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काव्य- सावन से पहले चले आना… (Kavay- Sawan Se Pahle Chale Aana…)

Hindi Kavita सुनो ना... सावन से पहले चले आना बड़ा तरसी है आरज़ू तेरी ख़ातिर इस बरस खुल के बरस जाना मद्धिम हवा को साथ लिए कुछ गुनगुनी बूंदों को हाथ लिए जब दूर कहीं सूरज ढले जब यहीं कहीं गगन धरा से मिले दबे पांव धीमी दस्तक से दर मेरा खटखटाना सुनो ना... सावन से पहले चले आना                                                - मंजू चौहान   मेरी सहेली वेबसाइट पर मंजू चौहान की भेजी गई कविता को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं यह भी पढ़ेShayeri

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