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चावल से जुड़े 8 मिथकों पर कभी विश्वास न करें (8 Myths Related To Rice Busted)

ब्राउन राइस व्हाइट राइस से अच्छा होता है, डायबिटीज़ के मरीज़ों को चावल नहीं खाना चाहिए... जितने मुंह उतनी तरह की बातें. आख़िर क्या है चावल के पीछे का सच? आइए जानते हैं. भारत के कई राज्यों में चावल प्रमुख भोजन है. वास्तविकता यह है कि चावल दुनियाभर में खाया जानेवाला अनाज है. अगर चावल में पाए जानेवाले पोषक तत्वों की बात करें तो चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज़्यादा होती है. एक कप चावल (सफ़ेद) में 35 ग्राम्स कार्बोहाइड्रेट, 165 कैलोरीज़ और 3-4 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है. अन्य कार्ब्स की तरह चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट भी आंत में जाकर ग्लूकोज़ में परिवर्तित हो जाता है. ब्राउन राइस में व्हाइट राइस की तुलना में ज़्यादा फाइबर्स, मिनरल्स और विटामिन्स पाए जाते हैं. ब्राउन राइस मैग्नीशियम, सेलेनियम, फास्फोरस और मैग्नीज़ पाए जाते हैं. चावल के बारे में बहुत सी भ्रांतियां फैली हुई हैं, यही वजह है कि सेहत के प्रति सर्तक लोग चावल का सेवन करने से हिचकिचाते हैं. चावल को लेकर लोगों के मन में बहुत सी शंकाएं हैं, जैसे- चावल खाने से वज़न बढ़ता, रात के समय चावल खाना सही नहीं होता इत्यादि.एक नज़र डालिए चावल से जुड़े मिथक और उनका सच. Rice मिथकः चावल में ग्लूटेन होता है. सचः बहुत से लोगों को लगता है कि चावल में ग्लूटेन होता है, जो सच नहीं है. वास्तव में चावल ग्लूटेन फ्री होता है और इसे खाने से किसी तरह की एलर्जी नहीं होती है. हाई ग्लूटेन युक्तखाद्य पदार्थ डायबिटीज़ और वज़न कम करने की कोशिश में जुटे लोगों के लिए उपयुक्त नहीं होता. मिथकः चावल खाने से व्यक्ति मोटा होता है. सचः यह मिथक इसलिए ज़्यादा फैला हुआ है, क्योंकि आजकल के लोकप्रिय व प्रचलित डायट प्लान्स में चावल को शामिल नहीं किया जाता, लेकिन इस तथ्य में कोई सच्चाई नहीं है. चावल में वसा की मात्रा बहुत कम होती है और यह कोलेस्ट्रॉल फ्री भी होता है. चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिससे हमें ऊर्जा मिलती है. इतना ही नहीं, चावल आसानी से पच भी जाता है. मिथकः चावल में बिल्कुल भी प्रोटीन नहीं होता. सचः इसमें पूरी तरह सही नहीं है. प्रोटीन चावल में पाया जाने वाला दूसरा प्रमुख पोषक तत्व है. एक कप चावल में 3 से 4 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है. यह मात्रा अन्य अनाजों की तुलना में ज़्यादा है. Rice मिथकः चावल में नमक की मात्रा अधिक होती है. सचः यह एक मिथक है. चावल में सोडियम की मात्रा बहुत कम होती है. ये भी पढ़ेंः बिना एंटीबायोटिक्स के साइनस से आराम पाने के कारगर तरीक़े ( Get Relief From Sinus Without Antibiotics) मिथकः रात में चावल खाने में मोटापा बढ़ता है. सचः वास्तविकता यह है कि चावल आसानी से पच जाता है और चावल खाने से अच्छी नींद भी आती है. यह लेप्टिन सेंसिविटी को बढ़ता है. लेप्टिन का उत्पान शरीर में मौजूद फैटी टिशूज़ करते हैं, जो शरीर में फैट के स्टोरेज़ को नियंत्रित करता है. इतना ही नहीं, हाई कार्ब्स वाले खाद्य पदार्थ को रात में खाया जा सकता है, क्योंकि ये ग्लूकोज़ में परिवर्तित हो जाते हैं और रात में समय में ग्लूकोज़ बेहद आसानी से ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है. उसके ठीक उलट दिन के समय चावल खाने से ग्लूकोज़ फैट में परिवर्तित हो जाता है. मिथकः चावल पचने में समय लगता है. सचः सच्चाई इसके ठीक उल्टी है. हमारे पाचन तंत्र में निकलने वाले एंज़ाइम्स चावल को आसानी से पचा लेते हैं. चावल हमारे पाचन तंत्र को मज़बूत बनाता है और कब्ज़ को दूर रखता है. आयुर्वेद के अनुसार, चावल वात, पित्त और कफ तीनों के लिए सही होता है. मिथकः ब्राउन राइस व्हाइट राइस से ज़्यादा सेहतमंद होता है. सचः ब्राउन राइस को सेहतमंद माना जाता है, क्योंकि उसमें अधिक फाइबर होता है. यही वजह है कि फिटनेस एक्सपर्ट्स व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन अत्यधिक फाइबर का सेवन करने से शरीर को कुछ आवश्यक मिनरल्स, जैसे- ज़िंक अवशोषित करने में परेशानी होती है. यह मिनरल इंसुलिन के सही तरी़के से कार्य करने के लिए ज़रूरी है. यही वजह है कि सिर्फ़ एक बार पॉलिश किया हुआ व्हाइट चावल सेहत की दृष्टि से फ़ायदेमंद है. मिथकः डायबिटीज़ के मरीज़ों को चावल नहीं खाना चाहिए. सचः हम भारतीय चावल के साथ दाल, सब्ज़ी खाते हैं. इस कॉम्बिनेशन में खाने से भोजन का ग्लासेमिक इंडेक्स कम हो जाता है इसलिए यह डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन यह बताना ज़रूरी है कि डायबिटीज़ के मरीज़ों को संतुलित मात्रा में चावल ग्रहण करना चाहिए. किसी की भी चीज़ की अति ठीक नहीं होती. डायबिटीज़ के मरीज़ भी चावल का सेवन कर सकते हैं, लेकिन सीमित मात्रा में. ये भी पढ़ेंः जानें दूध पीने से लंबाई बढ़ती है या नहीं? (Drinking Milk Makes You Taller: Truth Or White Lie?)

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