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मिशन एडमिशन: पैरेंट्स न करें ये ग़लतियां (Mission Admission- Parents Don’t Make These Mistakes)

आजकल के पैरेंट्स (Parents) बहुत समझदार हो गए हैं. वो अपने बच्चे को डॉक्टर-इंजीनियर (Doctor-Engineer) बनाने की रेस में शामिल नहीं होते, बच्चे को अपना करियर ख़ुद चुनने की पूरी छूट देते हैं, लेकिन क्या ये काफ़ी है? बात जब बच्चे के एडमिशन की हो, तो आज भी पैरेंट्स कुछ ग़लतियां (Mistakes) कर जाते हैं. यदि आप भी अपने बच्चे का कॉलेज में एडमिशन कराने जा रहे हैं, तो समझिए यह लेख आपके लिए ही है. 

बच्चों का सही कॉलेज में एडमिशन बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, क्योंकि इस पर आपके बच्चे का भविष्य निर्भर होता है. बच्चों का एडमिशन कराते समय पैरेंट्स अक्सर कौन-सी ग़लतियां कर जाते हैं और उन ग़लतियों से कैसे बचा जा सकता है, ये जानने के लिए हमने बात की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ. माधवी सेठ से. उनके अनुसार, जानकारी के अभाव में आज भी पैरेंट्स बच्चों के एडमिशन के समय कई ग़लतियां कर जाते हैं. पैरेंट्स की कुछ आम ग़लतियों के बारे में उन्होंने हमें इस तरह बताया.

बच्चे पर ज़रूरत से ज़्यादा विश्‍वास

पहले पैरेंट्स बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपते थे, लेकिन आज के पैरेंट्स इतने उदार हो गए हैं कि वो वही करते हैं, जो उनका बच्चा चाहता है. लेकिन आपका बच्चा क्या अभी इतना मैच्योर है कि वो अपनी ज़िंदगी का इतना बड़ा ़फैसला अकेले ले पाए? बस, यहीं पैरेंट्स चूक कर जाते हैं. अपने बच्चे पर विश्‍वास ज़रूर करें, लेकिन अपनी ज़िम्मेदारी भी समझें. आपके बच्चे को कौन-सा करियर चुनना है, इसके लिए पहले उससे बात करें. साथ ही ये भी ज़रूर देखें कि आपका बच्चा जिस क्षेत्र में करियर बनाना चाहता है? क्या उसमें वाकई उसकी रुचि है? अक्सर बच्चे अपने आसपास, दोस्तों या फिल्मों से प्रभावित होकर ये मान लेते हैं कि उन्हें भी इसी क्षेत्र में करियर बनाना है, लेकिन ऐसा करना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना भी हो सकता है. उदाहरण के लिए, माना आपका बच्चा आपसे कहता है कि उसे गेम डेवलपर बनना है, लेकिन उसके लिए आपको ये देखना होगा कि बच्चे की फिज़िक्स, मैथ्स और टेक्निकल नॉलेज कितनी है? यदि ऐसा नहीं है, तो आप बच्चे को ये समझाएं कि गेम खेलना जितना आसान है, गेम डेवलप करना उतना ही मुश्किल काम है.

एडमिशन कराकर निश्‍चिंत हो जाना

बच्चे ने जिस क्षेत्र में चाहा, वहां उसका एडमिशन कराकर और उसके लिए मोटी फीस भरकर आपकी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती. आपको ये भी देखना होगा कि क्या आपके बच्चे का पढ़ाई में मन लग रहा है. कई बार एडमिशन के बाद बच्चे को लगने लगता है कि उससे वो पढ़ाई नहीं हो पा रही है. ऐसे में ये देखना आपकी ज़िम्मेदारी है कि आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है. माना आपने बच्चे के कहने पर उसका इंजीनियरिंग में एडमिशन करा दिया, लेकिन एडमिशन के बाद बच्चे को ये महसूस हो रहा है कि उसे वो पढ़ाई मुश्किल लग रही है, तो ऐसे में सबसे पहले इसका कारण जानने की कोशिश करें. यदि कोई हल नहीं निकल रहा है, तो बच्चे का टाइम बर्बाद करने की बजाय आपको उसका दूसरे क्षेत्र में एडमिशन करा देना चाहिए. कई पैरेंट्स बच्चों पर ये दबाव डालते हैं कि इतनी मोटी फीस भरी है, अब तो तुम्हें पढ़ना ही होगा, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है. इससे आपका पैसा, बच्चे का समय और एनर्जी सब कुछ बेकार चला जाएगा. यदि बच्चे के एडमिशन में आपसे ग़लती हो भी गई है, तो उसे दोहराने की बजाय व़क्त रहते उसे सुधार लें.

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रिसर्च की कमी

आज भी कई पैरेंट्स बच्चे का एडमिशन कराने से पहले रिसर्च नहीं करते, जिसके कारण वो सही फैसला नहीं ले पाते. पैरेंट्स को सबसे पहले यह जानना चाहिए कि आपके बच्चे की किस क्षेत्र में रुचि है. इसके लिए सबसे पहले बच्चे का ऐप्टीट्यूड टेस्ट करवाएं. इससे आपको बच्चे का करियर चुनने में आसानी होगी. इसके साथ ही बच्चे को बचपन से हर एक्टीविटी के लिए प्रोत्साहित करें. इससे आपको ये जानने में आसानी होगी कि आपके बच्चे की रुचि किस चीज़ में है, वो किस क्षेत्र में अच्छा परफॉर्म कर सकता है. कई बार बच्चे दूसरों की देखादेखी में उनकी रुचि को अपनी रुचि बना लेते हैं, ऐसे में पैरेंट्स के लिए ये जानना ज़रूरी है कि बच्चे की ये रुचि कुछ समय के लिए है या वाकई उसे वो काम बहुत पसंद है. बच्चे को अपनी पसंद-नापसंद चुनने की आज़ादी दें, लेकिन उसकी पसंद सही है या नहीं, ये देखना आपकी ज़िम्मेदारी है. बच्चे की पढ़ाई के लिए मोटी फीस भर देना काफ़ी नहीं, बच्चे के भविष्य के लिए रिसर्च करना ज़्यादा ज़रूरी है.

बच्चे को ज़रूरत से ज़्यादा प्रोत्साहित या निरुत्साहित करना

कई पैरेंट्स अपने बच्चे को इतना ज़्यादा प्रोत्साहित करते हैं कि उसके छोटे से छोटे काम को भी बड़ा बताते हैं. वो बच्चे से कहते हैं कि तुम कुछ भी कर सकते हो, लेकिन जब बच्चा ऐसा नहीं कर पाता, तो उसका आत्मविश्‍वास कम होने लगता है. इसी तरह कई पैरेंट्स अपने बच्चे को इतना निरुत्साहित करते हैं कि उसके हर काम में कमी निकालते हैं. पैरेंट्स की इस हरक़त की वजह से बच्चे का आत्मविश्‍वास कम हो जाता है और वो ख़ुद पर भरोसा नहीं कर पाता. आप ऐसी ग़लती कभी न करें, बच्चे को न अति उत्साहित करें और न ही उसका कॉन्फिडेंस कम करें. अपने बच्चे को उसका सही पोटेंशियल बताकर उसे गाइड करें. जहां बच्चे को कुछ समझ न आए, वहां उसकी मदद करें.

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एडमिशन से पहले इन बातों पर ध्यान दें

* बच्चे का एडमिशन आपकी इन्फॉर्म्ड चॉइस होनी चाहिए यानी आपका बच्चा क्या कर रहा है, ये उसे और आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए. आप जब एक साड़ी ख़रीदने जाती हैं, तो उसके लिए पहले कई साड़ियां देखती हैं, तब जाकर एक साड़ी ख़रीदती हैं, फिर ये तो आपके बच्चे के भविष्य का सवाल है, इसके लिए आपको पूरी रिसर्च करनी चाहिए.

* बच्चे के करियर के लिए अब आपके पास बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं, इसलिए आपको सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए. पहले सारे विकल्पों के बारे में पता कर लें, फिर फैसला लें. बच्चे का एडमिशन कराते समय इमोशनल होकर डिसीज़न न लें, अच्छी तरह सोच-समझकर ही फैसला लें.

* किसी बच्चे से अपने बच्चे की तुलना कभी न करें. जब दो जुड़वां बच्चे एक जैसे नहीं हो सकते, तो आपका बच्चा किसी के जैसा कैसे हो सकता है.

* बच्चे का एडमिशन कराते समय ये बात भी दिमाग़ में रखें कि आपका बच्चा यदि ये पढ़ाई नहीं कर पाया, तो आपके पास अगला विकल्प क्या होगा. ऐसे में बच्चे की पूरी फीस एक साथ भरने की बजाय किश्तों में फीस भरने का विकल्प चुनें.

एवरेज बच्चे क्यों निकल जाते हैं आगे?

आमतौर पर एवरेज बच्चे इसलिए आगे निकल जाते हैं, क्योंकि वो एक्स्ट्रा करिक्यूलर एक्टिविटीज़ में ज़्यादा हिस्सा लेते हैं, जिससे उनकी ओवरऑल ग्रोथ होती है और वो ज़िंदगी की दौड़ में आगे निकल जाते हैं. आप भी अपने बच्चे को बचपन से ही एक्सपोज़र दें, उसे हर एक्टिविटी में हिस्सा लेने को कहें. जिस एक्टिविटी में उसकी रुचि होगी, उसे वो ख़ुशी-ख़ुशी करेगा. कई बार बच्चे दूसरों की देखादेखी किसी चीज़ में रुचि लेते हैं, लेकिन कुछ समय में ही वो उससे बोर होने लगते हैं.  लेकिन उस एक्टिविटी में यदि उनकी रुचि वाकई है, तो वो कभी बोर नहीं होंगे.

– कमला बडोनी

अधिक पैरेंटिंग टिप्स के लिए यहां क्लिक करेंः Parenting Guide

Usha Gupta

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