कोरोना वायरस की लड़ाई में लॉकडाउन के इस समय यूं तो हर कोई अपने-अपने ढंग से कभी ख़ुशी कभी ग़म वाले अंदाज़ में घर पर समय बीता रहा है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी कठिनाई का सामना फिल्म इंडस्ट्री के वर्कर्स कर रहे हैं. उन्हीं के सहयोग और मदद के लिए सभी सितारे एक हुए हैं और लाजवाब एक छोटी फिल्म बनाई गई है.
फिल्म स्टार जो मुश्किल से घर पर समय बिताते थे, अब उनके लिए पूरा 24 घंटे घर पर रहना.. दिनभर घर में समय बिताना मुश्किलोंभरा लग रहा है, लेकिन फिर भी इन सबके बावजूद वे घर पर हैं और लोगों को भी घर पर रहने, अपना ख़्याल रखने के लिए सलाह दे रहे हैं.. निवेदन कर रहे हैं. वे अपने परिवार यानी फिल्म इंडस्ट्री के बारे में भी सोच रहे हैं. इसी से जुड़ा हुआ वीडियो अमिताभ बच्चन ने शेयर किया है. साथ इस बात को भी मज़बूती से पेश किया है कि इस महामारी के समय हम सब एक हैं.
जब कभी देश में कोई मुसीबत या संकट आया है, तब सब एक हो गए हैं. फिल्म इंडस्ट्री भी इस बात की मिसाल रही है इसी की बानगी देखने को मिली है इस वीडियो में.
ब्लैक एंड वाइट के रूप में एक शॉर्ट फिल्म फैमिली, जो घर पर रहकर बनाई गई है. इसमें दिखाया गया है कि अमिताभ बच्चन अपना काला चश्मा यानी सनग्लास ढूंढ़ रहे हैं, जो मिल नहीं रहा है. वे बार-बार अपनी अर्धांगिनी यानी घरवाली को बुलाते रहते हैं, पुकारते रहते हैं कि उनका चश्मा नहीं मिला है. तब दिलजीत दोसांज आते हैं और ढूंढने लगते हैं. आगे बढ़ते हुए वे रणबीर कपूर को उठाते हैं, जो सो रहे हैं. उनको कहते हैं कि अंकल का चश्मा नहीं मिल रहा हैं. उसे ढूंढ़ने में मदद करो. जबकि रणबीर सोने के मूड में है और मना करते हैं. उस पर सोनाली उन्हें झाड़ लगाती हैं और दोनों को चश्मा ढूंढ़ने के लिए कहती हैं.
इसी तरह सीन आगे बढ़ता रहता है, तो कभी मामूट्टी, तो कभी रजनीकांत, आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा एक-एक कलाकार आते जाते हैं. भारतभर के सभी फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों ने अभिनय किया है और सभी चश्मा ढूंढने की इस मुहिम और बातचीत में शामिल होते हैं. अंत में जब दिलजीत आलिया भट्ट को फोन करते हैं और चश्मे के बारे में पूछते हैं, तो बड़े मजाकिया अंदाज में आलिया कहती हैं कि तुम मुझे फोन क्यों कर रहे हो, मैं तो तुम्हारे पीछे ही हूं. तब दिलजीत उन्हें चश्मे के बारे में पूछते हैं. ऐसे में आलिया का हाथ अपने माथे पर जाता है और चश्मा मिल जाता है. तब वह चश्मा लेकर अमिताभ बच्चन को देने के लिए भागते हैं, तो रणबीर उनके हाथ से ले लेते हैं उसे मैं दूंगा कहते हैं. लेकिन बाज़ी मार ले जाती हैं प्रियंका चोपड़ा. वे अमिताभ बच्चन को चश्मा देती हैं. उन्हें देख अमितजी थोड़ा चौंक से जाते हैं. प्रियंका पूछती हैं कि आप इतनी देर से चश्मा ढूंढ़ क्यों रहे थे. अमिताभ कहते हैं कि घर से बाहर जाना नहीं है. निकलना नहीं है, तो धूप भी नहीं लगेगी. ऐसे में सनग्लास को संभालकर रखना ज़रूरी है, कहीं इधर- उधर ना हो जाए.. गुम ना हो जाए, इसलिए ढूंढ रहा था.
है ना बड़ी मज़ेदार बात. पूरी शॉर्ट फिल्म एक काला चश्मा की तलाशी में बितती है. इसमें सभी कलाकार ने अपना-अपना सीन घर पर रहकर किया है.
अमिताभ बच्चन के अनुसार, इसे करने का उद्देश्य यह बताना रहा है कि फिल्म इंडस्ट्री एक है. हम सब एक परिवार की तरह हैं. इस कोरोना वायरस की लड़ाई में सबसे अधिक संघर्ष और दिक्कतों का सामना हमारे फिल्म वर्कर्स को करना पड़ रहा है. हम फिल्म इंडस्ट्री ने मिलकर निर्णय लिया है कि हम इन्हें सहयोग देंगे और इनकी मदद करेंगे, बिल्कुल एक परिवार की तरह. आपने देखा होगा कि जब कोई समस्या आती है, तब परिवार के सभी हाथ आगे बढ़कर मदद के लिए आ जाते हैं.
इसी के साथ उन्होंने एक मज़ेदार बात यह भी बताई कि यह शूट अपने-अपने घर पर रहकर कलाकारों ने किया है. सभी ने अपने-अपने राज्य व शहरों में अपने घर से इस शूट में हिस्सा लिया है यानी कोई भी घर से बाहर नहीं निकला है. उनके कहने का तात्पर्य है कि हमने नियम का पालन करते हुए सहयोग और प्रेरणा के लिए इसे बनाया है, तो आप सब से भी यही कहना है कि आप घर पर रहें.. स्वस्थ रहें.. और नियमों का पालन करें… यह दिन भी कट जाएंगे और सवेरा आएगा. उम्मीद का दामन मत छोड़ना.
इस यूनीक शॉर्ट फिल्म का निर्देशन प्रसून पांडे ने किया है. कलाकारों के नाम इस प्रकार हैं- दिलजीत दोसांझ, रणबीर कपूर, मामूट्टी, चिरंजीवी, मोहनलाल, सोनाली कुलकर्णी, रजनीकांत, प्रोसेनजीत चटर्जी, शिवा राजकुमार, आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा और अमिताभ बच्चन.
चूंकि अलग-अलग भाषा की फिल्मों के कलाकारों ने अभिनय किया है, तो उन्होंने अपनी भाषा यानी हिंदी, पंजाबी, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड, मलयालम, बंगाली आदि भाषाओं का इस्तेमाल किया है. इसी कारण इसमें इंग्लिश में सबटाइटल्स भी दिए गए हैं. सच बढ़िया व मज़ेदार परिकल्पना. इस तरह के दिलचस्प कॉन्सेप्ट पर और भी शॉर्ट फिल्में बननी चाहिए. घर बैठे लोगों को अच्छा मनोरंजन होगा और वक़्त भी बढ़िया गुजरेगा.
फिल्म के अंत में अमितजी ने बेहद प्रेरणादायी बात भी कही है कि-
जब विषय देशहित का हो.. और आपका संकल्प आपके सपने से भी ज़्यादा विशाल हो.. तब फिर इस ऐतिहासिक प्रयत्न का उल्लास और कृतज्ञ भाव, अपने फिल्म उद्योग के सह कलाकारों और मित्रों के लिए!
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