♦ अगर शुरुआत से ही बच्चे को प्रोत्साहन मिलता है, तो वह आत्मविश्वासी बनता है.
♦ यदि बच्चा अपने माता-पिता को बहुत कुछ सहते हुए देखता है, तो उनकी सहनशीलता देखकर वह धैर्य रखना सीखता है.
♦ अगर शुरू से बच्चा तारी़फें पाता है, तो बड़े होकर वह दूसरों की प्रशंसा करना सीखता है.
♦ यदि बच्चा अपने घर व आसपास ईमानदारी देखता है, तो वह सच्चाई सीखता है.
♦ अगर बच्चा सुरक्षित माहौल में रहता है, तो वह ख़ुद पर और दूसरों पर भरोसा करना सीखता है.
♦ अगर बचपन से ही उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है, तो वह भी दूसरों की निंदा करना सीखता है.
♦ यदि बच्चा बचपन से घर में लड़ाई-झगड़े देखता है तो वो भी लड़ना सीख जाता है.
♦ अगर छोटी उम्र से ही उसे किसी तरह के डर का सामना करना पड़ता है, तो बड़े होने पर वो हमेशा आशंकित या चिंतित रहता है.
♦ यदि घर और बाहर हमेशा उसका मज़ाक उड़ाया जाता है, तो वह शर्मीला व संकोची बन जाता है.
♦ अगर बच्चे की परवरिश ऐसे माहौल में हुई हो जहां उसे जलन की भावना का सामना करना पड़ा हो, तो बड़ा होने पर वो दुश्मनी सीखता है.
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