medical insurance
बढ़ती महंगाई ने मेडिकल ख़र्चों को भी बहुत बढ़ा दिया है, जिसके कारण हर किसी के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा पाना संभव नहीं रह गया है. ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस आज हर किसी की ज़रूरत बन गया है, क्योंकि यह आकस्मिक दुर्घटनाओं व गंभीर बीमारियों की स्थिति में आपके लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो आपकी आर्थिक स्थिति को डांवाडोल होने से बचाता है. आइए, हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी से आपको रू-ब-रू कराएं.
क्यों ज़रूरी है हेल्थ इंश्योरेंस?
कितना फ़ायदेमंद है हेल्थ इंश्योरेंस?
प्रीमियम किन बातों पर निर्भर करता है?
हेल्थ इंश्योरेंस के कितने प्रकार?
1. क्षतिपूर्ति बीमा पॉलिसी (इन्डेम्निटी बेस्ड).
2. सुविधा बीमा पॉलिसी (बेनीफिट बेस्ड).
क्षतिपूर्ति बीमा पॉलिसी:
इसमें मेडिक्लेम पॉलिसी होती है, जिसके तहत मेडिकल ट्रीटमेंट पर किया गया पूरा ख़र्च आपको मिलता है, बशर्ते वह रक़म आपके इंश्योरेंस की ऱक़म के बराबर या कम हो. कुछ कंपनियां मेडिक्लेम के व़क्त कुछ चीज़ों को ख़र्चे में नहीं जोड़तीं, इसलिए मेडिक्लेम पॉलिसी लेने से पहले इस विषय में पूरी छानबीन कर लें. मेडिक्लेम में भी दो कैटेगरीज़ हैं- एक फैमिली फ्लोटर और दूसरा ग्रुप मेडिक्लेम. जहां फैमिली फ्लोटर में एक ही प्रीमियम पेमेंट में पूरे परिवार का मेडिक्लेम होता है, वहीं गु्रप मेडिक्लेम एम्प्लॉयर्स अपने कर्मचारियों के लिए करवाते हैं.
सुविधा बीमा पॉलिसी:
इसमें भी दो तरह के प्लान्स होते हैं. पहला हॉस्पिटल डेली कैश बेनीफिट और दूसरा क्रिटिकल इलनेस बेनीफिट पॉलिसी.
जहां हॉस्पिटल डेली कैश बेनीफिट पॉलिसी के तहत जितने दिन मरीज़ अस्पताल में भर्ती रहता है, रोज़ाना उसे एक निश्चित राशि मिलती है, जिससे वो अपने मेडिकल बिल्स चुका सकता है, वहीं क्रिटिकल इलनेस बेनीफिट पॉलिसी में पॉलिसी धारक को इलाज के लिए एकमुश्त रक़म दी जाती है.
अब सवाल उठता है कि मेडिक्लेम और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में से कौन-सा प्लान चुनें. जहां एक ओर मेडिक्लेम आपकी सभी छोटी-छोटी बीमारियों, जैसे- फूड पॉयज़निंग और अपेंडिक्स को भी कवर करती है, वहीं क्रिटिकल इलनेस में कैंसर जैसी गंभीर व प्राणघातक बीमारियां कवर होती हैं. इसलिए अपने हेल्थ प्लान पोर्टफोलियो में इन दोनों को शामिल करना आपके लिए फ़ायदेमंद होगा.
कई बीमा कंपनियां बीमा धारकों को कैशलेस सुविधा भी देती हैं. इसके तहत बीमा कंपनियों के चुनिंदा अस्पतालों के नेटवर्क से टाईअप्स होते हैं, जिनमें बीमा धारक बिना किसी परेशानी के अपना इलाज करवा सकते हैं. आपकी उम्र और परिवार के सदस्यों व उनकी उम्र के अनुसार बीमा की राशि तय होती है. सही हेल्थ इंश्योरेंस चुनने में फाइनेंशियल एडवाइज़र आपकी मदद कर सकते हैं.
इसमें क्या कवर नहीं होता?
हमारे देश में हेल्थ इंश्योरेंस में ज़्यादातर उन्हीं बीमारियों को हेल्थ प्लान में शामिल किया जाता है, जिनके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. कुछ बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड की भी शर्त रखी जाती है. इसलिए कोई भी पॉलिसी लेने से पहले हेल्थ कवरेज में क्या शामिल है और क्या शामिल नहीं है, ज़रूर देखें. आमतौर पर बीमा कंपनियां निम्नलिखित बीमारियों या ट्रीटमेंट्स को हेल्थ प्लान में शामिल नहीं करतीं- आपकी मौजूदा बीमारियां. आंख, कान व दांतों से जुड़े ट्रीटमेंट या ज़रूरी चीज़ें, जैसे- कैटरैक्ट का ऑपरेशन, डेंटल ट्रीटमेंट, चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंसेस, कान की मशीन आदि. कुछ सर्जरी, जैसे- हर्निया, पाइल्स, मेनोरिया के लिए हिस्टेरेक्टॉमी, गठिया, पित्ताशय की पथरी, कॉस्मेटिक सर्जरी आदि. जन्मजात बीमारियां.यौन रोग, एड्स आदि.
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