जब-जब किसी ने कुछ नया करने की ठानी है, तो ज़माना सबसे पहले उस पर हंसा है. ज़माने की हंसी से डरकर अपना ़फैसला बदलनेे वाले कभी शिखर पर नहीं पहुंचते. अतः असफलता से डरने की बजाय जीवन की नई इनिंग की शुरुआत कुछ इस अंदाज़ में करें, जैसे बस ये पल ही आपके लिए आख़िरी पल है. दोबारा ये मौक़ा आपको नहीं मिलेगा.
कल नहीं, बल्कि आज से करें शुरुआत
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब…कबीर दास के इस दोहे को गांठ बांधकर अपने दिलो-दिमाग़ में बिठा लें. अक्सर काम को कल पर छोड़ने की ग़लती करने वाले जीवन में कभी भी नई शुरुआत नहीं कर पाते. कल किसने देखा है. कल आप रहें न रहें…ये हालात ऐसे रहें न रहें…इसलिए पूरी शिद्दत से जुट जाएं अपने जीवन को संवारने में. नया करने के लिए किसी शुभ समय या नए साल का इंतज़ार करने वाले तो बस, बहाना बनाते हैं. जो वाक़ई बदलाव चाहते हैं, वो किसी शुभ घड़ी का इंतज़ार नहीं करते.
छोड़ दें अतीत का दामन
अक्सर लोग अपने अतीत को भूल नहीं पाते. अतीत का डर उन्हें बार-बार परेशान करता रहता है. ऐसे लोगों के लिए उस नन्हीं-सी चिड़िया का उदाहरण देना बहुत ज़रूरी है, जो इंसान द्वारा छूए अपने घोंसले को असुरक्षित समझकर उसे छोड़ देती है और दोबारा वहां बसेरा नहीं करती, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि वो जीवन ही त्याग देती है या फिर दूसरा घोंसला नहीं बनाती. वो फिर कोशिश करती है तथा उस जगह से दूर कहीं और अपना बसेरा बनाती है. उसी नन्हीं-सी चिड़िया की तरह आप भी अतीत की असफलताओं से सबक लेते हुए जीवन की नई इनिंग की शुरुआत करें.
प्रयास करते रहें
बल्ब का आविष्कार करनेवाले थॉमस एडिसन को स्कूल से ये कहकर निकाल दिया गया था कि वो पढ़ने लायक नहीं हैं. थॉमस की ऑफिशियल स्कूलिंग नहीं हुई, लेकिन इससे वो निराश नहीं हुए. स्कूल की पढ़ाई तो उन्होंने छोड़ दी, लेकिन घर पर अपनी मां से शिक्षा लेना जारी रखा. मां के विश्वास और साथ से उन्होंने जीवन की नई शुरुआत करने के लिए कई प्रयास किए, जिसमें सुबह-सुबह अख़बार बेचना भी शुमार था. अपने प्रयास के बल पर उन्होंने ख़ुद को साबित कर दिया. आप भी अपनी क्षमता और क़ाबिलियत पर भरोसा करते हुए जीवन को नई दिशा दे सकते हैं.
लोगों का काम है कहना
बहुत से लोगों की आदत होती है कि वो ख़ुद से ज़्यादा दूसरों के बारे में सोचते हैं. उदाहरण के लिए मैं अब से ऐसा करूंगा, तो लोग क्या सोचेंगे, फलां मेरे बारे में क्या सोचेगा, कहीं मैं उससे पीछे रह गया तो…आदि. इस तरह की बेकार की बातों को अपने मन से निकाल दीजिए. ये ज़िंदगी आपकी है. कुछ नया करने की सोचिए और उस दिशा में आगे बढ़िए.
निराशा में ही छुपी है आशा
किसी चीज़ की अति इस ओर इंगित करती है कि जल्द ही समय बदलने वाला है. जब आपके चारों ओर दुख और निराशा बहुत ज़्यादा बढ़ने लगे, तब समझ जाइए कि जल्द ही अच्छा समय आनेवाला है. निराश होने पर अक्सर हम आगे की ज़िंदगी के बारे में सोचना छोड़ देते हैं, कोई योजना नहीं बनाते, कोई नया काम शुरू नहीं करते, जबकि उस व़क्त मायूस होने की बजाय सकारात्मक सोच के साथ मेहनत करके आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं. अपने वर्तमान और भविष्य दोनों को संवार सकते हैं.
श्वेता सिंह
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