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मनी मैटर – बच्चों से डिस्कस करते समय न करें ये ग़लतियां (Money Matters: Do not discuss these points to children)

दिनोंदिन बढ़ती महंगाई के इस दौर में बच्चों को भी पैसों की अहमियत समझाना बेहद ज़रूरी है ताकि आगे चलकर उन्हें फायनांशियल मामलों में परेशानी न हो और वो संभालकर ख़र्च करें. यदि आप बच्चों को पैसों की अहमियत समझाना चाहती हैं, तो बचें इन ग़लतियों से.

अच्छे मार्क्स लाने पर गिफ्ट/पैसे देने का लालच
राहुल इस बार अगर तुम 90% मार्क्स लाओगे मैं तुम्हें साइकिल लाकर दूंगी या तुम जो चाहोगे तुम्हें मिल जाएगा. अक्सर माता-पिता बच्चों से ऐसे ही वादे करते हैं, उन्हें लगता है ऐसा करने से उनका बच्चा पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित होता है, मगर आपका ये रवैया बच्चे के भविष्य के लिए सही नहीं है. उन्हें लालच देने की बजाय पढ़ाई की अहमियत समझाएं और बताएं कि ऐसा न करने पर भविष्य में उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना अच्छा है, लालच देकर ऐसा करना सही नहीं है. बच्चे को समझ आना चाहिए कि वो अपने भले के लिए पढ़ाई कर रहे हैं न कि कोई चीज़ पाने के लिए.

घर के काम करने पर पैसे देना
पूजा बेटा ज़रा दुकान से नमक का पैकेट तो ले आना और ये तो 10 रुपए अपने लिए फ्रूटी ले लेना. क्या आप भी घर का कोई काम करवाने के लिए बच्चे को ऐसे ही रिश्‍वत देती हैं. पैरेंट्स का ये तरीक़ा सही नहीं है. इससे बड़े होने पर भी बच्चे घर के काम को अपनी ज़िम्मेदारी नहीं समझेंगे, वो यही उम्मीद करेंगे कि हर काम के लिए उन्हें गिफ्ट या पैसे मिले. इस तरह से न तो वह अपनी ज़िम्मेदारी समझेंगे और न ही पैसों की अहमियत.

बेटे-बेटियों में फर्क़ करना
आज भी कुछ घरों में बेटे-बेटियों में फर्क़ किया जाता है. कुछ पैरेंट्स स़िर्फ बेटे के साथ ही पैसों से जुड़े मामलें पर बात करते हैं, स़िर्फ उन्हें ही समझाते हैं कि पैसे कैसे ख़र्च करने चाहिए, कैसे बचत करनी चाहिए आदि. पैरेंट्स का ये रवैया ग़लत है चूकि आज लड़ियां भी पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में दूसरे शहर/देश जाती हैं. ऐसे में उनके लिए भी फायनांशियल एज्युकेशन उतनी ही ज़रूरी है जितनी लड़कों के लिए.

बच्चों के सामने फिज़ूलख़र्च करना
बेटा आपको रोज़-रोज़ नए खिलौने नहीं मिल सकते. पैसे बहुत मेहनत से आते हैं उन्हें बस खिलौनों और बेकार की चीज़ों पर ख़र्च नहीं करना चाहिए. आपने अपने बच्चे को तो नसीहत दे दी, मगर ख़ुद 4 जोड़ी नए जूते ले आए, ऐसे में ज़ाहिर है बच्चा आपकी फिज़ूलख़र्च की परिभाषा समझ नहीं पाएगा. उसके लिए दो विडियो गेम अगर फिज़ूलख़र्च है तो एकसाथ ख़रीदे गए आपके 4 जोड़ी जूते भी उसी कैटेगरी में आएंगे. अतः बच्चे को नसीहत देने से पहले ख़ुद अपने आप को सुधारें. क्योंकि वो वही करते और समझते हैं जैसा पैरेंट्स को करते देखते हैं.

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छोटी उम्र से बात न करना
जब बच्चा थोड़ा समझने लगे तो उसे पिग्गी बैंक लाकर दें और उसमें पैसा जमा करना सिखाए इससे बच्चे को बचत की आदत पड़ेगी. उनकी हर डिमांड तुरंत पूरी करने की ग़लती न करें वरना वो पैसों की क़द्र कभी नहीं कर पाएंगे. यदि आप बच्चे को पॉकेट मनी देती हैं, तो उसका भी हिसाब रखें. ज़रूरत से ज़्यादा पैसे न दें. आज के दौर में जहां कपड़े, जूतों से लेकर खाने-पीने की हर चीज़ की ब्रांडिग हो गई है बच्चे भी अमुक ब्रांड की चॉकलेट और चीज़ पहचानने लगे हैं ऐसे में यदि शुरुआत से ही उन्हें पैसों की अहमियत नहीं समझाई गई, तो आगे चलकर उन्हें समस्या आएगी. अतः जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती जाए उन्हें एक-एक करके बचत और ख़र्च का सही तरीक़ा समझाएं.

रखें इन बातों का ख़्याल
* यदि आप बच्चे को पॉकेट मनी देती हैं, तो उसमें ख़र्च का हिसाब लिखने की आदत भी डालें. इससे उसे पता चलेगा कि उसने कितना ख़र्च किया है.
* बच्चे ने पैसे मांगे नहीं कि कुछ पैरेंट्स तुरंत उनकी डिमांड पूरी कर देते हैं बिना ये पूछे कि उन्हें पैसे क्यों चाहिए. आप ऐसी ग़लती न करें. यदि बच्चा आपसे पैसे मांगता है तो सबसे पहले उससे पूछे कि उसे पैसे क्यों चाहिए. बिना पूछे हमेशा उनकी मांग पूरी करने से वो पैसों की अहमियत नहीं समझेगा.
* बच्चे को पैसों की शेयरिंग भी सिखाएं. उसे कहे कि वो अपने भाई-बहन के लिए अपने पैसों से गिफ्ट ख़रीदें.
* पिग्गी बैंक में पैसे जमा करने की आदत डालें और जब वो भर जाए तो उन पैसों से उसे अपनी पसंद की चीज़ ख़रीदने के लिए कहें.
* जब बच्चा थोड़ा समझदार हो जाए तो उसे अपनी आर्थिक स्थिति से अवगत कराएं ताकि वो अपने दोस्तों की देखा-देखी हर चीज़ की डिमांड न करें. उसे समझ आना चाहिए की हर किसी का आर्थिक स्तर अलग होता है और उसे उसी के हिसाब से ख़र्च करना चाहिए.

कंचन सिंह

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Shweta Singh

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