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खट्टी-मीठी इमली रोगनाशक औषधि भी (Medical Benefits Of Sweet And Sour Tamarind (Imli)

Medical Benefits Of Tamarind इमली (Medical Benefits Of Tamarind) पाचक और पित्त विकारों के लिए रामबाण औषधि है. व्यंजन और औषधि के रूप में इमली का प्रयोग बरसों से होता आ रहा है. इमली का गूदा प्यास दूर करनेवाला, रोचक, दाहशामक और रक्तपित्त का शमन करता है. इमली के फूल सूजन को दूर करते हैं. पित्तज्वर में कब्ज़ और जलन को दूर करने के लिए इमली के पने का इस्तेमाल किया जाता है. पकी इमली का मुरब्बा बनाकर खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है. आंव (डिसेंट्री)- 6 ग्राम पकी इमली का गूदा, 3 ग्राम पका केला, 1 ग्राम काला नमक- तीनों को एक साथ मिलाकर (यह एक ख़ुराक है) दिन में तीन बार सेवन करें. ऐसा करने से तीन दिन में ही आंव एवं मरोड़ से राहत मिल जाती है. सूजन और दर्द- शरीर में किसी प्रकार की सूजन या दर्द हो, तो इमली के रस का लेप करने से आराम मिलता है. आंख आना- यानी कंजंक्टिवाइटिस पर इमली के फूलों को पीसकर आंख के ऊपर बांधने से आराम मिलता है. यह भी पढ़ें: पेट संबंधी समस्याओं के घरेलू उपचार  घाव- जलने के कारण घाव हो गया हो, तो इमली के पेड़ की छाल का सूक्ष्म चूर्ण बना लें. घाव पर मीठा तेल लगाकर इस चूर्ण को छिड़कने से शीघ्र घाव भर जाता है. पित्त की गर्मी- 50 ग्राम पकी इमली का गूदा लेकर पानी में भिगो दें. थोड़ी देर बाद इसे आधा लीटर पानी (आवश्यकतानुसार गूदा व पानी की मात्रा बढ़ा भी सकते हैं) में थोड़ा उबालें. फिर इसे मसलकर छान लें. इसके बाद इसमें थोड़ा नमक, भुना हुआ जीरा व धनिया, कालीमिर्च (सभी का सूक्ष्म चूर्ण) और थोड़ी-सी शक्कर या गुड़ मिलाकर थोड़ा-थोड़ा करके 3-4 बार में पीएं. मोच- शरीर के किसी अंग में मोच आ जाने से काफ़ी दर्द होता है. इससे राहत पाने के लिए इमली की पत्तियों को पीसकर लेप बनाकर गुनगुना कर लें और प्रभावित स्थान पर लगाएं. दर्द से आराम मिलेगा और मोच भी जल्दी ठीक हो जाएगी. यह भी पढ़ें: औषधीय गुणों से भरपूर पीपल के 14 बेहतरीन फ़ायदे पाचन संबंधी विकार- भूख कम लगने पर भोजन के साथ इमली की चटनी बनाकर सेवन करना चाहिए. इससे भूख खुलकर लगती है और खाना आसानी से पचता है. इमली का पना बनाकर उसमें शक्कर मिलाकर पीने से अरुचि दूर होती है. धातु विकार- धातु संबंधी रोगों में भी इमली लाभकारी है. इसके लिए 250 ग्राम इमली के बीजों को पानी में डालकर पकाएं. अच्छी तरह पक जाने पर आंच पर से उतार लें. फिर उसके छिलके निकाल लें. इसके बाद इन्हें अच्छी तरह पीसकर पिट्ठी बना लें. इस पिट्ठी में 25 ग्राम देशी घी डालकर धीमी आंच पर भूनें. फिर इसमें समान मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें. इसे 2-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें. इससे धातु संबंधी सभी विकार दूर हो जाते हैं. यह पौष्टिक और कामशक्तिवर्द्धक है. कफ़-पित्त- इमली के पने में शक्कर मिलाकर पीने से शरीर की गर्मी, पित्त और कफ़ का शमन होता है. अरुचि दूर करे- पकी इमली को पानी में भिगोकर रख दें. फिर इसे मसलकर पना बना लें. पुदीना, मेथी, धनिया, जीरा, भुनी हींग और लाल मिर्च पाउडर- सभी को पीसकर पने में मिलाकर चटनी बना लें. यह चटनी खाने में स्वादिष्ट होती है और भोजन के प्रति रुचि भी उत्पन्न करती है.
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