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कहीं आपका फोन आपको स्ट्रेस तो नहीं दे रहा?(Is Your Mobile Causing You Stress And Anxiety?)

फोन को स्मार्टफोन बनानेवालों ने हमारी उलझनों को कम करने और काम को आसान बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश की, पर हमारा स्मार्टफोन समस्याएं सुलझाने की बजाय ख़ुद एक समस्या बन गया है. हमने अपने चारों ओर एक ऐसा वर्चुअल वर्ल्ड बना लिया है, जो हमारे लिए हमारी असल ज़िंदगी से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. अगर व्हाट्सऐप पर मैसेज न आए, तो लगता है कि दुनिया थम-सी गई है. क्या आपके साथ भी ऐसा होता है?

 

आधा घंटा हो गया, मोबाइल पर एक भी मैसेज नहीं, एक भी सोशल मीडिया नोटिफिकेशन नहीं, एक भी मिस्ड कॉल नहीं… अजीब-सी बेचैनी महसूस हो रही है… एक हड़बड़ाहट-सी मची है, हर दो मिनट में फोन को उठाकर चेक कर लेते हैं… क्या है ये? क्यों ले रहे हैं बेवजह का स्ट्रेस? घबराएं नहीं, स़िर्फ आपका ही नहीं, आजकल ज़्यादातर लोगों का यही हाल है. हमारी ज़िंदगी को
आसान बनानेवाला स्मार्टफोन ख़ुद हमारे स्ट्रेस का कारण बन गया है. आप भी ज़रूर इस स्ट्रेस से परेशान होंगे, तो आइए जानें कि कैसे निपटें इस मोबाइल स्ट्रेस से.

कई टाइप के हैं मोबाइल स्ट्रेस

कहीं बैटरी डाउन न हो जाए

आजकल ज़्यादातर लोगों के बैग में बाकी कुछ हो न हो, मोबाइल फोन का चार्जर ज़रूर रहता है. और हो भी क्यों ना, मोबाइल की बैटरी डाउन न हो जाए, यह डर हर किसी के दिमाग़ में रहता है. बैटरी 40% के नीचे गई नहीं कि दिल की धड़कनें तेज़ होने लगती हैं और यही वजह है कि आप बेवजह का स्ट्रेस अपने दिमाग़ में पाले रखते हैं.

क्या करें?
– शाम को घर पहुंचने के बाद मोबाइल को चार्जिंग पर लगाकर बैटरी फुल चार्ज कर लें.
– आजकल ज़्यादातर एंड्रॉयड फोन्स की बैटरी 24 घंटे से ज़्यादा नहीं चलती, इसलिए शाम को मोबाइल चार्जिंग को अपना रूटीन बना लें.
– पावरबैंक हमेशा अपने साथ कैरी करें.
– ऑफिस से निकलने से घंटे-दो घंटे पहले मोबाइल चार्जिंग पर लगा दें.
– अगर सुबह बैटरी कम चार्ज है, तो जब तक आप तैयार होते हैं, तब तक लगा दें, चार्ज हो जाएगी.
– अगर आपका मोबाइल उससे जल्दी डिस्चार्ज होता है, तो अपने फोन की बैटरी चेक कराएं. हो सकता है, उसमें कोई ग़ड़बड़ी हो. अगर सिस्टमैटिकली काम करेंगे, तो यह स्ट्रेस नहीं होगा.

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कोई ज़रूरी मैसेज छूट न जाए

यह स्ट्रेस ज़्यादातर वर्किंग लोगों को रहता है. आजकल ज़्यादातर काम लोग मोबाइल पर ही करते हैं और वो भी मैसेजिंग के ज़रिए, तो हर व़क्त आपको चौकन्ना रहना पड़ता है. कहीं नेटवर्क की गड़बड़ी या फोन की ख़राबी की वजह से कोई मैसेज न छूट जाए, यह स्ट्रेस हमेशा दिमाग़ में बना रहता है.
क्या करें?
– सोशल मीडिया नोटिफिकेशन्स ऑन करके रखें.
– ऑफिस या घर के बाहर मैसेज टोन थोड़ा बढ़ाकर रखें.
– जब भी किसी ज़रूरी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, तो कलीग्स को बताकर रखें कि ट्रैवेलिंग आदि के दौरान आपका नेटवर्क सही नहीं रहता या फिर इतने से इतने समय तक आप मोबाइल चेक नहीं कर पाते, तो ऐसे में कोई भी मैसेज देने के लिए मैसेजिंग की बजाय कॉल करें.

मेरी फोटो को इतने कम लाइक्स क्यों मिले?

यह तो हमारी सोशल मीडिया जनरेशन की सबसे बड़ी समस्या और दुख का कारण है. सेल्फी के शौक़ीनों के लिए इससे बड़ा कोई दुख नहीं कि वो अपना फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करें और तुरंत उनके दोस्त लाइक्स और कमेंट न करें. फोटो अपलोड करते ही अक्सर लोग बार-बार चेक करके देखते रहते हैं कि कितने लाइक्स मिले और कितने लोगों ने कमेंट किया. और अगर रिस्पॉन्स इनके मन मुताबिक नहीं मिलता, तो स्ट्रेस होने लगता है.
क्या करें?
– सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करने के बाद थोड़ा सब्र रखें, क्योंकि जैसे-जैसे आपके फ्रेंड्स आपकी पोस्ट देखेंगे, वैसे-वैसे आपके लाइक्स बढ़ेंगे.
– ज़रूरी नहीं कि आपके सभी फ्रेंड्स हमेशा ऑनलाइन रहें, उन्हें भी अपने ज़रूरी काम करने होते हैं, इसलिए तुरंत रिएक्शन की उम्मीद न करें.
– लाइक्स को प्यार और केयरिंग का पैमाना न बनाएं, वरना बेवजह का स्ट्रेस होगा.
– और वैसे भी क्या फ़़र्फ पड़ता है, अगर कम लाइक्स मिले तो, आपको प्यार करनेवाले आपके रियल लाइफ में हैं, उन्हें तवज्जो दें.

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ग्रुप में सभी डिस्कस कर रहे हैं, मुझे भी अपनी राय देनी होगी?

फ्री मैसेजिंग ऐप के इस ज़माने में हर किसी के मोबाइल में कई ग्रुप बने हैं. फैमिली, फ्रेंड्स, रिश्तेदार, ऑफिस, स्कूल, कॉलेज यहां तक कि ट्रेन फ्रेंड्स के भी ग्रुप बने होते हैं. इन ग्रुप में दिनभर किसी न किसी विषय पर चर्चा चलती ही रहती है. ऐसे में अगर आप हिस्सा नहीं लेते, तो उसके लिए भी ताने सुनने पड़ते हैं कि आप ही दुनिया के सबसे व्यस्त इंसान हैं. ऐसे में यह भी एक मजबूरी बन जाती है और भले ही आप कितने ही बिज़ी क्यों न हों, आपको कुछ न कुछ राय देनी ही पड़ती है. ये बेवजह का स्ट्रेस आपकी कॉन्संट्रेशन को भी बिगाड़ता है, जिससे आपकी कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है.
क्या करें?
– ग्रुप चैट के दौरान सभी को बता दें कि आप थोड़े मसरूफ़ हैं, इसलिए इस मसले पर सोच-विचारकर शाम को फुर्सत से जवाब देंगे.
– ट्रैवेलिंग के व़क्त को आप इस काम के लिए फिक्स रख सकते हैं. इस दौरान सभी के मैसेजेस रिप्लाई करें और बेवजह का स्ट्रेस न लें.
– बहुत-से ग्रुप्स यूं ही टाइमपास ग्रुप होते हैं, उनमें होनेवाले चैट्स को इतनी तवज्जो न दें.
– ग्रुप में रहकर ही आप उनसे जुड़े रहेंगे, ऐसा नहीं है, अगर आप कंफर्टेबल नहीं हैं, तो वहां से एक्ज़िट कर लें.

कहीं फोन खो न जाए या कोई चुरा न ले

आज हमारा मोबाइल ही हमारा सबसे बड़ा ख़ज़ाना बन गया है. छोटी से छोटी बात हम उसमें नोट करके या सेव करके रखते हैं. ख़ूबसूरत पलों के फोटोज़, वीडियोज़, मैसजेस, कॉन्टैक्ट नंबर्स सेव करके रखते हैं, पर कहीं न कहीं यह स्ट्रेस भी बना रहता है कि कहीं फोन खो या हैंग न हो जाए, वरना आपका सारा ख़ज़ाना लुट जाएगा.
क्या करें?
– मोबाइल के फोटोज़, वीडियोज़ और मैसेजेस का बैकअप लेकर रखें.
– कॉन्टैक्ट्स आदि को बैकअप के लिए मेल कर दें या किसी और सुरक्षित जगह सेव कर दें.
– अपने फोन को लापरवाही से न रखें, जब भी जहां भी रखें, सुरक्षित स्थान पर रखें, ताकि चोरी होने या खोने का डर न हो.

कहीं स्पेशल डेज़ भूलने पर ताना न सुनना पड़े?

स्मार्टफोन्स हमारे अपनों के बर्थडे, एनीवर्सरी जैसे स्पेशल डेज़ याद रखने में हमारी हमेशा मदद करते हैं. फेसबुक से लेकर व्हाट्सऐप और रिमाइंडर्स ये काम बख़ूबी करते हैं, फिर भी कभी नोटिफिकेशन में प्रॉब्लम हो या आपका ध्यान न गया हो, तो आप नोटिफिकेशन या रिमांइडर मिस कर सकते हैं, इसलिए इस बात का इतना स्ट्रेस न लें कि दोस्तों की बातें सुननी पड़ेंगी.
क्या करें?
– सोशल मीडिया नोटिफिकेशन के भरोसे न रहकर अपने मोबाइल में भी रिमाइंडर सेट करके रखें.
– बिलेटेड कार्ड और स्पेशल गिफ्ट से उन्हें विश कर दें.

मोबाइल स्ट्रेस का प्रभाव

– रिसर्च के अनुसार, आप जितना ज़्यादा थके और स्ट्रेस में रहेंगे, उतनी ज़्यादा आप ग़लतियां करते हैं.
– शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
– एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ स्मार्टफोन के कारण लोग ङ्गऑलवेज़ ऑनफ सिंड्रोम से ग्रस्त होने लगे हैं. उन्हें लगता है उन्होंने मोबाइल फोन को नहीं, बल्कि मोबाइल फोन ने उन्हें काम पर लगाया हुआ है.
– फोन एडिक्शन आपकी सेहत के लिए हानिकारक है, इसलिए इससे जितनी ज़रूरत हो, उतना ही इस्तेमाल करें.
– मोबाइल के स्ट्रेस से ख़ुद को बचाने के लिए अपना ध्यान अन्य कामों या मनोरंजन के साधनों में लगाएं.

– अनीता सिंह

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Pratibha Tiwari

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