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आज हर किसी की ज़रूरत है मेडिकल इंश्योरेंस ( Today everyone needs medical insurance)

 medical insurance

बढ़ती महंगाई ने मेडिकल ख़र्चों को भी बहुत बढ़ा दिया है, जिसके कारण हर किसी के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा पाना संभव नहीं रह गया है. ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस आज हर किसी की ज़रूरत बन गया है, क्योंकि यह आकस्मिक दुर्घटनाओं व गंभीर बीमारियों की स्थिति में आपके लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो आपकी आर्थिक स्थिति को डांवाडोल होने से बचाता है. आइए, हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी से आपको रू-ब-रू कराएं.

क्यों ज़रूरी है हेल्थ इंश्योरेंस?

  • हेल्थ इंश्योरेंस सेहत से जुड़ी आकस्मिक दुर्घटनाओं की स्थिति में आपको फाइनेंशियल सिक्योरिटी प्रदान करता है.
  • मेडिकल एमर्जेंसी कभी वॉर्निंग देकर नहीं आती, वह कभी भी और किसी पर भी आ सकती है, इसलिए हर तरह की अनिश्‍चितताओं से निपटने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना ज़रूरी है.
  • तेज़ी से बढ़ती लाइफस्टाइल बीमारियां रोज़ाना लाखों को अपनी चपेट में ले रही हैं और उतनी ही तेज़ी से मेडिकल ख़र्चे भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में मेडिकल इंश्योरेंस हर व्यक्ति की ज़रूरत बन गई है.
  • बहुत-सी बीमारियों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं रह गई है, मसलन- पहले हार्ट अटैक व डायबिटीज़ जैसी बीमारियां बड़ी उम्र की मानी जाती थीं, पर अब तो छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवा तक इन बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.
  • बदलती लाइफस्टाइल में बढ़ता स्ट्रेस और काम का प्रेशर अनजाने में ही आपको कई बीमारियां दे सकता है, जिनसे निपटने के लिए आपको तैयार रहने की ज़रूरत है.
  • कुछ लोगों को लगता है कि जब हमें कोई बीमारी ही नहीं है, तो हम मेडिकल इंश्योरेंस क्यों लें? उनके सवाल का जवाब है, मेडिकल एमर्जेंसी, जो कभी बताकर नहीं आती.
  • पैसों की कमी अक्सर छोटी-छोटी परेशानियों को बड़ा बना देती है, जिससे वे गंभीर बीमारियों का रूप ले लेती हैं. सही समय पर बीमा कराकर आप इस स्थिति से बच सकते हैं.
  • रिटायरमेंट के बाद जब हेल्थ इंश्योरेंस की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, उसी उम्र में ज़्यादातर कंपनियां ये प्लान बंद कर देती हैं. पर हाल ही में कुछ बीमा कंपनियां सीनियर सिटीज़न हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स लेकर आई हैं, जो आपको लाइफटाइम कवरेज देंगी.

कितना फ़ायदेमंद है हेल्थ इंश्योरेंस?

  • इसकी मदद से आप सबसे बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं.
  • बीमा कंपनी द्वारा नियमित चेकअप्स व स्क्रीनिंग्स के ज़रिए आप कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से पहले ही बच जाते हैं.
    हेल्थ इंश्योरेंस हमें भारी कर्ज़े में डूबने से बचाता है.
  • मेडिकल साइंस ने भले ही बहुत तऱक्क़ी कर ली हो, पर उनकी क़ीमतें भी उतनी ही बढ़ गई हैं. ऐसे में मेडिकल इंश्योरेंस आपके लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है.
  • पर्सनल मेडिकल इंश्योरेंस इन्कम टैक्स में भी आपके लिए फ़ायदेमंद साबित होता है. पहले मेडिकल प्रीमियम भरनेवालों को इन्कम टैक्स की धारा 80डी के तहत 15 हज़ार तक की छूट दी जाती थी, जिसे हाल ही में बढ़ाकर 25 हज़ार कर दिया गया है.

प्रीमियम किन बातों पर निर्भर करता है?

  • इसके लिए आपकी उम्र सबसे ज़्यादा मायने रखती है. जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ेगी, आपके प्रीमियम का अमाउंट भी बढ़ता जाएगा.
    आपकी मेडिकल हिस्ट्री (पहले की कोई बीमारी या सर्जरी आदि) पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है, क्योंकि अगर आपकी कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं है, तो आपका प्रीमियम अपने आप कम हो जाता है.
  • प्रीमियम के लिए क्लेम फ्री ईयर्स भी मायने रखते हैं. क्लेम फ्री ईयर्स यानी ऐसे साल जिनमें आपने मेडिकल क्लेम न किया हो, जिसके लिए आपको स्पेशल डिस्काउंट मिलता है और आपके प्रीमियम का अमाउंट अपने आप कम हो जाता है.

हेल्थ इंश्योरेंस के कितने प्रकार?

1. क्षतिपूर्ति बीमा पॉलिसी (इन्डेम्निटी बेस्ड).

2. सुविधा बीमा पॉलिसी (बेनीफिट बेस्ड).

क्षतिपूर्ति बीमा पॉलिसी:
इसमें मेडिक्लेम पॉलिसी होती है, जिसके तहत मेडिकल ट्रीटमेंट पर किया गया पूरा ख़र्च आपको मिलता है, बशर्ते वह रक़म आपके इंश्योरेंस की ऱक़म के बराबर या कम हो. कुछ कंपनियां मेडिक्लेम के व़क्त कुछ चीज़ों को ख़र्चे में नहीं जोड़तीं, इसलिए मेडिक्लेम पॉलिसी लेने से पहले इस विषय में पूरी छानबीन कर लें. मेडिक्लेम में भी दो कैटेगरीज़ हैं- एक फैमिली फ्लोटर और दूसरा ग्रुप मेडिक्लेम. जहां फैमिली फ्लोटर में एक ही प्रीमियम पेमेंट में पूरे परिवार का मेडिक्लेम होता है, वहीं गु्रप मेडिक्लेम एम्प्लॉयर्स अपने कर्मचारियों के लिए करवाते हैं.

सुविधा बीमा पॉलिसी:
इसमें भी दो तरह के प्लान्स होते हैं. पहला हॉस्पिटल डेली कैश बेनीफिट और दूसरा क्रिटिकल इलनेस बेनीफिट पॉलिसी.
जहां हॉस्पिटल डेली कैश बेनीफिट पॉलिसी के तहत जितने दिन मरीज़ अस्पताल में भर्ती रहता है, रोज़ाना उसे एक निश्‍चित राशि मिलती है, जिससे वो अपने मेडिकल बिल्स चुका सकता है, वहीं क्रिटिकल इलनेस बेनीफिट पॉलिसी में पॉलिसी धारक को इलाज के लिए एकमुश्त रक़म दी जाती है.

अब सवाल उठता है कि मेडिक्लेम और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में से कौन-सा प्लान चुनें. जहां एक ओर मेडिक्लेम आपकी सभी छोटी-छोटी बीमारियों, जैसे- फूड पॉयज़निंग और अपेंडिक्स को भी कवर करती है, वहीं क्रिटिकल इलनेस में कैंसर जैसी गंभीर व प्राणघातक बीमारियां कवर होती हैं. इसलिए अपने हेल्थ प्लान पोर्टफोलियो में इन दोनों को शामिल करना आपके लिए फ़ायदेमंद होगा.
कई बीमा कंपनियां बीमा धारकों को कैशलेस सुविधा भी देती हैं. इसके तहत बीमा कंपनियों के चुनिंदा अस्पतालों के नेटवर्क से टाईअप्स होते हैं, जिनमें बीमा धारक बिना किसी परेशानी के अपना इलाज करवा सकते हैं. आपकी उम्र और परिवार के सदस्यों व उनकी उम्र के अनुसार बीमा की राशि तय होती है. सही हेल्थ इंश्योरेंस चुनने में फाइनेंशियल एडवाइज़र आपकी मदद कर सकते हैं.

इसमें क्या कवर नहीं होता?
हमारे देश में हेल्थ इंश्योरेंस में ज़्यादातर उन्हीं बीमारियों को हेल्थ प्लान में शामिल किया जाता है, जिनके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. कुछ बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड की भी शर्त रखी जाती है. इसलिए कोई भी पॉलिसी लेने से पहले हेल्थ कवरेज में क्या शामिल है और क्या शामिल नहीं है, ज़रूर देखें. आमतौर पर बीमा कंपनियां निम्नलिखित बीमारियों या ट्रीटमेंट्स को हेल्थ प्लान में शामिल नहीं करतीं- आपकी मौजूदा बीमारियां. आंख, कान व दांतों से जुड़े ट्रीटमेंट या ज़रूरी चीज़ें, जैसे- कैटरैक्ट का ऑपरेशन, डेंटल ट्रीटमेंट, चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंसेस, कान की मशीन आदि. कुछ सर्जरी, जैसे- हर्निया, पाइल्स, मेनोरिया के लिए हिस्टेरेक्टॉमी, गठिया, पित्ताशय की पथरी, कॉस्मेटिक सर्जरी आदि. जन्मजात बीमारियां.यौन रोग, एड्स आदि.

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Meri Saheli Team

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