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फिल्म समीक्षा: मिमी- कृति सेनाॅन और पंकज त्रिपाठी की उम्दा अदाकारी… (Movie Review: Mimi- Excellent Performance By Kriti Sanon And Pankaj Tripathi…)

कलाकार: कृति सेनॉन, पंकज त्रिपाठी, सई ताम्हणकर, मनोज पाहवा, सुप्रिया पाठक, जया भट्टाचार्य, एवलिन एडवर्ड्स. पंकज झा
निर्देशक: लक्ष्मण उतेकर
रेटिंग: *** 3/5

मिमी ने जन्मदिन पर कृति सेनाॅन को एक बेहतरीन तोहफ़ा दे दिया. जी हां, आज लाजवाब अदाकारा कृति सेनॉन का जन्मदिन है और उनका जन्मदिन इसलिए भी ख़ास हो गया कि उनकी मिमी फिल्म को हर कोई पसंद कर रहा है. फिल्म में कृति और पंकज त्रिपाठी की मनोरंजन से भरपूर एक्टिंग लोगों को हंसाती है, गुदगुदाती है और कई दृश्यों में रुला भी देती है. फिल्म का ट्रेलर लोगों को काफ़ी पसंद आया था. इसी से यह अनुमान भी लगाया गया था कि फिल्म अच्छी होगी और ऐसा हुआ भी.


राजस्थान के एक छोटे से शहर की लड़की, जो हीरोइन बनने का सपना देखती है और इसके लिए मुंबई जाना चाहती है. लेकिन पैसों के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पाती. वैसे वो प्रोफेशनल डांसर है. ऐसे में पंकज त्रिपाठी, जो टैक्सी ड्राइवर भानु के क़िरदार में है मिमी को सरोगेसी (किराए की कोख) का प्रपोजल देते हैं.
एक समय था जबकि भारत विदेशों के लिए सरोगेसी का अड्डा बन गया था. कह सकते हैं कि यहां किराए की कोख एक बिज़नेस बन गया था, जिसे कहीं पैसों की ख़ातिर तो कहीं मजबूरी के कारण महिलाएं करती थीं. ‘मिमी’ में इसी संवेदनशील मुद्दे को थोड़ा भावनात्मक और मनोरंजक रूप से दिखाया गया है.
सरोगेसी से काफ़ी पैसे मिलेंगे साथ ही मिमी का अभिनेत्री बनने का सपना भी पूरा होगा. भानु के इस ऑफर को मिमी थोड़े ना-नूकूर के बाद स्वीकार कर लेती है.
इसके बाद शुरू होता है मस्ती भरा ड्रामा, जिसमें कॉमेडी भी है, ट्रेजडी भी है, तो कई जगह इमोशन का तड़का भी. एक सुपर-डुपर हिट फिल्म बनाने का पूरा मसाला मिमी में मौजूद है.
कृति सेनॉन की पंकज त्रिपाठी के साथ यह तीसरी फिल्म है. दोनों का फिल्म बरेली की बर्फी और लुकाछिपी में बढ़िया तालमेल देखने मिला था और इसी कड़ी को मिमी आगे बढ़ाती है. इनका भरपूर साथ देती है मिमी की सहेली सई ताम्हणकर.
पंकज कृति को सरोगेसी के लिए राजी कर लेते हैं, तब किस तरह वह अपने पैरेंट्स मनोज पाहवा और सुप्रिया पाठक को मनाती है देखने काबिल है. उन्हें झूठ बोलती है कि मुंबई में फिल्म में बड़ा रोल मिल गया है और अपनी मुस्लिम सहेली के साथ उसके घर आती है.


अपनी सहेली के साथ एक मुस्लिम इलाके में बुर्का ओढ़कर छिपने वाली मिमी के साथ कई दिलचस्प घटनाएं होती हैं. तब तो मस्ती का एक अलग ही दौर शुरू हो जाता है, जब सहेली के परिवारवाले पंकज से तमाम सवाल-जवाब करते हैं. चूंकि मिमी की सहेली मुस्लिम है, तो किस-किस तरह के अजीबोगरीब कॉमेडी सीन देखने को मिलते हैं.
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब अमेरिकन कपल जॉन और समर, जिन्होंने पंकज को सरोगेसी के लिए कहा था, बच्चे में कुछ क्रिटिकल प्रॉब्लम आने पर उसे अपनाने के लिए मना कर देते हैं और कहते हैं कि मिमी एबॉर्शन कर दें. पर यही से एक मां होने और वाकई में गर्भावस्था के अनुभव से गुज़रने की जो जद्दोजेहद और जो मां-बच्चे का जुड़ाव बन जाता है… की ख़ूबसूरती देखने को मिलती है. इसे कृति ने उम्दा अदाकारी से लाजवाब बनाया है. आख़िरकार गंभीर हालात में भी कृति बच्चे को अपनाने का निर्णय लेती है. उसके माता-पिता द्वारा जोर-ज़बर्दस्ती कर बच्चे के बारे में पूछने पर वह पंकज त्रिपाठी का नाम ले देती है, जो बेचारा पहले से शादीशुदा है. जो पैसों के लालच में एक ऐसी मानवीय परिस्थिति में उलझ जाता है, जहां उसे अनजाने परिवार में घर जमाई बनकर रहना पड़ता है.
कहानी में एक और ट्विस्ट तब आता है, जब बच्चा होता है और कुछ सालों बाद फॉरेनर्स कपल्स आते हैं और बच्चे को लेने की मांग करते हैं. बच्चे पर क़ानूनी पक्ष भी है, तो कहीं पर फिल्मी तरीक़े से उसे जोड़ा भी गया है. सरोगेसी में यदि कोई दंपति बच्चा अपनाने के लिए मना कर देता है और बाद में अपनाना चाहे, तो उनका अधिकार होगा या बच्चे को पाला उसका हक़ होगा… यह बातें सोचने को मजबूर करती हैं.
फिल्म मैं कई कमजोर कड़ियां भी हैं, जैसे- बच्चे की पैदाइश भारत में होने के बावजूद उसका इंग्लिश स्टाइल में हिंदी बोलना खलता है, वहीं पैरेंट्स पहले तो मिमी से काफ़ी नाराज़ और ग़ुस्सा होते हैं और बाद में उसे और बच्चे को अपना लेते हैं.


लेकिन सभी कलाकार फिर चाहे वह कृति सेनॉन हो, पंकज त्रिपाठी हो, सई ताम्हणकर, सुप्रिया पाठक मनोज पाहवा सभी ने मंजी हुई अदाकारी दिखाई है. जो छोटी-छोटी ग़लतियों को अनदेखा करने पर मजबूर कर देती हैं.
काफ़ी समय बाद एक ऐसा विषय जो गंभीर है, पर उसे हल्के-फुल्के अंदाज़ में भरपूर मनोरंजन के साथ पेश किया गया है.
ए. आर. रहमान का संगीत हमेशा की तरह मधुर और कर्णप्रिय है, ख़ासकर रिहाई… परम सुंदरी… गाना तो पहले से ही सुपर हिट हो चुका है. इसमें कृति नित्य और भाव-भंगिमाएं ज़बर्दस्त हैं.
छोटी सी चिरैया… गाने में कैलाश खेर रंग जमा जाते हैं. अमिताभ भट्टाचार्य के गीतों के बोल दिलों को छूते हैं. गणेश आचार्य और विजय गांगुली की कोरियोग्राफी अच्छी है. सोनी म्यूज़िक ने संगीत रिलीज किया है. रोहन शंकर के संवाद प्रभावशाली हैं.
आकाश अग्रवाल की सिनेमैटोग्राफी सुन्दर है, उन्होंने राजस्थान को अच्छे से कैमरे में क़ैद किया है. इसमें कोई दो राय नहीं की शीतल शर्मा ने कॉस्ट्यूम फिल्म के मूड के अनुरूप ही गढ़े हैं. सुब्रत चक्रवर्ती और अमित रे की प्रोडक्शन डिज़ाइन से भी फिल्म को काफ़ी मदद मिली है. यह फिल्म समृद्धि पोरे की मराठी फिल्म ‘मला आई व्हायचय’ यानी मुझे मां बनना है से प्रेरित है और इस फिल्म ने काफ़ी पुरस्कार भी जीते थे. लेकिन निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने अपनी इस फिल्म को एक अलग ही ट्रीटमेंट दिया है. मिमी की कहानी लक्ष्मण उतेकर और रोहन शंकर ने मिलकर लिखी है. उन्होंने गंभीरता का ख़्याल रखते हुए भरपूर मनोरंजन और कॉमेडी भी फिल्म में रखी है, ताकि लोगों को हर तरह का मसाला देखने को मिले और फिल्म बांधे भी रहे, जिसमें निर्देशक कामयाब रहे हैं.


फिल्म के निर्माता दिनेश विजन और कृति सेनॉन दोनों का ही आज जन्मदिन है, तो दोनों के लिए फिल्म की सफलता, दर्शकों और आलोचकों की सराहना और पसंद करना किसी अनमोल उपहार से कम नहीं है. कह सकते हैं कि दोनों के लिए ही आज का दिन और यह फिल्म यादगार साबित हुई. देखा जाए तो हिंदी सिनेमा में काफ़ी सालों से प्रयोगात्मक और कामयाब फिल्में दिनेश विजन के प्रोडक्शन हाउस मैडॉक फिल्म्स ने ही बनाई हैं.


कृति सेनॉन और पंकज त्रिपाठी के फैंस को यह फिल्म देखकर बेहद ख़ुशी होगी. इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जियो सिनेमा और नेटफ्लिक्स ने रिलीज़ किया है. पंकज त्रिपाठी और कृति सेनॉन की फिल्म ‘मिमी’ समय से पहले ही नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दी गई है. दरअसल, पहले यह फिल्म 30 जुलाई को रिलीज होने वाली थी. लेकिन ऑनलाइन लीक होने के बाद मेकर्स ने इसे जल्द रिलीज करने का फ़ैसला ले लिया. सोमवार को पंकज त्रिपाठी और कृति सेनॉन ने इंस्टाग्राम पर लाइव सेशन किया. इसी दौरान फिल्म को रिलीज करने की घोषणा भी की गई थी. पंकज ने कहा- मिमी हमारे लिए बहुत ही ख़ास फिल्म है. इसलिए हमारी टीम ने सोचा की आज ये फिल्म देखी जाए. फिर हमें ख़्याल आया कि आप सब भी तो हमारा परिवार ही हैं, तो आपके बिना ये फिल्म ख़ास कैसे हो सकती है. इसलिए मिमी को समय से पहले रिलीज कर दिया गया है. होता है ना जैसे कोई बच्चा समय से दो-चार दिन पहले आ जाए, वैसे ही. तो आप भी जाएं और सपरिवार देखें हम भी देखने जा रहे हैं…
मिमी टीम द्वारा कृति सेनाॅन को सरप्राइज़ देते हुए उनका जन्मदिन भी सेलिब्रेट किया गया. दो घंटे 13 मिनट की यह फिल्म एक पल को भी बोर नहीं होने देती और पूरी तरह से इंटरटेन करती है.

Photo Courtesy: Instagram


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Usha Gupta

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