए बुलाए गए प्रतियोगियों को कमीशन की ओर से रेल या बस किराया भी दिया जाता है.
कैसे करें आवेदन?
सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने के दो तरी़के हैं, पहला- ऑनलाइन एप्लीकेशन और दूसरा प्रमुख डाकघरों पर उपलब्ध एप्लीकेशन फॉर्म को भरकर यूपीएससी को भेजा जा सकता है.
किसी भी कठिन कार्य के लिए एक सुस्पष्ट योजना या रणनीति आवश्यक है. चूंकि सिविल सेवा परीक्षा न केवल एक कठिन परीक्षा है, बल्कि इसमें सफलता दर भी बहुत कम है, अतः इसके लिए परीक्षा के तीनों चरणों के लिए कई स्तरों पर योजना बनाने की ज़रूरत पड़ती है.
सबसे पहला सवाल तो यह उठता है कि इसकी तैयारी कब से शुरू की जाए. बेहतर तो यही होगा कि सिविल सेवा में जाने के इच्छुक प्रतियोगी को अपनी स्नातक की पढ़ाई करते हुए ही इसके बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए. स्नातक या कोई अन्य डिग्री हासिल करने के बाद जब पूरी तरह से केवल इसी परीक्षा की तैयारी में लग जाएं, तब इसके लिए एक से तीन साल का समय लेकर चलें. इसके लिए अधिकतम आयु सीमा या अवसरों की संख्या को लेकर योजना न बनाएं, वरना आपकी तैयारी लंबी हो सकती है. कोशिश यही करें कि इसमें 1-2 सालों में सफलता मिल जाए. वैसे सफलता के लिए एक समग्र रणनीति ज़रूरी है, पर छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर इसे आसान बनाया जा सकता है.
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए रणनीति
सिविल सेवा परीक्षा का पहला और महत्वपूर्ण चरण प्रारंभिक परीक्षा है. जैसा कि बताया जा चुका है कि यह एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, जिसका उद्देश्य जो प्रत्याशी इस परीक्षा को लेकर गंभीर नहीं है, उनकी छंटनी करना है. यह महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि इसमें सफल हुए बगैर मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं हुआ जा सकता, पर इसमें सफल होना तब कोई मायने नहीं रखता, जब परीक्षा के लिए अगले चरणों में सफलता न मिले. प्रारंभिक परीक्षा के पैटर्न में इस साल से कुछ बदलाव भी किए गए हैं. अब इसमें वैकल्पिक विषयों का पेपर नहीं होगा और उसकी जगह पर सीसैट का नया पेपर जोड़ा गया है.
प्रारंभिक परीक्षा का नया स्वरूप इस प्रकार का है-
पेपर 1- सामान्य अध्ययन
अंक: 200, समयः 2 घंटे
पेपर 2- सीसैट
अंक: 200, समयः 2 घंटे*
प्रारंभिक परीक्षा का मुख्य उद्देश्य परीक्षार्थी के तथ्यात्मक ज्ञान को परखने के साथ उसकी तत्काल निर्णय लेने की क्षमता को जांचना है. पिछले कुछ वर्षों में इसके प्रश्नों के पैटर्न में काफ़ी बदलाव आया है, इसलिए इसकी तैयारी नए अप्रोच के साथ होनी चाहिए. इसके तहत निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है-
– प्रतिमा तिवारी
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