फिल्म – ज़ीरो
निर्देशक – आनंद एल राय
कलाकार – शाहरुख खान, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, जीशान अयूब और तिग्मांशु धूलिया.
रेटिंग- 3 स्टार
ऐसी बहुत कम फिल्में होती हैं, जिसके रिलीज़ लेकर लोगों के मन में उत्सुकता होती है. लेकिन ज़ीरो ऐसा करने में कामयाब रही. रिलीज़ के पहले से शाहरूख के फैन्स सहित अन्य लोगों के मन में फिल्म की कहानी को लेकर उत्सुकता थी. लेकिन अफसोस की बात यह है कि शाहरुख, अनुष्का और कैटरीना जैसे स्टार्स से सजी होने के बावजूद ज़ीरो वो छाप छोड़ने में असफल रही, जिसकी लोगों को उम्मीद थी.
कहानी
ज़ीरो की कहानी बउआ सिंह (शाहरुख खान) के इर्दगिर्द घूमती है. जो 38 साल का है, मेरठ में रहता है और चाढ़े चार फुट का है. घर में पिता हैं, जिन्हें बउआ से सिर्फ़ शिकायत रहती है और एक मां है, जिन्हें बउआ की कोई बात ग़लत नहीं लगती. बउआ शादी के लिए बेताब है, जब उसकी ज़िंदगी में आफिया (अनुष्का शर्मा) दस्तक देती है. जो कि एक बड़ी वैज्ञानिक है और उन्होंने मंगल ग्रह पर पानी की खोज़ की है. लेकिन cerebral palsy से ग्रसित है. साथ साथ ही निर्देशक दर्शकों की मुलाकात सुपरस्टार बबीता कुमारी (कैटरीना कैफ) से भी कराते हैं, जिसके पीछे बउआ पागल है.. सिर्फ़ एक फैन की तरह. जहां बउआ और आफिया शारीरिक तौर पर अधूरेपन से गुजर रहे होते हैं, वहीं बबीता कुमारी मानसिक रूप से अधूरी हैं. किस तरह तीनों किरदार अपने अधूरेपन या ज़ीरो(पन) से बिना आहत हुए अपना रास्ता चुनते हैं, यह कहानी है ज़ीरो की.
ऐक्टिंग
शाहरुख खान ने इस किरदार को शानदार तरीके से निभाया है. बौने के किरदार में वे जमे हैं. उन्होंने बउआ के शारीरिक अधूरेपन को किरदार पर हावी नहीं होने दिया है, अनुष्का शर्मा ने भी अच्छी ऐक्टिंग की है, हालांकि इस दमदार रोल को वे और बेहतर तरीक़े से पेश कर सकती थीं. जोकटरीना कैफ की भूमिका छोटी है, लेकिन ये उन्होंने शिद्दत से निभाई है. मोहम्मद ज़ीशान का किरदार भी याद रहता है.
निर्देशन
फिल्म की पटकथा थोड़ी कमजोर है, जो ख़ासकर फिल्म के सेकेंड हाफ को सुस्त बनाती है और फर्स्ट हाफ से बने इमोशनल कनेक्ट को भी डगमगा देती है. आनंद एल राय ने अपने निर्देशन से फिल्म की कहानी के साथ न्याय करने की कोशिश की है, लेकिन वे अपनी पहली फिल्मों की तरह प्रभावित करने असमर्थ दिखे हैं. मनु आनंद का छायांकन कमाल का है. ज़ीरो की दिक्कत यह है कि शाहरुख का बौना अवतार शुरू में तो रोमांचित करता है लेकिन ये रोमांच खत्म होने के बाद कहानी में बचता है तो बस एक प्रेम त्रिकोण.
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