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मैरिटल रेप- ये कैसा पुरुषत्व? (Marital Rep- How’s Masculinity?)

Marital Rep

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

हमारे देश में संबंध बनाने के लिए शादी का लाइसेंस ज़रूरी है. इस लाइसेंस के बिना बने संबंधों को परिवार/समाज/क़ानून अवैध मानता है, मगर जब शादी के बाद भी ज़बर्दस्ती की जाए तब क्या? क्या शादी के बाद पुरुषों का पत्नी पर एकाधिकार हो जाता है, वो जब चाहें, जैसे चाहें उसके साथ व्यवहार करेंगे? क्या पत्नी की कोई मर्ज़ी नहीं होती? दांपत्य जीवन में सेक्स को प्यार जताने का ज़रिया माना गया है, मगर जब ये वहशियाना रुख़ अख़्तियार कर ले, पार्टनर की भावनाओं का ख़्याल न हो, क्या तब भी इसे प्यार कहा जाए? इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की है हमने इस ख़ास रिपोर्ट में.

क्या है मैरिटल रेप?
मैरिटल रेप… हमारे पुरुषवादी समाज के अधिकांश लोग इस शब्द को पचा नहीं पाते, क्योंकि उन्हें लगता है शादी का लाइसेंस मिलने के बाद पति को पत्नी के साथ कुछ भी करने की छूट मिल जाती है. पत्नी की मर्ज़ी के बिना पति द्वारा उसके साथ जबरन बनाए गए संबंध को मैरिटल रेप की श्रेणी में रखा जाता है, हालांकि हमारा क़ानून इस संबंध को रेप नहीं मानता.

डर लगता है इस प्यार से…
मैरिटल रेप कोई नई चीज़ नहीं है. हां, यह शब्द ज़रूर आधुनिक ज़माने की देन है. हमारे देश में तो सदियों से पत्नियां अपने पति को परमेश्‍वर मानने के लिए बाध्य हैं, भले ही उनका परमेश्‍वर उनके साथ पाश्‍विक हरक़तें ही क्यों न करे. इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वुमन की 2011 की एक स्टडी के मुताबिक, हर 5 में से 1 भारतीय पुरुष अपनी पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाता है. शादी… जिसे हमारे समाज में सात जन्मों का बंधन, दो दिलों, दो परिवारों का मिलन, पवित्र रिश्ता जैसी न जाने कितनी उपाधियों से नवाज़ा गया है, मगर इसके पीछे की एक कड़वी सच्चाई मैरिटल रेप भी है, जिस पर कम ही लोगों की ज़ुबान खुल पाती है. मोनिका (परिवर्तित नाम) कहती हैं, “कई बार हमारे बीच बहुत झगड़ा होता है, इतना कि उस व़क्त हम एक-दूसरे की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करते. इसकी वजह से मैं कई दिनों तक अपसेट रहती हूं, मगर मेरे पति को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. झगड़े के कुछ देर बाद ही अगर उनका मूड हुआ, तो मुझे संबंध बनाने के लिए मजबूर कर देते हैं. इतना ही नहीं, इस दौरान कई बार वो हिंसक भी हो जाते हैं और मुझे चोट पहुंचाते हैं, मगर शिकायत करने पर उल्टा मेरे ऊपर ये इल्ज़ाम लगाने लगते हैं कि मैं उन्हें अब प्यार नहीं करती, मैं पत्नी का धर्म नहीं निभाती. बहुत मुश्किल से मैं अपनी भावनाओं और आक्रोश को क़ाबू कर पाती हूं. पति के लिए सेक्स बस एक फिज़िकल एक्ट है जिसमें प्यार व भावनाओं की कोई जगह नहीं होती. मैं समझ नहीं पाती कि पति-पत्नी के प्यार को हमेशा सेक्स से ही जोड़कर क्यों देखा जाता है? स़िर्फ अपनी संतुष्टि के लिए पत्नी को चोट पहुंचाना, शारीरिक व मानसिक दर्द देने को भला प्यार कैसे माना जाए?” मोनिका जैसी मैरिटल रेप के दर्दनाक अनुभव से गुज़र चुकी महिलाओं को प्यार शब्द से ही डर लगने लगता है.

क्या शादीशुदा ज़िंदगी में सेक्स ही सबसे अहम् है?
सेक्स पति-पत्नी के बीच प्यार जताने का एक ज़रिया है और ख़ुशहाल दांपत्य जीवन के लिए ज़रूरी भी, मगर तब जब इसमें दोनों की रज़ामंदी हो. मैरिज काउंसलर डॉ. राजीव आनंद कहते हैं, “सेक्स तो दिल में बसे प्यार की अभिव्यक्ति है. जैसे आपके बैंक अकाउंट में पैसे नहीं होंगे, तो एटीएम से कहां से निकलेंगे? इसी तरह यदि दिल में प्यार न हो, तो अंतरंग संबंध बोझिल और दर्दनाक अनुभव बन जाते हैं. दरअसल, शादी के शुरुआती साल में कपल्स के बीच अंतरंग संबंध बहुत अहम् होते हैं, क्योंकि तब उनका शरीर हार्मोन्स के नियंत्रण में रहता है न कि दिल और भावनाओं के. हार्मोनल बदलाव के कारण पति पत्नी की ओर शारीरिक रूप से आकर्षित होते हैं, मगर महिलाएं इस बात को समझ नहीं पातीं. वो सोचती हैं, जो हो रहा है, होने दो. शायद ऐसा ही होता है शादी में… तभी मन न होने पर भी ना नहीं कर पातीं, पति के शारीरिक प्रेम की हकीक़त समझने में उन्हें लंबा अरसा बीत जाता है.” साइकोलॉजिस्ट निमिषा रस्तोगी भी मानती हैं कि सफल शादी के लिए हेल्दी सेक्स लाइफ के साथ ही कपल्स के बीच आपसी तालमेल बहुत ज़रूरी है.

 

 

 

 

 

 

मायने नहीं रखती पत्नी की मर्ज़ी
हमारा क़ानून और सरकार मैरिटल रेप शब्द से इत्तेफ़ाक नहीं रखती है. हाल ही में राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री हरीभाई परथीभाई चौधरी ने कहा था कि मैरिटल रेप की अवधारणा को भारत में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमारे समाज में विवाह को पवित्र संस्कार माना जाता है. साफ़ है कि हमारे देश में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता यानी पत्नी बनने के बाद एक औरत की मर्ज़ी के कोई मायने नहीं होते. पति जब चाहे जैसे चाहे पत्नी के साथ संबंध बना सकता है, उसका किसी सामान की तरह इस्तेमाल कर सकता है.
डॉ. राजीव आनंद कहते हैं, “कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए, तो ज़्यादातर पति को अपनी पत्नी की मर्ज़ी और उसके सम्मान से कोई लेना-देना नहीं होता, इस बारे में वो सोचते तक नहीं हैं. उन्हें लगता है सेक्स या शारीरिक प्रेम प्रदर्शन ही काफ़ी है और यही अच्छे वैवाहिक संबंध का प्रतीक है. उन्हें ये बात समझ नहीं आती कि बिना आपसी समझ और सम्मान के अच्छा रिश्ता और गहरा प्यार असंभव है. पत्नी की इच्छा या मर्ज़ी का भी उतना ही महत्व होता है जितना कि पति का, मगर ये बात समझते-समझते पूरी उम्र बीत जाती है.”

भूल जाते हैं मर्यादा
अपना और परिवार का मान-सम्मान बचाने की ख़ातिर अक्सर महिलाएं मैरिटल रेप के बारे में चुप ही रहती हैं. गांव-खेड़े की अशिक्षित और लंबे घूंघट में रहने वाली महिलाएं भले ही मैरिटल रेप शब्द से वाकिफ़ न हों, मगर इसके दर्दनाक अनुभव से ज़रूर वाकिफ़ हैं. 26 साल की बिंदिया (परिवर्तित नाम) कहती हैं, “शादी की पहली रात ही मेरे पति शराब पीकर कमरे में दाख़िल हुए और मेरे साथ ज़ोर-ज़बर्दस्ती करने लगे. उन्होंने जो मेरे साथ किया उसे मैं कहीं से भी प्यार नहीं मान सकती. मैं बेजान निर्जीव वस्तु की तरह पड़ी रही और मेरे पति मेरे शरीर से तब तक खेलते रहे जब तक उनका नशा नहीं उतर गया. इस वाक़ये से मैं इतनी सहम गई कि अगली रात उनके आने से पहले मैंने कमरे की कुंडी बंद कर दी.”
यदि आप इस ग़लतफ़हमी में हैं कि स़िर्फ कम पढ़े-लिखे या अशिक्षित पुरुष ही ऐसा करते हैं, तो आप ग़लत हैं. प्रिया (बदला हुआ नाम) के पति मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं, हर जगह लोग उनके शालीन व्यवहार के क़ायल हैं, मगर बेडरूम के अंदर जाते ही उनके रंग-ढंग बदल जाते हैं. पत्नी बीमार हो या किसी और परेशानी की वजह से जब भी वो संबंध बनाने में आनाकानी करती हैं, तो उनका पारा चढ़ जाता है और वो न स़िर्फ पत्नी के साथ ज़बर्दस्ती करते, बल्कि उसे दर्द पहुंचाने में उन्हें मज़ा भी आता. इतना ही नहीं, कई पुरुष तो परिवार और बच्चों का भी लिहाज़ नहीं करते हैं.

आख़िर क्यों करते हैं पति ऐसा?
हमारे समाज में हमेशा से महिलाओं को कमज़ोर और पुरुषों को शक्तिशाली माना गया है, इसलिए अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए कई पुरुष पत्नी पर ही अपनी ताक़त आज़माते हैं. साइकोलॉजिस्ट निमिषा कहती हैं, “महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की कमी, मीडिया में पेश महिलाओं की ग़लत छवि या अपने अहं/ग़ुस्से को ग़लत तरी़के से पेश करने की आदत भी मैरिटल रेप के लिए ज़िम्मेदार होती है. उत्तेजना में आकर किसी दूसरे (पत्नी) को चोट पहुंचाकर आनंद का अनुभव करने वाला व्यक्ति सामान्य नहीं हो सकता. ऐसे बीमार और विकृत मानसिकता वाले पुरुषों को इलाज, सज़ा और काउंसलिंग तीनों की ज़रूरत है.”

क्यों चुप रहती हैं महिलाएं?
परिवार/समाज क्या कहेगा और क़ानून भी तो इसे अपराध नहीं मानता, तो पति के ख़िलाफ़ जाकर कहां रहूंगी, मेरे बच्चों के भविष्य का क्या होगा आदि बातें सोचकर महिलाएं मैरिटल रेप की ज़िल्लत झेलती रहती हैं. पूर्णिमा (परिवर्तित नाम) कहती हैं, “पीरियड्स के दिनों में मुझे बदन दर्द और सिरदर्द की शिकायत रहती है, उस दौरान मैं पति के साथ सोने से कतराती हूं, क्योंकि उन दिनों में भी वो संबंध बनाने की ज़िद्द करते हैं. मैं दर्द से कराहती रहती हूं, मगर उन्हें बस अपनी संतुष्टि से मतलब होता है. मेरी हां और ना के तो कोई मायने ही नहीं हैं. अपने इस शारीरिक व मानसिक दर्द को मैं किसी से साझा भी नहीं कर सकती, क्योंकि लोग कहते हैं, कैसी औरत है पति पर ही ग़लत इल्ज़ाम लगाती है.”
दरअसल, हमारे देश में शादी का मतलब है संबंध बनाने का लाइसेंस. डॉ. आनंद के मुताबिक, “हर महिला अपने परिवार को बचाना चाहती है, बच्चों का अच्छा भविष्य चाहती है. समाज में अपने परिवार और पति की प्रतिष्ठा चाहती है, लेकिन इन सबकी क़ीमत उसकी शारीरिक/मानसिक यातना व पीड़ा नहीं हो सकती. स़िर्फ त्याग करते रहने, चुप रहने और ग़लत चीज़ों को सहने की बजाय महिलाओं को सही समय पर, सही तरी़के से बिना पार्टनर के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए, उन्हें विश्‍वास में लेकर इस बारे में विचार-विमर्श करना चाहिए कि कहां और कैसे दोनों अपने संबंधों को और मधुर बना सकते हैं? ताकि उनका रिश्ता और परिवार सलामत रहे.”
साइकोलॉजिस्ट निमिषा कहती हैं, “हमारे देश में सदियों से औरतों को दबाया गया है, मगर आज के दौर में महिलाओं को अन्याय के ख़िलाफ़ चुप नहीं रहना चाहिए. आज तो उनके पास कई महिला संगठन और क़ानून का साथ है जो उनकी मदद कर सकते हैं, मगर इसके लिए उन्हें ख़ुद पहल करनी होगी. जब तक वो ख़ुद ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठाएंगी उनके साथ ज़्यादती बंद नहीं होगी. मैरिटल रेप के मुद्दे पर महिलाएं मैरिज काउंसलर की भी मदद ले सकती हैं.”

 

 

 

 

 

 

 

 

बेबस महिलाएं कहां करें गुहार?
कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जब हिम्मत जुटाकर कोई महिला क़ानून के दरवाज़े तक तो गई, मगर उसकी दलील ये कहकर खारिज कर दी गई कि हमारे देश में मैरिटल रेप की कोई अवधारणा नहीं है. आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक, यदि पत्नी की उम्र 15 साल से कम है और पति उससे जबरन यौन संबंध बनाता है, तो वो बलात्कार माना जाएगा, मगर पत्नी की उम्र यदि 15 साल से ज़्यादा है, तो उस स्थिति में बना शारीरिक संबंध, भले ही वो ज़बर्दस्ती बना हो, रेप नहीं कहलाएगा. जब समाज और क़ानून दोनों ही पुरुषों की इस ज़्यादती को ग़लत नहीं मानते, ऐसे में पीड़ित महिलाओं का दर्द दुगुना हो जाता है.

महिलाओं पर असर
मैरिटल रेप का न स़िर्फ महिलाओं के शरीर, बल्कि दिलो-दिमाग़ पर भी बहुत गहरा असर पड़ता है.
डॉ. आनंद कहते हैं, “महिलाओं के लिए सेक्स का प्यार से गहरा संबंध होता है, प्यार की पराकाष्ठा होती है. मगर जब ये संबंध बिना उनकी मर्ज़ी के हो, तो शरीर के साथ ही उनका दिल भी टूट जाता है. फिर पार्टनर के प्रति उनके दिल में कोई प्यार और सम्मान नहीं रह जाता. रह जाती है तो स़िर्फ विवशता, खोखलापन, अविश्‍वास और ख़ुद को भोग की वस्तु समझे जाने की भावना, जो बहुत दुखदायी होती है. चूंकि महिलाएं इस बारे में किसी से कुछ कह भी नहीं पातीं, अतः अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं जिससे वो कई मानसिक व शारीरिक बीमारियों की शिकार हो जाती हैं.” साइकोलॉजिस्ट निमिषा के मुताबिक, “इसके कारण महिलाओं की मानसिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित होती है, उनका आत्मविश्‍वास कमज़ोर हो जाता है, उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है. दुख, आक्रोश और चिड़चिड़ाहट, जिसे वो पति पर नहीं निकाल सकतीं, कहीं और निकलता है. सेक्स के प्रति उनके मन में घृणा पैदा हो जाती है और पार्टनर के प्रति नफ़रत और अविश्‍वास से भर जाती हैं. कुछ मामलों में लगातार मैरिटल रेप सहते रहने पर महिलाओं का शादी पर से ही विश्‍वास उठ जाता है और डिप्रेशन में वो या तो ख़ुद को या सामने वाले को नुक़सान पहुंचाने की भी सोच सकती हैं.”

एक्सपर्ट स्पीक
मैरिटल रेप के लिए हमारे देश में अलग से कोई क़ानून नहीं है, मगर महिलाएं इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 498ए के क्रुअलिटी क्लॉज़ के तहत पति के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करा सकती हैं. इसमें शारीरिक व मानसिक क्रूरता शामिल है. मैरिटल रेप के लिए अलग से क़ानून बनाने की बजाय मौजूदा सेक्शन 498ए में ही संशोधन (अमेंडमेंट) की ज़रूरत है. नया क़ानून बना देने से मसला हल नहीं हो जाएगा.

– ज्योति सहगल, एडवोकेट (बॉम्बे हाईकोर्ट)

फैक्ट फाइल
* 2005-06 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 के मुताबिक, भारत के 29 राज्यों की 10 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उनके पति जबरन शारीरिक संबंध बनाते हैं.

* दुनिया के 80 देशों में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसमें इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, मलेशिया और तुर्की जैसे देश शामिल हैं. यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी इसे अपराध माना गया है.
इंटरनेशनल सेंटर फॉर वुमन और यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड की ओर से साल 2014 में 7 राज्यों में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, एक-तिहाई पुरुषों ने माना कि वो अपनी पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाते हैं.

 

– कंचन सिंह

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