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बचपन ऐसा समय है, जब बालमन नई-नई बातें सीखता भी है और सीखने को उत्सुक भी रहता है. अभिभावक भी उसे हर तरह का ज्ञान तो देते हैं, साथ ही चाहते हैं उसे अच्छी आदतें मिलें. इसमें ज़्यादातर चाह होती है कि बच्चा आज्ञाकारी हो, विनम्र बने.children
जब बच्चा बोलने लगता है, समझने लगता है, तभी से शुरुआत की जानी चाहिए. एक बात याद रखें, बच्चे ज़्यादातर बातें दूसरों को देखकर ही सीखते हैं, इसलिए माता-पिता का व्यवहार ऐसा हो कि बच्चा उसे आसानी से स्वीकार कर सके व उसे आचरण में ला सके. यदि आपका व्यवहार प्यारभरा व नम्र होगा, तो बच्चे आक्रामक हो ही नहीं सकते.
तथ्यों तक गहराई में पहुंचने के लिए हमने मनोवैज्ञानिक डॉ.वाय.ए. माचिसवाला से बात की.
♦ बच्चे हर समय माता-पिता का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि स़िर्फ उनकी ही बातें सुनी जाएं, इसलिए वे हर समय उनके काम में रुकावट डालते रहते हैं. चाहे ऑफ़िस की फ़ाइल निपटाना हो, मीटिंग हो, दोस्तों से बात करना हो या टेलीफ़ोन की बातचीत हो. यदि उन्हें समय पर ठीक से नहीं समझाया जाता, तो यह आदत बन जाती है.
♦ बच्चे को डांटने की बजाय उसे इशारे से रुकने के लिए कहें, फिर तुरंत बातचीत बंद कर बच्चे से बात करें. इससे उसे राहत महसूस होगी.
♦ बच्चों के दोस्तों पर भी नज़र रखें. कई बार ग़लत संगत का असर भी बच्चों को विद्रोही बना देता है. बच्चे को बात-बात पर टोकें नहीं. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा बार-बार करने से बच्चे पर अभिभावकों की किसी भी अच्छी-बुरी बात का कोई असर नहीं होता. बेहतर होगा दोस्ताना संबंध रखते हुए बात समझाई जाए.
♦ किशोरों में शारीरिक परिवर्तन होते हैं. उनका उदास, दुखी होना या कभी-कभार बुरा व्यवहार करना, हारमोन्स में बदलाव के लक्षण हैं. इसे उनकी बदतमीज़ी ना समझें. सावधानी से काम लें.
♦ बच्चों के लिए समय जरूर निकालें. उनकी कठिनाइयां, समस्याएं जानें. ऐसा व्यवहार रखें कि वे आपसे हर बात शेयर करें.
♦ आजकल बच्चों पर बहुत ज़्यादा शैक्षणिक दबाव है. कई बार उन्हें खेलने के लिए भी समय नहीं मिलता. इससे वे आत्मकेंद्रित व दब्बू बन जाते हैं. नम्रता और दब्बूपन के बीच बहुत पतली रेखा होती है. ध्यान रहे, आपका बच्चा इसका शिकार ना हो.
♦ टीवी के कुछ सीरियल्स, कार्टून और कंप्यूटर गेम बच्चों में आक्रामकता पैदा करते हैं. बच्चों को इनसे बचाने की कोशिश करें. अच्छा देखेंगे, तभी अच्छा सीखेंगे.
♦ माता-पिता के तनावपूर्ण वैवाहिक संबंध भी बच्चों को विद्रोही बना देते हैं.
♦ बच्चों को प्यार करना ही नहीं, अपने प्यार का एहसास कराना भी ज़रूरी है और यह भी कि वे आपके लिए कितना मायने रखते हैं.
♦ बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें. उसे स्वतंत्र रूप से काम करने दें. कुछ ग़लती हो तो प्यार से समझाएं. इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा.
♦ बच्चा आपके भावों को पढ़ वैसा ही करता है. उसे सिखाने से पहले ख़ुद को आदर्श बनाएं.
♦ बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएं.
♦ वैवाहिक जीवन का तनाव बच्चे के सामने ना आने दें.
♦ हमेशा सकारात्मक व्यवहार रखें.
♦ दोस्तों व बाहरवालों के सामने हमेशा उसकी तारीफ़ करें.
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