डिजिटल सेंसेशन के रूप में मशहूर पंचायत के सचिवजी उर्फ़ जीतू भैया उर्फ़ जीतेंद्र कुमार की नेचुरल अदाकारी हर किसी को छू जाती है. राजस्थान के एक छोटे से शहर से आनवाले जीतेंद्र कुमार में सभी आउटसाइडर्स को आज एक पहचान और उम्मीद नज़र आती है. बॉलीवुड में जहां भाई भतीजावाद या गॉड फादर का राज चलता है, ऐसी इंडस्ट्री में आने पर ही जीतू भैया समझ गए थे कि यहां फेल होने के लिए ख़ुद को तैयार रखना होगा. 2012 से जो उनका स्ट्रगल शुरू हुआ, तो बहुत कुछ सीखते और झेलते हुए 7 सालों का लंबा सफ़र तय करने के बाद 2019 में उन्हें अपनी सही पहचान मिली. कैसा रहा जीतेंद्र कुमार का यह स्ट्रगलभरा सफ़र आइए देखते हैं.
शुभ मंगल ज़्यादा सावधान में गे लड़के का किरदार निभानेवाले जीतेंद्र कुमार ने उस फिल्म में आने प्यार को पाने के लिए जितना स्ट्रगल किया, उससे कहीं ज़्यादा स्ट्रगल उन्हें ख़ुद की पहचान बनाने में लगा, लेकिन यह उनका जज़्बा ही था, जिसने उन्हें हारना नहीं सिखाया. आईआईटी खड़गपुर से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद जहां उनके सारे दोस्त इंटरव्यू की तैयारी कर रहे थे, वहीं जीतेंद्र ने इंटरव्यू में कुछ ख़ास दिलचस्पी नहीं ली और नतीजा यह कि जहां उनके सभी दोस्तों को 10-12 लाख के पैकेज की नौकरी मिली, वहीं उनके हाथ कोई जॉब नहीं लगी.
अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने जो ट्रेन पकड़ी, वह उन्हें मायानगरी मुंबई ले आई. आपको बता दें कि इंजीनियरिंग के दौरान ही जीतेंद्र कुमार ने थियेटर में काम करना शुरू कर दिया था. पढ़ाई में बहुत अच्छे न होने के बावजूद वो कैम्पस में काफ़ी मशहूर हो गए थे. वहीं उनकी मुलाकात उनके दोस्त बिस्वपति सरकार से मुलाकात हुई, जो ख़ुद खड़गपुर आईआईटी से थे और बॉलीवुड में बतौर राइटर ख़ुद को इस्टैब्लिश कर रहे थे. उन्होंने ही जीतेंद्र को एक्टिंग की ओर मोड़ा.
मुंबई आते वक्त हर किसी की तरह जीतेंद्र भी यही सोच रहे थे कि आते ही उनको कई फिल्में मिल जाएंगी और वो शाहरुख खान की तरह मशहूर हो जाएंगे, पर सपनों और हकीकत में जितना फ़र्क होता है, उतना ही उनके साथ भी हुआ. शुरुआती कुछ दिनों तक उन्होंने काफ़ी स्ट्रगल किया. एक समय ऐसा भी आया कि उनके पिता ने भी पूछ लिया, आखिर कर तक स्ट्रगल करोगे. और कुछ दिनों बाद सिर्फ़ जीतेंद्र से इतना कहा कि ड्रग्स मत लेना. एक पिता होने के नाते उनकी फ़िक्र को हम समझ सकते हैं. हर पिता चाहता है कि उसका बेटा अपने पैरों पर खड़ा हो जाए.
शुरुआती दिनों में मिले फेलियर ने जीतेंद्र जो वापस इंजीनियरिंग में ला खड़ा किया. एक एमएनसी में ईमानदारी से काम करने के बावजूद भी जब सब सही नहीं चला, तो जॉब छोड़कर वो अपने घर खैरथल लौट गए. इंजीनियर्स के परिवार से नाता रखनेवाले जीतेंद्र का इस तरह जॉब छोड़ना उनके पिता को अच्छा नहीं लगा और उनके इंजीनियर पिता ने कुछ दिनों तक उनसे बातचीत नहीं की.
कुछ समय घर पर बिताकर एक बार फिर वो मुंबई आए, लेकिन इस बार पक्का इरादा करके आए थे कि कुछ करके दिखाना है. अपने बुलंद हौसलों के साथ उन्होंने टीवीएफ वीडियोज़ में काम करना शुरू किया और धीरे धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी. यंगस्टर्स के बीच इनके वीडियोज़ काफ़ी मशहूर होने लगे.
2014 से लेकर जो उनकी शुरुआत हुई, उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस दौरान टेक कन्वरजेशन विद डैड, ए डे विद सीरीज़, टीवीएफ बैचलर्स सीरीज़ एयर कोटा फैक्टरी में उनके काम को काफ़ी सराहा गया. पर्मानेंट रूममेट्स के गिट्टू और कोटा फैक्ट्री के जीतू भैया के नाम से मशहूर जीतेंद्र कुमार की पहचान बढ़ने लगी थी.
2015-16 में आए टीवीएफ पिचर्स और टीवीएफ बैचलर्स जैसे शोज़ ने उनकी लोकप्रियता और बढ़ा दी. साल 2019 जीतेंद्र कुमार की ज़िंदगी मे एक नया उजाला लेकर आया, सालों से स्ट्रगल कर रहे जीतेंद्र को फ़िल्म गे लव स्टोरी पर बनी आयुष्मान खुराना की फिल्म शुभ मंगल ज़्यादा सावधान ने जीतू भैया को स्टार बना दिया. उसके बाद ही उनकी काफ़ी लंबे समय से अटकी वेबसीरीज़ पंचायत भी आई, जिसने उन्हें सचिवजी के रूप में घर घर में पहचान दिला दी.
हाल ही में नेटफ्लिक्स पर आई फ़िल्म चमन बहार में उनके बिल्लू के किरदार को लोगों ने काफ़ी पसंद किया. पानवाले की भूमिका में एक स्कूली लड़की को दिल दे बैठे टपरीवाले के किरदार में जीतेंद्र की सादगी और नेचुरल एक्टिंग कुछ और निखरकर आई.
1 सितंबर, 1990 में खैरथल, अलवर, राजस्थान में जन्मे जीतेंद्र ने स्कूल की पढ़ाई हिंदी मीडियम में की थी, ऐसे में आईआईटी खड़गपुर में भी उन्हें कम स्ट्रगल नहीं करना पड़ा. खासतौर पर तब जब सीनियर्स ने अंग्रेज़ी में कुछ डायलॉग्स बोलने के लिए कहा. आईआईटी से शुरू हुई उनकी कुछ कर दिखाने की चाह पूरी तो नहीं हुई है, पर अपनी एक अलग पहचान बनानेवाले जीतेंद्र कुमार आज सभी आउटसाइडर्स के लिए एक मिसाल हैं. इनकी कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जिंदगी में कोई मुकाम हासिल करना चाहते हो, तो फेलियर से मत घबराओ, मेहनत करते रहो, लगे रहो, चीज़ें कभी न कभी तो आपके फेवर में होंगी.
हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद जब उनसे इंडस्ट्री के बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था कि जो लोग भी बाहर से आते हैं, उन्हें अपने लिए ख़ुद मौके बनाने पड़ते हैं. ऐसा नहीं है कि रास्ते बंद होते हैं, इसका उदाहरण ख़ुद सुशांत सिंह राजपूत थे, जिन्होंने बाहर से आकर अपनी पहचान बनाई थी. हर किसी को अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इंडस्ट्री में अन्याय तो है ही पर इसका मेरे पास कोई सोल्यूशन नहीं है. मैं सिर्फ़ कड़ी मेहनत कर सकता हूं.
एक्टिंग के अलावा जीतेन्द्र कुमार को लेखनी का भी शौक है, अक्सर अपनी लिखी लाइनें वो सोशल मीडिया के ज़रिए शेयर करते रहते हैं.
आपको जीतेंद्र कुमार की एक्टिंग कैसी लगती है और सचिवजी और बिल्लू में से आपका फेवरेट कौन है, हमें ज़रूर बताइएगा.
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