पहले प्यार (FirstLove) का एहसास होता है बेहद ख़ास, अपने फर्स्ट अफेयर (Affair) की अनुभूति को जगाने के लिए पढ़ें रोमांस से भरपूर पहला अफेयर
तुमने उस रोज़ जब नज़रों से छुआ था मुझे, आज भी उस नज़र का असर ये है कि पूरा बदन सिहर उठता है… वो पहली मुलाक़ात थी हमारी… और पहली ही मुलाक़ात में इतने क़रीब आ जाना… न मैंने कुछ सोचा था, न तुमने… हम तो बस सोशल मीडिया के ज़रिये मिले थे, तस्वीरों से ही जानते थे…
मुझे याद है आज भी, तुम्हारा पहला मैसेज… ‘हैलो जी, आप कैसी हो? ठीक-ठाक ही होंगी… ये मेरा नंबर है… आपसे दोस्ती करनी है…’
फिर इसके बाद लगातार न जाने कितनी बार तुम्हारे मैसेजेस आते गए और मैं इग्नोर करती गई… फिर एक रोज़ देश की राजनीतिक स्थिति को लेकर तुमने एक तस्वीर भेजी, मैं ख़ुद को रोक न सकी… जवाब देना ज़रूरी समझा. सो दिया. हमारी राजनीतिक सोच अलग थी. ख़ैर, मुझे कौन-सी तुमसे शादी करनी थी. अगली सुबह तुमने सॉरी लिखा… उसके बाद फिर वही सिलसिला… लगातार मेरी तस्वीरों पर कमेंट और मैसेजेस… पर अब तुम्हारी हिम्मत और बढ़ गई थी… अब तुम सीधे-सीधे आई लव यू… मिस यू… न जाने कितनी गुस्ताखियां करने लगे थे.
पर मुझे क्या हुआ था, मैंने तुम्हें ब्लॉक भी नहीं किया… यह तो मैं जानती थी कि तुम वो नहीं हो, जिसको मैं जीवनसाथी के रूप में देखना चाहूंगी, पर तुम्हारा मैसेज करना अब अच्छा लगने लगा था. हालांकि मैं स़िर्फ इग्नोर कर रही थी कि अचानक तुमने लिखा- ‘मैं तुम्हारे शहर आया हूं, तुमसे मिलने… यह मेरा नंबर है, प्लीज़ एक बार मिल लो. बस, एक बार बात कर लो.’
ख़ैर, मैंने तुम्हें पागल-दीवाना समझकर फिर इग्नोर कर दिया. तुम आहत थे मेरे इस बर्ताव से, लेकिन मैं भी कहां ग़लत थी. मैंने तुम्हें मैसेज भी किया था कि हम एक-दूसरे को जानते भी नहीं हैं, ऐसे कैसे प्यार कर सकते हो तुम मुझसे… तुमने सरलता से जवाब दिया था कि बात ही नहीं करोगी, तो ज़िंदगीभर अंजान बने रहेंगे.
मैंने फिर एक दिन लिखा- ‘आख़िर चाहते क्या हो?’
तुमने फिर सरलता से जवाब दिया- ‘तुम्हें. मुझे क्यों इतना इग्नोर कर रही हो. तकलीफ़ होती है. मुझे प्यार है तुमसे. ज़िंदगीभर साथ निभाऊंगा, बस एक बार भरोसा करके देखो.’
‘प्यार तुम्हें हुआ है, मुझे नहीं. ये तुम्हारी समस्या है. मैं जानबूझकर तुम्हें तकलीफ़ नहीं दे रही. स़िर्फ तस्वीरें देखकर कोई किसी से प्यार नहीं कर सकता.’
‘तो रू-ब-रू मिल लो. मैं तो आया ही था. पर तुमने नज़रअंदाज़ कर दिया. वैसे भी सूरत से कहीं ज़्यादा सीरत मायने रखती है और देखने-दिखाने की ज़रूरत उन्हें होती है, जो डे-टुडे प्यार बदलते हैं…’
‘ये प्यार नहीं, आकर्षण है, लस्ट है… जिसे तुम प्यार समझ रहे हो… बस, मेरा पीछा छोड़ो, वरना ब्लॉक कर दूंगी.’ मैंने ग़ुस्से में जवाब दिया था.
‘मेरे प्यार को वासना का नाम मत दो, बात अगर स़िर्फ जिस्म की है, तो अंधेरी रातों में बाज़ार और मंडियां सजती हैं… अब तुम चाहो, तो मुझे बेझिझक ब्लॉक कर सकती है, पर मेरे प्यार को वासना बोलकर गाली मत दो.’ तुम्हारे इस जवाब ने मुझे शर्मिंदा कर दिया था.
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‘सॉरी, मैंने ग़लत शब्द का इस्तेमाल किया. मैं स़िर्फ यह कहना चाह रही हूं कि आकर्षण को प्यार समझ रहे हो तुम.’
‘तुम मिलना चाहती हो न? चलो मिल लेते हैं एक बार, फिर तुम जो निर्णय लोगी, उसे अपनी तक़दीर मान लूंगा, प्यार न सही, इंतज़ार तो मिलेगा मुझे.’
‘ठीक है, अपना फोन नंबर दो. आज शाम को कॉल करूंगी. लेकिन एक बात याद रखना कि मैं फोन पर ज़्यादा बात नहीं करती और न ही यह पसंद करूंगी कि कोई मुझे बेवजह कॉल करके परेशान करे. ’ मैंने फिर तुम्हें टालने के लिए मैसेज कर दिया.
तुमने नंबर भेजा, मैंने भी सोचा फोन कर लूं एक बार और इस बंदे को निपटाऊं, वरना रोज़-रोज़ परेशान करेगा. तुमसे बात की. क्यूट लगे तुम मुझे. फिर ये बातों का सिलसिला थमा ही नहीं. बात होती रही. मैसेज बढ़ते गए.
मैं हर बार यही कहती कि आसान नहीं है लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप… और तुम यही कहते कि मुश्किल कुछ भी नहीं. आज के ज़माने में सब आसान है…
कुछ दिनों बाद ऑफिस के काम से मुझे दिल्ली जाना था. तुम्हें बताया, तो तुमने कहा कि तुम मिलने आओगे. बहुत डर लग रहा था मुझे. क्या पता सेफ होगा कि नहीं इस तरह किसी अंजान से मिलना, क्योंकि तुमने कहा था कि मॉल में मिलने तो तुम आ सकते हो, पर क्या हम दोनों वहां कंफर्टेबल होंगे? पहली मुलाक़ात की झिझक वैसे भी रहेगी, उस पर इतने लोगों के बीच.
एक तरफ़ तो मुझे लगा कि बात तुम सही कह रहे हो, पर कहीं किसी मुसीबत में न फंस जाऊं. फिर भी हिम्मत करके तुम्हें मैंने अपने होटल रूम में बुला लिया मिलने के लिए, पर एक शर्त भी रखी कि तुम्हारा हेयर स्टाइल मुझे पसंद नहीं, फिर तुम्हें कुछ तस्वीरें भेजीं कि ऐसा हेयर कट करवाओ, तब मिलने आओ.
तुमने कहा कि जानता था कुछ ऐसा ही होगा. तुम्हें तो बस बहाना चाहिए मुझे नापसंद करने का. सारी रात यही सोचती रही कि न जाने कैसा होगा यह लड़का, फोटो को देखकर किसी को जज नहीं किया जा सकता… फिर सोचा मीटिंग कैंसिल कर देती हूं, कोई बहाना बना देती हूं.
तुमको सुबह मैसेज किया कि हम मॉल में ही मिल लेते हैं, रूम में नहीं हो पाएगा. तुमने बुझे मन से कहा कि कोई बात नहीं, मैं आऊंगा मॉल में भी मिलने.
फिर मुझे लगा कि तुम पर भरोसा किया जा सकता है, फिर से मैंने प्लान चेंज किया और तुम्हें कहा कि रूम में ही आ जाना. पर ज़्यादा क्लोज़ होने की कोशिश मत करना.
“तुम अपने ऊपर कंट्रोल रखना, मैं ख़ुद को संभाल लूंगा.” यही जवाब दिया था तुमने. कहीं न कहीं मुझे लग रहा था कि ये मुलाक़ात पहली और शायद आख़िरी होगी.
ख़ैर, सुबह तुम आए, मैंने दरवाज़ा खोला, एक नर्वस-सा लड़का मेरे सामने खड़ा था. तुम अंदर आए और मैं बस तुम्हें देख रही थी और यही सोच रही थी कि इतना हैंडसम लड़का, इससे न मिलना तो बेव़कूफ़ी थी. तुम बहुत ज़्यादा नर्वस थे.
“हेयर कट सूट कर रहा है तुम पर…” मैंने हंसते हुए कहा.
“तुम्हें पसंद आया, बस और क्या चाहिए…” तुमने मुझे निहारते हुए कहा.
मैं कुछ असहज हो गई. फिर मैं इधर-उधर की बातें करने लगी और तुम बस लगातार मुझे निहार ही रहे थे.
टीवी ऑन थी, तो मैंने टॉपिक चेंज करने के लिए कहा, “मुझे ये हीरो बहुत पसंद है.”
“हां, बस मैं ही एक कमीना हूं, जो नापसंद हूं, बाकी तो तुमको सब पसंद हैं…” यह कहते हुए तुम मेरे क़रीब आए. मेरे हाथों को चूमा. मैंने नहीं रोका… फिर न जाने कितने चुंबनों की बरसात तुमने की और मैं प्यार की बारिश में भीगती चली गई. इतनी मदहोशी, इतना हसीन मंज़र ज़िंदगी में पहले कभी नहीं आया था.
मन नहीं था तुमसे अलग होने का, पर वापस तो आना था… वापसी में कई तरह के ख़्याल थे मन में… क्या पता, इसके बाद तुम बातचीत बंद कर दो, बदल जाओ, तुम्हें जानती ही कितना थी मैं… तुम ये भी तो सोच सकते हो कि पहली मुलाक़ात में इतनी कंफर्टेबल होनेवाली लड़की न जाने कैसी होगी… हो सकता है मेरा फ़ायदा उठाना ही तुम्हारा इरादा हो… सुबह से तुम्हारा कोई मैसेज भी तो नहीं आया… हे भगवान! ख़ुद को इतना समझदार समझनेवाली मैं इस तरह बेवक़ूफ़ कैसे बन गई. तुम्हारा फोन भी बंद था.
ख़ैर, घर पहुंचते ही देखा तुम्हारा मैसेज था- ‘विल यू मैरी मी!’
मेरी जान में जान आई… ये दिल भी कितना नादान है… एक पल में लाखों ख़्याल उमड़ने लगते हैं… तुम्हें न कहने का कोई कारण नहीं था… पर मैंने हां नहीं कही थी… तुमने फिर मैसेज किया- ‘जानता हूं अभी तुम्हें मुझे और परखना है… कौन हूं, कैसा हूं, क्या काम करता हूं, कितना कमाता हूं… तुम लड़कियां भी कितना सोचती हो… और हम लड़के बस प्यार और विश्वास करते हैं… ख़ैर, तुम्हारी हां के लिए मैं उम्रभर इंतज़ार करूंगा… शहर, दूरियां, धर्म, जाति, बिरादरी, पैसा… इन सबसे कहीं ऊंचा होता है प्यार… और सच स़िर्फ यही है कि मैं तुमसे और तुम मुझसे प्यार करती हो…!
आई लव यू माय लव!’
आज पूरे एक साल हो गए हैं हमें मिले और अब अगली मुलाक़ात में हम हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो जाएंगे. हम लकी हैं कि हमारे घरवाले भी मान गए और हमारे प्यार को समझ पाए और मैं और भी लकी हूं कि तुम जैसा समझदार जीवनसाथी मुझे मिला. मेरा पहला प्यार… पहला एहसास… हमेशा के लिए अब मेरा होगा.
– गीता शर्मा
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