बदलते ट्रेंड ने मटेरियल लाइफ को पूरी तरह बदल दिया है. अच्छा, सबसे अच्छा बनने की चाह में आज माता-पिता ख़ुद के साथ अपने बच्चों को भी रेस में सबसे आगे निकालने के लिए प्रयासरत हैं. तहज़ीब, बात करने का ढंग, पढ़ाई में अव्वल होने के लिए वो अब स्कूल तक के समय का इंतज़ार नहीं कर रहे हैं. डेढ़ साल की उम्र में ही वो अपने बच्चे को प्ले स्कूल में डाल रहे हैं. प्ले स्कूल के बढ़ते फैशन के कारण कई पैरेंट्स दूसरों की देखा-देखी भी अपने बच्चे को प्ले स्कूल में भेजने लगते हैं. क्या प्ले स्कूल वाक़ई बच्चों के लिए फ़ायदेमंद है? आइए, जानने की कोशिश करते हैं.
चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट अंशु कुलकर्णी के अनुसार, “स्कूल के पहले प्ले स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराने से वो सामाजिक बनते हैं. बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं, जो घर के लोगों के अलावा बाहरी लोगों से बात करने में हिचकिचाते हैं. दूसरों से डरते हैं. प्ले स्कूल में जाने से वो दूसरे बच्चों और टीचर के संपर्क में आते हैं, जिससे धीरे-धीरे उनकी हिचक दूर हो जाती है.”
घर में प्यार-दुलार की वजह से बच्चे अपनी चीज़ों के इतने आदी हो जाते हैं कि किसी दूसरे के छूने मात्र से वो रोना या चिल्लाना शुरू कर देते हैं. प्ले स्कूल में एक ही खिलौने से कई बच्चों को खेलते देख और एक ही झूले पर बारी-बारी से दूसरे बच्चों को झूलते देख उनमें समझदारी और शेयरिंग की भावना विकसित होती है.
3 साल तक आपके साथ रहने से बच्चे को आपकी और परिवार की आदत हो जाती है. ऐसे में जब पहली बार उसे आप स्कूल के गेट तक छोड़ने जाती हैं, तो वो आपको छोड़ना नहीं चाहता. आपसे दूर जाने पर वो बहुत रोता है. आपकी दशा भी कुछ ऐसी ही होती है. ऐसे में शुरुआत से ही जब बच्चा आपसे कुछ घंटे ही सही, दूर रहने लगता है, तो वो सेपरेशन ब्लू यानी आपसे दूर जाने की बात को आसानी से सह लेता है.
कम उम्र में ही प्ले स्कूल में जाने से बच्चे में सीखने की प्रवृत्ति बढ़ती है. टीचर द्वारा सिखाए पोएम को वो बार-बार दोहराता है. इससे उसका आधार मज़बूत होता है. स्कूल जाने के बाद उसे चीज़ों को समझने में आसानी होती है.
फर्स्ट टाइम पैरेंट्स बने कपल्स के लिए स्कूल में बच्चे के एडमिशन से लेकर उसे स्कूल भेजने तक का काम किसी चुनौती से कम नहीं होता. बच्चे के साथ उनके लिए भी ये नया अनुभव होता है. ऐसे में कई बार ख़ुद पैरेंट्स ही बच्चों से दूर जाने पर रोने लगते हैं, तो कई स्कूल सही समय पर नहीं पहुंच पाते. प्ले स्कूल के ज़रिए उन्हें स्कूल के नियम-क़ानून को समझने में मदद मिलती है.
प्ले स्कूल के बहुत से फ़ायदों के साथ कुछ नुक़सान भी हैं.
– सही माहौल न मिलने की वजह से बच्चा ख़ुद को वहां एडजस्ट नहीं कर पाता और रोता है.
– प्ले स्कूल के बढ़ते क्रेज़ की वजह से कई बार मिडल क्लास फैमिली को न चाहते हुए भी स्कूल के पहले से ही आर्थिक तंगी का तनाव झेलना पड़ता है.
– स्कूलवाली ज़िम्मेदारी प्ले स्कूल से ही पैरेंट्स को उठानी पड़ती है, जैसे- सही समय पर बच्चे को स्कूल छोड़ना, स्कूल थीम के अनुसार उसे ड्रेसअप करना, स्कूल के नियम मानना आदि.
– कम उम्र में ही पैरेंट्स से दूर रहने की आदत बच्चे के कोमल मन को प्रभावित करती है.
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