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नवरात्रि स्पेशल- तपस्या व त्याग की देवी मां ब्रह्मचारिणी (Navratri Special- Worship Devi Brahmcharini)
सिद्धि प्राप्ति के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है.
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप भक्तों व सिद्धों को अनंत फल देनेवाला है.
देवी ब्रह्मचारिणी हिमालय व मैना की पुत्री हैं.
इन्होंने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी.
इस कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा.
इन्हें त्याग व तपस्या की देवी माना जाता है.
इनके दाहिने हाथ में अक्षमाला और बाएं हाथ में कमंडल है.
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इनकी पूजा-अर्चना करने से हमारे जीवन में तप, संयम, त्याग व सदाचार की वृद्धि होती है.
इनकी पूजा करने से पहले हाथ में एक फूल लेकर यह प्रार्थना करें-
दधाना करपप्राभ्यामक्षमालाकमण्डलू l
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा ll
इसके बाद देवी को पंचामृत से स्नान कराकर
फूल, अक्षत, रोली, चंदन, कुमकुम अर्पित करें.
देवी को अरूहूल (लाल रंग का एक विशेष फूल) का फूल विशेष रूप से पसंद है, इसलिए हो सके, तो इसकी माला बनाकर पहनाएं.
मान्यता के अनुसार, इस दिन ऐसी कन्याओं की पूजा व आवभगत की जाती है, जिनका विवाह तय हो गया है, पर अभी शादी नहीं हुई है. इन्हें घर बुलाकर पूजन के बाद भोजन कराकर वस्त्र उपहार स्वरूप दिया जाता है.
देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म स्वरूप है. यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है यानी तपस्या का मूर्तिमान स्वरूप है.
ये कई नाम से प्रसिद्ध हैं, जैसे-
तपश्चारणी, अपर्णा, उमा आदि.
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