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फिल्म समीक्षा: बुलबुल डराती कम है, पर नारी भावनाओं के हर रंग को बख़ूबी दर्शाती है… (Movie Review: Bulbbul)

बुलबुल फिल्म जहां आपको स्त्री-मन को लेकर बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है, वहीं डराती कम पर रहस्य-रोमांच भी पैदा करती है. फिल्म के टीजर और प्रमोशन को देखकर, तो यह लगता था कि यह काफ़ी डरावनी फिल्म होगी, लेकिन ऐसा नहीं है. हां, लगातार हो रही हत्या और उससे जुड़े तारों को लेकर उत्सुकता बनी रहती है. इसे कुछ परीकथा जैसी भी समझ सकते हैं.
अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन की इस फिल्म ने शुरुआत से ही लोगों को आकर्षित किया. आज यह फिल्म डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यानी नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई और लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया. रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी कादंबरी पर आधारित है फिल्म देवर-भाभी के प्रेम और 18वीं शताब्दी की बंगाली पृष्ठभूमि को बड़ी ख़ूबसूरती से दिखाती है.
बुलबुल की कहानी हवेली में रहनेवाली बहू बुलबुल के इर्दगिर्द घूमती है.
बुलबुल की छोटी उम्र में ही बड़े ठाकुर से शादी कर दी जाती है, जो राहुल बोस हैं. बुलबुल पति से कम देवर सत्या की तरफ़ अधिक आकर्षित होती है. दोनों साथ में काफी वक़्त बिताते हैं और बड़े होते हैं. उनका एक-दूसरे के प्रति लगाव बढ़ता ही जाता है. बड़े ठाकुर को देवर-भाभी का यह लगाव कतई पसंद नहीं आता और सत्या को वकालत की पढ़ाई के लिए लंदन भेज देते हैं.
बुलबुल सत्या की भी जुदाई बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाती और काफ़ी निराश और दुखी रहती है. बड़े ठाकुर को यह सब बर्दाश्त नहीं होता और वे एक दिन बुलबुल को काफ़ी मारते हैं. उसके दोनों पैर भी तोड़ डालते हैं. इसी बीच उनका दूसरा देवर महेंद्र, जो पागल है उनका बलात्कार कर देता है. बुलबुल सब कुछ सहते हुए चुप रहती है. महेंद्र की पत्नी बिनोदिनी भी उसे यही सलाह देती है. समझाती है कि बड़े घर में हवेली में ऐसी बहुत सारी बातें होती हैं, जिन्हें बोलना नहीं चाहिए उन्हें अपने तक ही रखना चाहिए. कहती है कि बड़ी हवेलियों में बड़े राज रहते हैं, इसलिए चुप रहना. वहीं बड़े ठाकुर घर छोड़कर चले जाते हैं. लेकिन बाद में खूनी खेल शुरू हो जाता है और कई लोगों की हत्या होने लगती है. जब सत्या लंदन से पढ़ाई करके वापस आता है, तो उसे बुलबुल को देखकर भी कुछ अजीब लगता है. साथ ही उसके डॉ. सुदीप से संबंध को लेकर भी वह संशय में रहता है. उसके बाद कई घटनाएं होने लगती हैं. सत्या उनका पता लगाना चाहता है. उसे बुलबुल और डॉ. सुदीप पर शक रहता है, पर सच्चाई कुछ और ही सामने आती है और जिसे जानने के लिए फिल्म तो देखनी पड़ेगी.
क्लीन स्लेट फिल्म्स अनुष्का शर्मा और उनके भाई कर्णेश शर्मा का है और इसके बैनर तले बनी बुलबुल की उनके पति यानी विराट कोहली ने भी काफ़ी सराहना की. विराट के अनुसार, इस कहानी को बेहतरीन तरीक़े से बताया गया है. भाई-बहन ऑन फायर अनुष्का शर्मा, कर्णेश शर्मा. रिलीज हो चुकी है आप इसको ज़रूर देखें… इससे पहले क्लीन स्लेट फिल्म्स की वेब सीरीज ‘पाताललोक’ को भी सभी ने बेहद पसंद किया था.
अन्विता दत्त का निर्देशन लाजवाब है और हॉरर ड्रामा को लेकर यह उनकी पहली कोशिश है. एक नारी के दर्द, प्रताड़ना, ख़ुशी-ग़म, भावनाओं, संघर्ष और उसकी सोच को बेहतरीन तरीक़े से उन्होंने दिखाया है. सभी कलाकार तृप्ति डिमरी, पाओली दाम, राहुल बोस ने सच में कमाल का काम किया है. बुलबुल के किरदार में तृप्ति डिमरी ने बख़ूबी जिया. उनके अभिनय में पत्नी, प्रेमिका, क्रोध, दर्द की भाव-भंगिमा सब कुछ बेजोड़ रहा. बड़े ठाकुर और उनके जुड़वां भाई महेंद्र के रोल में राहुल बोस ने उम्दा अभिनय किया है. सुलझा पति, पागल देवर, बेकाबू इंसान हर किरदार को राहुल ने बखूबी निभाया है. देवर सत्या की भूमिका में अविनाश तिवारी भी ख़ूब जंचे है. एक तरह से सभी कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है. गुलाबो सिताबो फिल्म के बाद ऐसी दूसरी बड़ी फिल्म है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक और सिनेमैटोग्राफी भी लाजवाब है.
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